न्यायालय ने इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी द्वारा दाखिल शपथ पत्र पर सरकार से कहा है कि “क्यों ना कोश्यारी की वित्तीय स्थिति की जांच कराई जाए और पता लगाएं कि उनके द्वारा कोर्ट में दाखिल शपथपत्र गलत तो नही है” ?
कोश्यारी ने पूर्व में दाखिल शपथपत्र में कहा था कि वह बकाया धनराशि देने में असमर्थ है।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी आवास खाली कराने के मामले में नैनीताल उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। आपको बता दें कि न्यायालय में देहरादून की रूरल लिटिगेशन एंड इंटाईटेलमेंट केंद्र नामक संस्था ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार द्वारा जो सरकारी भवन और सुविधाएं दी जा रही है वो गलत हैं।
याचिका में पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी भवन के प्रयोग और उक्त अवधि के दौरान का किराया वसूलने की मांग भी की गई है। न्यायालय ने पूर्व में राज्य सरकार से पूछा था कि वह पुर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी भवन खाली नहीं कराने के बाद, अबतक कितना किराया वसूल कर चुकी है ?
याची ने न्यायालय को बताया कि महाधिवक्ता का बयान सही नहीं है, जबकि कैबिनेट ने ये निर्णय लिया था कि वो उच्च न्यायालय से ही इस किराए को माफ करने का आग्रह करेंगे। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरी गुप्ता ने न्यायालय को ये भी कहा है कि राज्य सरकार ने इन निजी किराएदारों ने लगभग दो करोड़ पिचासी(2.85)लाख का किराया वसूलना है, जिसके आदेश न्यायपालिका शीघ्र करे।
उन्होंने न्यायालय से कहा है कि किराए के अलावा इन बकाएदारों से 13 करोड़ रुपये के अतिरिक्त धन की वसूली के लिए भी न्यायालय आदेश करे। कार्तिकेय ने ये भी बताया कि न्यायालय ने कैबिनेट के किराया माफी संबन्धी आदेश का रजिस्टर महाधिवक्ता से मंगवाया है, जिसपर उन्होंने सोमवार तक का समय मांग लिया है।
पूर्व मुख्यमंत्रियों की देनदारी :-
(1) रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ – 40,95,560/=
(2) भुवन चंद खंडूरी – 46,59,776/=
(3) विजय बहुगुणा – 37,50,638/=
(4) भगत सिंह कोश्यारी – 47,57,758/=
(5) स्व.नारायण दत्त तिवाड़ी – 1,12,98,182/=
कोर्ट आर्डर