कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड में नैनीताल की बुनियाद माने जाने वाले बलिया नाले के संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने दो करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन के जवाब पर जनहित याचिकाकर्ता ने आपत्ति जताई है।
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नैनीताल के दक्षिण पूर्व हिस्से में पड़ने वाले बलिया नाले में बीती बरसातों में भयंकर भूस्खलन हुआ था। इसका सरकार कोई स्थायी समाधान ढूंढने में असफल रही थी। अखबारों में छपी खबरों में इस क्षेत्र के ट्रीटमेंट में पूर्व में करोड़ों का धन खर्च करने के बाद भी स्थायी समाधान नहीं निकालने के आरोप लगे थे। सभी परिस्थितियों को देखते हुए नैनीताल निवासी अधिवक्ता सय्यद नदीम ‘मून’ ने जनहित याचिका दायर कर उच्च न्यायालय से सरकार को जरूरी दिशा निर्देश जारी करने की प्रार्थना की थी। पिछली सुनवाई के बाद इस मसले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सरकार से एफिडेविट के माध्यम से जवाब दाखिल करने को कहा था।
आज राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन करते हुए शपथ पत्र दाखिल किया। हाई पावर कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने उच्च न्यायालय में शपथ पत्र दाखिल किया। सरकार ने कहा है कि उन्होंने सिंचाई विभाग को भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र के संरक्षण के लिए दो करोड़ रुपया मुहय्या कराया है।
सरकार ने खण्डपीठ को बताया कि उन्होंने जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया(जी.एस.आई.)से सर्वे करके रिपोर्ट देने को कहा है, साथ ही जापान की एक कंपनी से डेली प्रोजेक्ट रिपोर्ट(डी.पी.आर.)बनाने को कहा है तांकि इसका निर्माण किया जा सके। जनहित याचिकाकर्ता सय्यद नदीम ‘मून’ का कहना है कि उन्होंने मुख्य सचिव द्वारा दाखिल किए गए एफिडेविट पर ऑब्जेक्शन(आपत्ति) लगाया है, जिसके लिए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने उन्हें तीन हफ्ते का समय दिया है।