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Home पर्वतजन

अच्छी खबर आप पढ़ते कहां हो!

in पर्वतजन
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शिव प्रसाद सेमवाल

इस बार की आवरण कथा पर कुछ बात करनी है, लेकिन डर है कि कहीं आप बिदक न जाओ। इसलिए चलो अपनी बात की शुरुआत मैं एक घटना सुनाकर करता हूं।
एक बार मैं तत्कालीन पर्यटन मंत्री अमृता रावत के साथ बैठा था। बातों-बातों में मैडम पर्वतजन को कोसने लगी कि तुम लोग नेगेटिव ही लिखते हो। कभी पॉजिटिव भी लिखा करो। संयोग से पर्वतजन का एक पिछला अंक मेरे पास पड़ा था, जिसमें हमने आपदा के दौरान ग्रामीणों की मदद को कवर किया था। इस अंक में बताया गया था कि किस तरह से ग्रामीणों ने खुद प्रभावित होने के बावजूद पीडि़त यात्रियों की मदद की थी और किस तरह अपने तबाह हो चुके मार्गों की मरम्मत की थी।
अमृता रावत को यह अंक हमारा हॉकर पहले ही दे चुका था, क्योंकि यह क्षेत्र सतपाल महाराज के संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
लेकिन अमृता रावत ने कहा,- ”यह अंक तो मैंने देखा नहीं।ÓÓ मैं बोला, – ”मैडम आपको दिखेगा भी कैसे! आजकल अच्छी खबरें देखना कौन चाहता है।ÓÓ
स्मार्ट फोन और फोरजी नेट स्पीड के पॉकेट में पोर्न वाले दौर में भी खबरों का पाठक अब खबरों का उपभोक्ता बन गया है। पाठकों को इन्फॉरमेशन नहीं, इन्फोटेनमेंट चाहिए। पाठक चाहता है कि खबरों में आंखे सेंकने से लेकर कुछ दिमाग सेंकने का माल-मसाला भी हो तो ही ‘खबर में दमÓ का सर्टिफिकेट देगा।
जिस तरह ज्वैलरी की दुकान में जौहरी गहने दिखाते समय एक निश्चित गहने पर ग्राहक की फैली हुई आंखों की पुतली को भांपकर गहने का दाम बढ़ा देता है, उसी तरह मीडिया हाउस को भी अखबार बेचने के लिए बारिश में भीगी हुई गरमी में आइसक्रीम खाती हुई लड़कियां ही आई कैंडी बनाकर छापनी पड़ती है।
इस बार एक स्टोरी टेबल पर आई तो हमें लगा कि यहकाम की न्यूज है। इस स्टोरी से प्रेरणा पाकर शायद लोगों के जीवन में बदलाव आ सकता है। इसलिए हमने फैसला किया कि इसे कवर स्टोरी बनाया जाए।
एक सहयोगी ने ऐतराज जताया कि सारे मीडिया घरानों में टिकट की टिक-टिक चल रही है और आपको यह सूझ रही है। उसने चेताया कि कोई पढ़ेगा नहीं यह अंक। लेकिन हमने सोचा कि जो पाठक पढऩा चाहता है, हमें उसी को कवर स्टोरी बनाने की मजबूरी छोड़कर कभी-कभी उन खबरों पर भी फोकस करना चाहिए, जो पाठकों के लिए जरूरी है। भले ही उनमें सिजलिंग इफेक्ट न हो। रही बात फ्लॉप और हिट होने की तो हमें उम्मीद है कि दीपावली के पावन पर्व पर आने वाले इस अंक की आवरण कथा पानी की कमी के कारण पलायन करने वाले ग्रामीणों के लिए प्रेरणा पुंज साबित होगी।

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