आरटीआई खुलासा : बद्री तथा केदार में अब तक चढ़ा है इतना चढावा। कहां जाती है दान की इतनी रकम !

कृष्णा बिष्ट

आरटीआई में संभवत पहली बार बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अंतर्गत श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए जाने वाले सोना चांदी और हीरे जेवरात सहित तमाम धन का दान और उनके खर्च का एक खुलासा हुआ है।
 आरटीआई एक्टिविस्ट हेमंत गोनिया के आवेदन पर मंदिर समिति ने इसकी जानकारी दी है।
बद्रीनाथ मंदिर को मिला है इतना दान
 प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य बनने से लेकर वर्ष 2018 तक बद्रीनाथ मंदिर को 915 ग्राम विशुद्ध सोना, 39 किलो सोना मलवा, 30 कुंतल 27 किलो चांदी का मलवा और 8 किलो 300 ग्राम जेवरात दान में प्राप्त हुए हैं।
इसके अलावा 9 अशर्फी सहित 6814 चांदी के सिक्के 24 ग्राम की गिन्नियां 90 चांदी की अठन्नियां और 132 चांदी की चवन्नी सहित 12 चांदी की गरारी रुपया और 478 गरारी अठन्नी आदि का दान प्राप्त हुआ है।
केदारनाथ मंदिर को मिला इतना दान
केदारनाथ मंदिर के लेखाकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार केदारनाथ मंदिर में राज्य बनने से लेकर अब तक 6 किलो 652 ग्राम 165 मिलीग्राम सोने का मलवा प्राप्त हुआ है। तथा 11 ग्राम 500 मिलीग्राम वजन की एक अशर्फी प्राप्त हुई, साथ ही 28 ग्राम 670 मिलीग्राम की चार गिन्नियां प्राप्त हुई हैं।
 इसके अलावा चांदी मलवा 8 कुंटल 4 किलो 765 ग्राम 270 मिलीग्राम दान में प्राप्त हुआ है तथा 941 चांदी के सिक्के 9 अठन्नी और 10 चांदी की चवन्नियां प्राप्त हुई हैं। वही 84 सिक्का रुपया के सिक्के और 8 अठन्नी और दो चांदी की चवनियां दान में मिली है।
 नगद और कैश जानकारी के अनुसार मंदिर समिति को वर्ष 2018-19 में 12 करोड़ 16 लाख ₹41 हजार  174 प्राप्त हुए। वर्ष 17-18 में ₹10 करोड़  79  लाख  77  हजार 261 प्राप्त हुए। इससे पहले की जानकारी आप दी गई सूची में देख सकते हैं
देखिये सूचि
 मंदिर समिति ने बताया कि दान में प्राप्त चेक सीधे पंजाब नेशनल बैंक जोशीमठ सहित भारतीय स्टेट बैंक जिला सहकारी बैंक  जोशीमठ खातों में
जमा किए जाते हैं और सोना चांदी आदि के जेवरात भारतीय रिजर्व बैंक कानपुर के डबल लॉक में रखे जाते हैं।
 इस धन से मंदिर समिति के अधीन 6 अधीनस्थ मंदिर दो उप मंदिर और अन्य दस्तूरात मंदिरों के रखरखाव, सुंदरीकरण,मंदिर समिति द्वारा संचालित संस्कृत महाविद्यालय, आयुर्वेद फार्मेसी महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्रों की छात्रवृत्ति, अध्यापकों के वेतन मंदिरों की पूजा व्यवस्था, जलापूर्ति और कर्मचारियों की वेतन व्यवस्था पर खर्च किया जाता है।
 सरकार से मंदिर समिति को कोई धन नहीं मिलता। वर्ष 2013 में आई आपदा में मंदिर समिति को शासन द्वारा आधारभूत संरचना के निर्माण के लिए ₹10 करोड़ स्वीकृत किए थे।
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