कृष्णा बिष्ट
जीरो टॉलरेंस की सरकार को भी नौकरशाहों ने अनदेखा कर दिया है। वित्तीय सत्र वर्ष 2017 में भी मात्र 7 आईएएस अधिकारियों के अलावा किसी ने भी अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया।
जिन सात अधिकारियों ने संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक किया है, उसमें रेवेन्यू बोर्ड के चेयरमैन एस रामास्वामी, अपर सचिव डॉ रणवीर सिंह, आईएएस आशीष जोशी, सुश्री सोनिका, सुशील कुमार, डॉ आर राजेश कुमार और ज्योति नीरज खैरवाल शामिल है।
आरटीआई एक्टिविस्ट हेमंत सिंह गौनिया ने 5 मई 2018 को मुख्यमंत्री कार्यालय से सूचना के अधिकार के तहत संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने वाले राज्य के आईएएस अधिकारियों की जानकारी मांगी थी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह भी राज्य के अधिकारियों को संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने के लिए कह चुके हैं। किंतु आश्चर्य की बात यह है कि स्वयं मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने भी अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया है। ऐसे में समझा जा सकता है कि जब फरमान सुनाने वाले अधिकारी ही खुद अपने फरमान के प्रति गंभीर नहीं होंगे तो फिर अन्य अधिकारी के बीच इसका कैसा संदेश जाएगा !!
आईएएस अधिकारियों को संपत्ति का विवरण जनवरी माह के अंत तक अनिवार्यतः घोषित करना होता है। यह विवरण संबंधित अधिकारियों द्वारा sparrow वेबसाइट में अपने DSC अथवा eSign के माध्यम से जनवरी के अंत तक अपलोड किया जाता है किंतु उपरोक्त 7 अधिकारियों के अलावा किसी ने भी अपना ब्यौरा नहीं सौंपा इन सात अधिकारियों ने भी वेबसाइट पर ब्यौरा अपलोड करने के बजाए सीधे कार्मिक विभाग को उपलब्ध कराया है यह ब्यौरा www.ipr.ias.nic.in पर भी उपलब्ध है।
सात अधिकारियों का संपत्ति विवरण
11 जून को प्राप्त सूचना मे सात अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए संपत्ति के ब्यौरे के अनुसार पौड़ी के जिलाधिकारी सुशील कुमार के पास द्वारका नई दिल्ली में एक आवासीय प्लॉट है जिसकी कीमत ₹7,50,000 है और डालनवाला में एक आवासीय प्लॉट है, जिसकी कीमत 65 लाख रूपया है। उन पर 57 लाख और 7 लाख 50 हजार के दो हाउसिंग लोन भी बकाया हैं।
IAS तथा गढ़वाल मंडल विकास निगम की प्रबंध निदेशक ज्योति नीरज खैरवाल के पास उनके परिवार से प्राप्त महेंद्रगढ़ में पुश्तैनी जमीन के अलावा देहरादून के पिनाकल रेजीडेंसी जाखन में एक करोड़ रुपए मूल्य का फ्लैट भी है।
IAS तथा DM आशीष जोशी के पास पिता से प्राप्त एग्रीकल्चर लैंड तथा आवासीय प्लॉट और एक मकान भी है, जिसकी कीमत का कोई विवरण नहीं दिया गया है। यह संपत्ति अभी उन्हीं के पिता के नाम है।
अपर सचिव डॉ रणवीर सिंह के पास 25,00000 रुपए मूल्य की एग्रीकल्चरल लैंड है।
पूर्व मुख्य सचिव एस रामास्वामी ने देहरादून में 724000 रुपए की जमीन और नोएडा में एक आवासीय फ्लैट का जिक्र किया है इसकी सर्किल रेट 75,000 प्रति वर्ग मीटर है।
जाहिर है कि इन 7 अधिकारियों ने कुछ तो जिम्मेदारी और जवाबदेही दर्शाई है। अहम सवाल यह है कि जब अन्य अधिकारियों ने दिशा निर्देशों के बाद भी संपत्ति विवरण नहीं दिया है तो उनकी जवाबदेही कैसे तय की जाएगी !
इन अधिकारियों द्वारा संपत्ति विवरण की घोषणा न करने से साफ झलकता है कि कहीं ना कहीं दाल में कुछ काला है। एक बार यदि यह अधिकारी अपनी संपत्ति की घोषणा कर देंगे तो फिर कभी घोषित संपत्ति के अलावा उनकी अन्य संपत्तियों का पता चलता है तो वह अघोषित आय के रूप में सवालों के घेरे में आ सकती है। संभवतः संपत्ति की घोषणा सार्वजनिक करने वाले अधिकारियों में यही डर है। अथवा उनके ऊपर मुख्यमंत्री तथा मुख्य सचिव के आदेशों का कोई असर नहीं है।
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