विगत दो माह से परेड ग्राउंड में धरने पर बैठा चौकीदार प्रेमराम, जो मंत्री के आवास पर रहा रहा था, उसे वहां से धक्के मारकर बाहर निकाल दिया गया है। अब चौकीदार का संकट और बढ़ गया है।
राजकीय संरक्षण गृह महिला अल्मोड़ा में प्रेमराम एक मई 2013 से संविदा कर्मचारी के रूप में अनुसेवक के पद पर तैनात था, लेकिन विगत दिनों उसे नौकरी से निकाल दिया गया। हताश होकर प्रेमराम को देहरादून के परेड ग्राउंड में धरने पर बैठना पड़ा। वह करीब दो माह से धरना दे रहे हैं और रात्रि के वक्त एक मंत्री के यमुना कालोनी स्थित आवास में रह रहे थे। चौकीदार प्रेमराम का संकट उस वक्त बढ़ गया, जब उसे मंत्री आवास से बाहर निकाल दिया गया। हताश होकर प्रेमराम ने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद है कि वह उन्हें जरूर न्याय दिलाएंगे और उसकी नौकरी उसे दिला दी जाएगी।
दरअसल राजकीय संरक्षण गृह महिला अल्मोड़ा में प्रेमराम एक मई 2013 से संविदा कर्मचारी के रूप में अनुसेवक के पद पर तैनात है। इससे पहले वह राजस्व विभाग, तहसील सोमेश्वर में पीआरडी जवान के रूप में कार्य कर चुका है, किंतु अपर सचिव मनोज चंद्रन के 21 जून 2017 के आदेश के बाद प्रेमराम की नौकरी खटाई में पड़ गई। प्रेमराम की सेवाओं को देखते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष तथा राज्य के कार्यालय सचिव द्वारा भी नियमित नियुक्ति हेतु जिला स्तरीय अधिकारियों को निर्देशित किया जा चुका है।
यही नहीं राज्यमंत्री रेखा आर्य ने भी प्रेमराम को चौकीदार के पद पर नियमित नियुक्ति देने का आदेश देते हुए अपर सचिव मनोज चंद्रन का उक्त आदेश पूर्णतया निरस्त कराते हुए प्रेमराम को पुन: सेवा में बहाल करने को कहा है, लेकिन इन तमाम पत्रों पर आज तक कोई सुनवाई नहीं हो पाई है। मजबूरन प्रेमराम 6 मार्च 2019 से परेड ग्राउंड में धरना व आमरण अनशन पर बैठे हैं, किंतु उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। प्रेमराम की नौकरी के अब करीब दो वर्ष शेष रह गए हैं, ऐसे में असली चौकीदार का उत्पीडऩ किया जाना कहां का न्याय है!
उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी की मैं भी चौकीदार मुहिम में देशभर से अब तक करीब ३5 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं। ऐसे में उत्तराखंड के इस वास्तविक चौकीदार को यदि शीघ्र न्याय नहीं मिल पाता है तो लाखों चौकीदारों का नाम देने वाले पीएम मोदी की चौकीदार वाली मुहिम पर भी सवाल खड़े होने स्वाभाविक हैं।