18 मार्च को जीरो टॉलरेंस की त्रिवेंद्र सरकार अपना एक साल पूरा करने जा रही है। किंतु इस एक सप्ताह में दो भर्तियों में व्यापक स्तर पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं।
पहला सवाल आयुर्वेद चिकित्सकों की भर्ती पर उठ रहा है।
और दूसरा एएनएम कार्यकर्ताओं की चयन सूची भी संदेह के घेरे में आ गई है।
वंचित अभ्यर्थियों में इस बात को लेकर पिछले तीन-चार दिनों से काफी आक्रोश है। वंचित अभ्यर्थी शासन से लेकर सरकार के दरवाजे पर चयनित सूची पर सवाल उठा रहे हैं। किंतु अभी तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है।
गौरतलब है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता (महिला एएनएम) की चयन सूची 12 मार्च को जब स्वास्थ्य निदेशालय की दीवार पर चस्पा हुई तो अपना नाम ना देखकर पात्र अभ्यर्थियों में रोष व्याप्त हो गया। व्यक्तिगत तौर पर इन अभ्यर्थियों को कुछ ऐसे मामले पता चले हैं जिसमें वरियता में उनसे काफी पीछे चल रहे अभ्यर्थियों का चयन हो गया है जबकि वह रह गए।
जाहिर है कि यह चयन सूची काफी संदिग्ध ढंग से तैयार की गई है। जिस पर काफी सवाल उठाए जा रहे हैं।
पहला सवाल यह है कि स्वास्थ्य निदेशालय की दीवार पर चस्पा चयनित अभ्यर्थियों की सूची में किसी भी सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर अथवा मोहर नहीं है।
दूसरा सवाल यह है कि चयनित अभ्यर्थियों का प्रशिक्षण वर्ष/ सत्र का उल्लेख नहीं किया गया है। जबकि चयन वर्ष एवं मेरिट की वरीयता के अनुसार किया गया है।
तीसरा सवाल यह है कि चस्पा सूची में अभ्यर्थियों द्वारा प्राप्त अंकों और प्रतिशत का भी उल्लेख नहीं किया गया है जिसके आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की गई है।
अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री कार्यालय से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। साथ ही यह मांग की है कि उन्हें चयन का आधार और अपने अभिलेखों का निरीक्षण- परीक्षण करने की अनुमति दी जाए। ताकि किसी भी प्रकार के संदेह का निराकरण किया जा सके।
प्रकरण पर एक नजर
ये ए.एन.एम. भर्ती परीक्षा का परिणाम है ! जिसमें मुख्य सवाल यह उठाया जा रहा है कि इसमें जनरल के कुल 53 पदों पर जनरल के सिर्फ 20 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है।विज्ञप्ति में ओबीसी के पद 163 और अब नियुक्ति 153 की ?
विज्ञप्ति में जनरल के पद 53 और अब नियुक्ति मात्र 20 की ?
कुछ तो गड़बड़ है सरकार ?
आइये आपको बताते हैं कि सरकार और उसके अफसर कैसे कैसे गेम बनाते है।
15 मार्च 2016 को उत्तराखंड के स्वास्थ्य महानिदेशक द्वारा ए.एन. एम. भर्ती हेतु 440 पदों हेतु आवेदन मांगे गए थे !!! जिसमें कि सामान्य श्रेणी के- 53, अ. जा. के- 170 पद, अ. जन.जा. के- 54 पद, अति. पिछड़ा वर्ग के – 163 पदों के लिए भर्ती निकाली गई !
अब दो साल के बाद परिणाम निकलने के बाद पदों पर नियुक्त अभ्यर्थियों की स्थिति पर भी नजर डालेंगे तो पूरा मामला समझ आएगा –
अब सरकार ने 440 पदों के सापेक्ष 293 पदों पर ही नियुक्ति की है !! जिसमें कि अब sc के 170 पदों के सापेक्ष 101 पदों पर नियुक्ति हुई है , इसी प्रकार obc कैटगिरी में नजर आता है कि विज्ञप्ति के समय पद थे सिर्फ 163 और अब नियुक्ति हुई है कुल 153 पदों पर।
S.T. के 163 पदों के सापेक्ष सिर्फ 19 का ही चयन हुआ है!
अब देखिए सामान्य श्रेणी के विज्ञापित 53 पदों के सापेक्ष सिर्फ 20 का चयन हुआ है। सबसे बड़ा सवाल इस तथ्य को लेकर उठाया जा रहा है कि जब एएनएम के 440 पदों के लिए विज्ञप्ति प्रकाशित की गई थी तो चयन सूची मात्र 293 अभ्यर्थियों की ही क्यों जारी की गई ! 147 अभ्यर्थी क्यों नहीं चयनित किए गए !
यह रिजल्ट तैयार होते ही स्वास्थ्य निदेशालय ने 380 पदों के लिए एक नई विज्ञप्ति भी निकाल दी है। जब पिछली विज्ञप्ति में विज्ञापित पदों में से 147 पदों की सूची ही जारी नहीं हुई तो नई विज्ञप्ति जारी करने का क्या औचित्य है !
सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि जब पुरानी विज्ञप्ति में से जनरल कैटेगरी के 53 पद ही पूरे नहीं भरे गए हैं तो नई विज्ञप्ति में जनरल कैटेगरी के 259 पदों की विज्ञप्ति निकालने का क्या मतलब है!