कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में आज एक अजीबोगरीब मामला देखने को मिला, जहां गैरशादीशुदा होने का फर्जी एफिडेविट देने के आरोपी एक व्यक्ति को उच्च न्यायालय ने ना केवल सुरक्षा जारी की बल्कि दूसरी पत्नी के साथ रहने की अनुमति भी दे दी।
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न्यायालय ने अपने रीडर को शिकायत आने पर सी.आर.पी.सी.की धारा 340 के तहत कार्यवाही करने को भी कह दिया है।
मामले के अनुसार शादी के बाद उच्च न्यायालय में सुरक्षा(प्रोटेक्शन) की मांग करने पहुंचे एक पति ने न्यायालय को एफिडेविट देकर कहा कि वो शादी शुदा नहीं है। न्यायालय ने उसे सुरक्षा प्रदान की तो युवक की पहली पत्नी को इसकी जानकारी मिली और वो भी न्यायालय पहुंच गई। उन्होंने वरिष्ठ न्यायमूर्ति सुधांशू धूलिया और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खंडपीठ को बताया कि उनका उक्त युवक से वर्ष 2012 में हिन्दू रीति रिवाज से विवाह हुआ था। जिसके बाद वर्ष 2015 में उनका एक बेटा भी हुआ है।
इस दौरान तीन वर्षों से उक्त युवक का किसी दूसरी युवती के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा है, और उन्होंने फरवरी 2019 में असंवैधानिक तरीके से शादी कर ली है। युवक ने न्यायालय से कहा था कि वो ग़ैरशादी शुदा है जिस पर न्यायालय ने उन्हें आज पहली पत्नी की मौजूदगी में न्यायालय में उपस्थित होने को कहा। पहली पत्नी आज अपने चार वर्षीय बेटे और बूढ़ी माँ के साथ न्यायालय पहुंची। दूसरी पत्नी के साथ कोर्ट पहुंची अवैध पत्नी ने न्यायालय में कहा कि वो अपने पति के साथ रहना चाहती है। उसे अगर दूर किया गया तो वो आत्महत्या जैसा कदम उठा लेगी और उसे अपने घरवालों से जान का खतरा है। न्यायालय ने दोनों की सुरक्षा को जारी रखते हुए अपने रीडर से शिकायत आने पर सी.आर.पी.सी.की धारा 340 के तहत कार्यवाही करने को भी कह दिया है। न्यायालय ने मामले में अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद रख दी है।