मनोज नौडियाल
उत्तराखंड परिवहन आये दिन घाटे का रोना रोता है। जिसके लिए रोडवेज विभाग की कार्यप्रणाली कहीं ना कहीं दोषी है। जिसका सबसे बडा उदाहरण कोटद्वार रोडवेज का बस अडडा है।
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यहां से रोज डग्गमार बसे संचालित होती हैं। ये बसें कोटद्वार के एक ट्रेवल्स ऐजेंट की हैं। ये बसें पूरे दिन भर में कई चक्कर लगाती हैं। देवी रोड से झंडाचौक और रोडवेज के सामने से आवाजें दे-देकर सवारी भरकर ले जाते हैं। ये सब रोडवेज के अधिकारियों और परिवहन विभाग के कर्मठ जीरो टोलरेंस वाली सरकार के अधिकारियों के सामने होता है।
इन डग्गामार बस सेवा का परमिट कान्ट्रेक्ट केरिज का है। इन बसों को सिर्फ बुकिंग भरकर ले जाने का अधिकार है, जबकि इस बस सेवा का संचालक खुलेआम आवाजें दे देकर सवारी भरकर ले जाता है।
इस मामले में रोडवेज के यातायात निरीक्षक अनुराग पुरोहित का कहना है कि काफी समय से ये बसें चल रही है, इनके बारे में हमारे द्वारा अपने उच्च अधिकारियों को कई बार बताया जा चुका है।
जब इस मामले में एआरटीओ आरएस रावत से बात हुई तो वे नियमों का हवाला देकर आपनी जान छुड़ाते हुए नजर आये, उनका कहना था कि वाहन के कागज चेक करने के बाद ही पता चलेगा कि ये बस सेवा परमिट शर्तों का पालन कर रहे हैं कि नही, जबकि ये डग्गामार बसें परिवहन विभाग की चौकी से सामने से आवाजें दे देकर सवारियां भरकर बेखौफ ले जाती हैं।