आईएएस लाबी के भारी विरोध के चलते सरकार को अपना फैसला महज एक दिन बाद बदलना पड़ा। सरकार द्वारा बनाए गए अपर सचिवों मे दो को अगले दिन संयुक्त मे परिवर्तित करना पड़ा। एक दिन पहले कार्मिक विभाग ने मुख्यमंत्री के स्टाफ में तीन अपर सचिवों की तैनाती की थी। इनमें दो अधिकारी 2005 बैच के पीसीएस अधिकारी हैं। उनका वर्तमान स्केल उप सचिव के स्तर का है लेकिन उन्हें दो प्रमोशन देते हुए सीधे अपर सचिव बना दिया गया। प्रदेश की आईएएस लॉबी ने इस फैसले का विरोध किया तो सरकार ने इन दो अधिकारियों के मामले में फैसला बदल दिया।
प्रभारी सचिव कार्मिक अरविंद सिंह ह्यांकी ने दोनों अधिकारियों की संयुक्त सचिव पद पर तैनाती के नए आदेश जारी कर दिए हैं।
अपर सचिव बनाए गए प्रदीप रावत सचिवालय कैडर के अधिकारी हैं। जो पहले से ही अपर सचिव पद पर तैनात हैं लेकिन मेहरबान सिंह बिष्ट और ललित मोहन रयाल दोनों 2005 बैच के पीसीएस अधिकारी हैं। दोनों वर्तमान में उप सचिव के स्केल में हैं। नियमानुसार ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि किसी पीसीएस अधिकारी को यदि सचिवालय में तैनाती दी जाती है तो उन्हें एक पद बढ़ा कर रखा जाएगा । इस तरह उन्हें न तो संयुक्त सचिव बनाया जा सकता है, न ही अपर सचिव बनाया जा सकता है। इसके पीछे यह कारण है कि पूर्व मुख्यसचिव
के साथ सचिवालय संघ के एक समझौते के अनुसार यदि सचिवालय में बाहर से किसी भी आइएएस सेवा से इतर किसी अन्य सेवा के अधिकारी को लाया जाता है तो उन्हें वेतनमान के अनुसार पदनाम ही मिलेगा ।
इस समझौते के अनुसार इन अफसरों को नियमानुसार संयुक्त सचिव भी नहीं बनाया जा सकता है । उपसचिव का पद 7600 ग्रेड पे का पद है। सचिवालय में इस ग्रेड पे के अफसर उपसचिव के पद पर कार्यरत हैं । ऐसे मे इसी स्केल के अफसरों को संयुक्त सचिव बना देने से विसंगति उत्पन्न हो जाएगी ।यह आक्रोश मे बदल सकता है।
मुख्यमंत्री यदि किसी अफसर की ऐसी तैनाती करना ही चाहें तो पहले इसके लिए निसंवर्गीय पद निर्मित करने होंगे । सचिवालय के कुछ अफसर इस पर आपत्ति जताने के लिए जल्दी ही सीएम से मिल सकते हैं ।
सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी कहते हैं कि संघ इस तरह की मनमानी का विरोध करेगा ।वह कहते हैं कि सचिवालय में अपर सचिव के पद पर तैनात आइएएस सेवा से इतर विम्मी सचदेवा धर्मेंद्र सिंह अरुणेन्द्र सरीखे अफसरों को भी एक रैंक कम करने के लिए आंदोलन किया जा सकता है ।सचिवालय में तैनात अफसरों का कहना है कि सचिवालय में पहले से ही काफी संख्या में संयुक्त सचिव हैं। उन्हें न लेकर बाहर से नियम विरुद्ध तैनाती का विरोध किया जाएगा ।