रामदेव का पलटासन!
ऑस्ट्रेलिया में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में केंद्र में भाजपा की सरकार होने पर हरियाणा के मुक्केबाज सुशील कुमार को स्वर्ण पदक जीतने पर बधाई देने वाले योगगुरु रामदेव कांग्रेस सरकार के दौरान इन्हीं कॉमनवेेल्थ गेम्स को तब गुलामी की निशानी बताते थे। भारत ऑस्टे्रलिया में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल में अब तक एक दर्जन से अधिक स्वर्ण पदक जीत चुका है। रामदेव द्वारा कांग्रेस के समय राष्ट्रमंडल खेलों पर सवाल खड़े करने के बाद अब जिस प्रकार पलटी मारकर बधाईयां दी जा रही हैं, उससे रामदेव का व्यापारी चेहरा उजागर होता हैै।
योगगुरु सेे बड़े व्यापारी बन चुके रामदेव यूं तो कई बार पल्टी मार चुके हैं, किंतु ताजा मामला अपने आप में उनकी प्रतिष्ठा पर भी सवाल खड़े करता है। 2010 में जब दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम हो रहे थे तो रामदेव ने न सिर्फ कॉमनवेल्थ गेम का विरोध किया, बल्कि इन खेलों को अय्याशी का अड्डा भी बताया। तब रामदेव ने बाकायदा प्रैस काफ्रेंस कर बताया था कि दिल्ली में हो रहे कॉमनवेल्थ गेम में भारत को प्रतिभाग नहीं करना चाहिए था। रामदेव का कहना था कि कॉमनवेल्थ गेम्स में गुलामी की बू आती है, क्योंकि ये उन देशों का समूह है, जो कभी न कभी अंगे्रजों का गुलाम रहे। इसलिए इस प्रकार के गुलाम प्रतियोगिता से भारत को बाहर रहना चाहिए।
रामदेव यहीं नहीं रुके। रामदेव ने कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए तैयार किए गए खेल गांव के बारे में जो जानकारी दी, वह ेतब सभी इलेक्ट्रोनिक व प्रिंट मीडिया में छायी रही। रामदेव ने बताया कि कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए बनाए गए खेल गांव में सैकड़ों कंडोम वेंडिंग मशीन लगाई गई हैं। जिससे ऐसा लग रहा है कि कॉमनवेल्थ में कोई सेक्स प्रतियोगिता चल रही है।
रामदेव की इस प्रतिक्रिया पर काफी दिन तक बवाल भी हुआ, किंतु अपनी बात को राष्ट्रवाद से जोड़कर तब अपने को सही साबित करने में लगे रहे। उसके बाद रामदेव द्वारा दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित सत्याग्रह में जब तत्कालीन यूपीए सरकार ने रामदेव को लाठियां फटकारी तो रामदेव एक प्रकार से भाजपा के समर्थक बन गए। तब उन्होंने कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया। २०१४ के लोकसभा चुनाव में अबकी बार मोदी सरकार के नारे के लिए काम किया। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी को राष्ट्र ऋषि बताया।
भारतीय जनता पार्टी के लिए तन, मन, धन से काम करने वाले रामदेव के लिए अब काला धन और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे गौण हो गए हैं। कम से कम ऐसी उम्मीद उनसे उनके भक्तों के साथ-साथ भाजपा के मतदाताओं ने भी नहीं की होगी।