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जिला पंचायत ने दिए स्लाटर हाउस लाइसेंस!खाद्य सुरक्षा विभाग ने ठहरायाअवैध

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 कानून के पुस्तकीय ज्ञान में फेल सरकारी विभागों को ट्यूसन की दरकार
अवैध रूप से पशु वधशाला का प्रमाण पत्र देने में जुटा जिला पंचायत 
खाद्य सुरक्षा अधिकारी का बयान सभी निर्गत लाइसेंस अवैध
गिरीश गैरोला/ उत्तरकाशी।
खाद्य सुरक्षा एक्ट के नोटिफिकेसन वर्ष 2011 में जारी होने के बाद संबंधित विभागों ने इसे पढ़ने की जहमत नही उठायी। आलम ये है कि खुल्लेआम एक्ट की धज्जियां उड़ाई जा रही है। नियमों को ताक पर रखकर जिला पंचायत उत्तरकाशी ने 12 मटन विक्रेताओं को पशु वधशाला के लाइसेंस जारी कर दिए , वहीं चिन्यालीसौड़ नगर पंचायत ने भी बिना सोचे समझे मीट विक्रेताओं के पुराने लाईसेंस का नवीनीकरण कर डाला।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी रमेश सिंह ने बताया कि पशु बधशाला के लिए जमीन के चयन से लेकर भवन निर्माण और खून – हड्डी के निस्तारण के लिए तमाम नियमावली दी गयी है। नियमों के अंतर्गत लोकल बॉडी नगर पंचायत , नगर निगम , नगर पालिका अथवा जिला पंचायत अपना वेटनरी डॉक्टर रखकर पशु को मारने से पहले और बाद में उसका परीक्षण करेगी उसके बाद ही मांस बिकने के लिए दुकानों पर जा सकेगा। किन्तु सभी मानकों को पूर्ण करने के बाद अंतिम रूप से लाइसेंस देने का काम खाद्य सुरक्षा विभाग का है और जो भी लाइसेंस अन्य संस्थाओं द्वारा दिये गए है वे अवैध है। और एक भी मीट विक्रेता ने लाइसेंस के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग से संपर्क नही किया है।
गौर तलब है कि इससे पूर्व मनेरी में मांस बिकने का मामले हाई कोर्ट में चल रहा है। जिस पर जिला प्रशासन की तरफ से खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने ही काउंटर एफिडेविट दिया है।
भटवाड़ी के sdm देवेंद्र नेगी ने बताया कि राजस्व विभग का काम जमीन के चयन तक है। बाकी बातों के पालन के लिए जिला पंचायत की जिम्मेदारी बनती है। इसके लिए उसे सभी संबंधित विभागों के साथ बैठक कर मामले के समाधान के लिए पहल करनी चाहिये।
Sdm देवेंद्र नेगी की अगुवाई में तिलोथ में बुधवार को दो मांस विक्रेताओ की दुकान पर छापा मारकर अवैध मांस नष्ट करते हुए दोनों मांस विक्रेताओ पर 5 – 5 हजार रु का जुर्माना लगाया गया है। इससे पुर तहसीलदार द्वारा मनेरी में भी अवैध मांस बेचने के खिलाफ कार्यवाही की गई थी।
सभी को दिशा निर्देश जारी करने वाले सरकारी महकमों में ही जब आपसी तालमेल न हो , कानून और नियामवली की जानकारी न हो तो ऐसे में उन्हें एक्सट्रा क्लास देने का ही विकल्प शेष बचता है।
इसके अतिरिक्त सुअर, भैंस आदि बड़े जानवर का मांस काटने की दशा में स्थानीय थाना इंचार्ज की अनुमति भी जरूरी है ताकि कानून व्यवस्था खराब न हो सके। इसके अलावा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड  की एनओसी भी जरूरी होती है। हकीकत ये है कि संबंधित विभागों को ही अभी नियमावली की पूर्ण जानकारी नही है।
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