मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की पत्नी सुनीता रावत द्वारा बिना विभाग को जानकारी दिए, करोड़ों रुपये मूल्य की भूमि खरीदने का मामला सामने है। यह मामला सेवा आचरण नियमावली 1956 का कड़ा उल्लंघन है। श्रीमती रावत अजबपुर कलां के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बतौर सहायक अध्यापक तैनात हैं।
आरटीआई से हुए खुलासे के बाद यह बात सार्वजनिक हुई है कि सीएम की पत्नी सुनीता रावत ने 27 जुलाई 2012 व 30 नवंबर 2012 को 0.101 हैक्टेयर व 0.126 हैक्टेयर भूमि यानि लगभग 3 बीघा व 8 सितंबर 2010 को 833 वर्ग की आवासीय भूमि खरीदी है। जिसका बाजारी भाव करोड़ों में बताया जा रहा है।
मुख्यमंत्री की पत्नी पर आरोप है कि उक्त भूमि खरीदने से पहले उन्होंने कोई सूचना अपने विभाग को नहीं दी।
जाहिर है कि उक्त अनियमितता उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी नियमावली-1956 का सीधा-सीधा उल्लंघन है।
यह बात की पुष्टि इस तथ्य पर गौर करने से भी स्पष्ट हो जाता है कि उक्त नियमावली के बिंदु संख्या 24 में स्पष्ट उल्लेख है कि ”कोई सरकारी कर्मचारी, सिवाय उस दशा में, जबकि सम्बन्धित अधिकारी को इसकी पूर्ण जानकारी हो, या तो स्वयं अपने नाम से या अपने परिवार के किसी भी सदस्य के नाम से पट्टा, रहन, क्रय-विक्रय या भेंट द्वारा या अन्यथा, न तो कोई अचल सम्पत्ति अर्जित करेगा और न ही उसे बेचेगा।”
सर्वविदित है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पत्नी एक सरकारी कर्मचारी है। ऐसे में सरकारी पद पर होने के नाते मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का दायित्व भी बनता था कि अपनी पत्नी को भूमि खरीदते वक्त नसीहत दे सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और यह भूल कर बैठे कि धर्मपत्नी को विभाग से इसकी अनुमति भी दिलानी है।
इस संबंध में जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष एवं जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने जीरो टोलरेंस का नारा देने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मांग की कि अगर उनमें थोड़ी सी भी नैतिकता बची है तो अपनी पत्नी के खिलाफ विभाग को कार्यवाही हेतु लिखें।
इस मौके पर मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह, प्रभाकर जोशी, बागेश पुरोहित, प्रवीण शर्मा पीन्नी आदि थे।