नीरज उत्तराखंडी/ उत्तरकाशी
पुरोला में जल संस्थान की लापरवाही व गैरजिम्मेदारी के चलते नगरवासी गाड़ गदेरों का गन्दा पानी पीने को मजबूर हैं । विभाग द्वारा गाड-गदेरों से बिना फिल्टर किये सीधे पाइपलाइनें बिछाई गई है।जिससे गदेरों की गन्दगी नलों के माध्यम से घरों तथा होटलों तक पहुँच रही है।जिसका परिणाम नगरवासियों को जलजनित रोगों का शिकार हो कर भुगतना पड़ रहा है। प्रदूषित पानी पीने से नगरवासी कई जल जनित रोगों से पीड़ित हैं।जल संस्थान न तो टैंकों की सफाई पर ध्यान देता है और न ही पानी में क्लोरीन जैसी दवाईयाँ ही डालता है। जल संस्थान नगर वासियों को भले ही स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने में फिसडी साबित हो रहा हो लेकिन महीने के अन्त में बिना पानी की आपूर्ति के पानी के बिल भेजना नहीं भूलता है। किसके घर पर नियमित रूप से पानी पहुँचाना है तथा किसे पानी की आपूर्ति से वंचित रखना है ये जल संस्थान के कर्मचारियों की मन मर्जी पर निर्भर करता है।
पुरोला में नौरी,कुमोला,कोरना,हिरालनी,जटि याला व मैती आदि गाँव से निकली गंदगी कुमोला खड्ड में बहती है।इस गदेरे से विभाग ने कुमोला पेयजल लाईन बिना फिल्टर सिस्टम लगाये सीधे पानी टेप किया गया है ।जिससे दूषित पीने का पानी नगर पंचायत के खाबली सेरा में सप्लाई होता है। वही करडा गाँव के नीचे बुझाणा तोक से पुरोला के लिए बिछाई की पेयजल लाईन भी बिना फिल्टर सिस्टम लगाये सीधे पानी टेप किया गया है।बरसात के मौसम में मटमेला पानी सीधा घरों और होटलों में पहुँचता है प्रदूषित जल के सेवन से नगरवासी कई बीमारियों से जूझ रहें हैं। लेकिन विभाग की कुम्भकर्णी नहीं टूटी है।
पुरोला में नौरी,कुमोला,कोरना,हिरालनी,जटि
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार विकास खण्ड पुरोला में वर्तमान समय में 2659 घरेलू तथा 188 व्यवसायिक जल संयोजन बताये गये हैं।तथा 448 जल संयोजन पानी के बिल न मिलने या अवैध होने से विच्छेद किये गये बताये जा रहें है। सूचना अधिकार से मिली जानकारी के अनुसार विभाग 138 जल संयोजन पर वाटर मीटर लगाये जाने की बात कह रहा है।जबकि वाटर मीटर कहीं नजर नहीं आ रहे रहें हैं।मोरी व पुरोला ब्लाक में विभाग 38 पेयजल योजनाएं अनुरक्षित कर रहा है।तथा सभी पेय पेयजल योजना चालु हालत में बता रहा है । वहीं विभाग द्वारा लाखों रूपये की लागत से बनायें गये पेयजल संग्रह टेंक शोपीस बनकर रह गये हैं। मजेदार बात यह है कि निष्प्रयोजन सामग्री जो भण्डारण में एकत्र की जाती है उसका विभाग के पास कोई रिकार्ड नहीं है। न ही नीलामी की कोई कार्रवाई की गई है । जिससे विभाग की कार्य प्रणाली संदेह के घेरे में है । इस सम्बन्ध में जल संस्थान के अधिशासी अभियन्ता का पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल नम्बर पर सम्पर्क किया लेकिन बन्द होने के कारण बात नहीं हो सकी।