कुलदीप एस राणा
देहरादून के नियोजित निर्माण एवं विकास को लेकर मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण द्वारा तैयार देहरादून मास्टर प्लान 25 को उत्तराखंड हाइकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। न्यायमूर्ति राजीव शर्मा एवम् लोकपाल सिंह की खण्डपीठ द्वारा शुक्रवार दोपहर को सुनाये गए अपने फैसले मे मास्टर प्लान के निर्माण एवं इसे लागू किये जाने के संदर्भ में एमडीडीए द्वारा मानकों एवम वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ,भारत सरकार के नियमों का पालन न होने का दोषी मानते हुए मास्टरप्लान 25 को निरस्त कर दिया है।
राज्य निर्माण के बाद एमडीडीए द्वारा करोड़ों रुपयों की लागत से तैयार देहरादून का यह पहला मास्टर प्लान था, जिसे वर्ष 2005 में देहरादून में लागू किया जाना था। किन्तु विभागीय खामियों व निर्माण में लेटलतीफी के कारण यह 2007 में लागू किया जा सका।
लागू किये जाने के बाद से ही मास्टर प्लान खामियों के लिए सवालों के घेरे में आ गया। तब इसे देहरादून वासियों नही बल्कि बिल्डर्स व भूमाफियाओं का मास्टर प्लान कहा जाने लगा था।
प्राधिकरण एवम सरकार में बैठे तत्कालीन मंत्रियों अधिकारियों के कान में जू तक नही रेंगी,जबकि मास्टर प्लान को नोटिफाई करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है।
उत्तराखंड आर्किटेक्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष डी एस राणा का कहना है कि हमने शुरुआत में मास्टर प्लान की सैकड़ों खामियों को प्राधिकरण के संज्ञान में रख दिया था, जिस पर एमडीडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष ने यह कह दिया कि इतनी आपत्तियों का संसोधन अब सम्भव नही है, इन सभी आपत्तियों को जोनल प्लान में सुधार लिया जाएगा। जबकि खामियों से भरे उक्त मास्टर प्लान को बिना सुधार किये लागू ही नही किया जा सकता था। अब जब उत्तराखंड हाई कोर्ट ने देहरादून के मास्टरप्लान 2025 को निरस्त कर दिया है तो ऐसी दशा में लागू वर्ष से लेकर वर्तमान वर्ष 2018 तक उक्त मास्टर के आधार पर एमडीडीए द्वारा देहरादून में पारित समस्त नक्शे एवम निर्माण कार्य भी सवालों के घेरे में आ गए हैं।
हाइकोर्ट के फैसले को लेकर एमडीडीए के वीसी डॉ आशीष श्रीवास्तव कहना है कि उन्हें अभी कोर्ट का जजमेंट प्राप्त नही हुआ है कोर्ट का निर्णय के अध्ययन के बाद ही वह आगे की कार्यवाही तय करने की स्थिति में होंगे।
वहीं मास्टर प्लान को मूर्त रूप देने वाले टॉउन एवम कंट्री प्लानिंग विभाग के मुखिया एस के पंत कहते है कि हमने टॉउन एवम कंट्री प्लानिंग एक्ट के नियमों के तहत ही मास्टर प्लान का निर्माण कर शासन को भेजा था।