कृष्णा बिष्ट //
बृहस्पतिवार को बिटकॉइन करेंसी के $7000 पार करने के बाद भारत सरकार सतर्क हो गई है। नोटबंदी की तर्ज पर मोदी सरकार इनके डीलर्स को कभी भी बैन कर सकती है। बिटकॉइन को कैश मे खरीदने और बेचने से लेकर साइबर खतरों के प्रति सरकार चिंतित है। उपयोगकर्ताओं के गुम नाम रहने से भी सरकार चिंतित है।रिजर्व बैंक इसके विकल्प के रूप में लक्ष्मी नाम से इंडियन काॅइन लांच कर सकता है।
गौरतलब है कि पिछले 7 सालों में जिस बिटकॉइन की कीमत छह रुपये थी, वह अब साढे चार लाख रुपए से अधिक हो गई है। बिटकॉइन में निवेश करके लाखों कमा रहे लोगों के लिए हालांकि यह एक चिंतित करने वाली खबर भी है।
जिस तेज़ी से विश्व मे बिटकॉइन प्रचलित हो रहा है, उस ने पैसे की परिभाषा ही बदल कर रख दी है, अभी हाल ही मे उत्तराखंड मे बिटकॉइन के नाम से हुई धोखाधड़ी प्रकाश मे आ चुकी है, जिस के तार देहरादून से जुड़े मिले। तफ्तीश मे पाया गया कि कुछ लोग एक लोकल वेबसाइट के ज़रिये बिटकॉइन कैश मे कम दाम पर बेचने की पेश्काश करते थे। जब ग्राहक कैश लेकर उनसे मिलने जाता था तो वो उस का कैश लूट लेते थे। ये बिटकॉइन के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी का एक अकेला वाकया न्ही है।
इस तरह के पूरे देश मे कई मामले हो चुके हैं। जिस से जो लोग बिटकॉइन के बारे मे नहीं जानते, उनके मन मे बिटकॉइन को ले के गलत धारण बनना तय है। लेकिन जो लोग इस के विषय मे जानते हैं वो बिटकॉइन को इन्वेस्टमेंट का एक नया मौका मान रहे हैं। नोट बंदी के बाद से उत्तराखंड मे जिस प्रकार लोगों के मन मे बिटकॉइन को लेकर जिज्ञासा बढ रही है।
किन्तु आज भी कई लोग हैं, जिन्होंने या तो बिटकॉइन के विषय मे नहीँ सुना या अगर सुना भी है तो उन के मन मे बिटकॉइन को लेके कई भ्रांतिया हैं। यहाँ तक कि कई लोग तो बिटकॉइन को मल्टी लेवल मार्केटिंग तक समझते हैं।
किन्तु जानकारों की माने तो बिटकॉइन भविष्य की मुद्रा है। यहाँ तक कि 1 अप्रैल 2017 से बिटकॉइन को जापान क़ानूनी मान्यता दे कर ऐसा करने वाला विश्व का प्रथम देश बन चुका है।
यहाँ आप को यह बताते चलें कि बिटकॉइन के अस्तित्व मे आने के बाद से इस प्रकार की डिजिटल बाज़ार मे आज लगभग 800 क्रिप्टो करन्सी हैं। किन्तु बिटकॉइन दुनिया की पहली डिजिटल क्रिप्टो करन्सी (मुद्रा) है, जिस पर न तो किसी सरकार, बैंक या ऐजेन्सी का कोई नही नियंत्रण है।फिर भी इस की अपनी कीमत है।
आठ वर्ष पूर्व 1 बिटकॉइन की कीमत मात्र 6 रूपए थी। जो आज बढकर लगभग 4.5 लाख रूपए से अधिक हो चुकी है। बिटकॉइन का इस्तेमाल पूरी दुनिया मे कही भी और कभी भी किया जा सकता है। बिटकॉइन के जरिए कोई भी व्यक्ति कुछ ही पलों मे दुनिया के किसी भी कोने मे रकम भेज सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस के लिए उसे किसी भी बैंक या थर्ड पार्टी एजेंसी की मदद भी नहीं लेनी पड़ती, यानि आप जो भी पैसा किसी को भेजना चाहते हैं, आप अपने बिटकॉइन वॉलेट से उस के बिटकॉइन वॉलेट मे भेज सकते हैं।
यानि लेन–देन सीधे दो लोगों के बीच होता है। जिसे हम पीयर टू पीयर लेन-देन भी कहते हैं।
यह आर्थिक लेनदेन पूरी तरह इनक्रिप्टटेड होता है।जिस कारण यह पूरी तरह से सुरक्षित और तेज़ रहता है। इस आर्थिक लेनदेन की प्रक्रिया मे आप के वॉलेट मे पैसे इनक्रिप्टटेड बाईनरी कोड के रूप मे आते हैं। आज दुनिया मे लाखों लोग साधारण मुद्रा के स्थान पर बिटकॉइन का इस्तेमाल करने लगे हैं।
बिटकॉइन का निर्माण सन 2008 मे एक जापानी प्रोग्रामर संतोशी नाकामोतो द्वारा किया गया था। यह बात अलग है की आज तक संतोशी नाकामोतो कौन है, इस का किसी को कुछ पता नहीं है।
समय –समय पर कई लोगों ने खुद के सतोशी नाकामोतो होने का दावा ज़रूर किया है, किन्तु उनमे से कोई भी खुद को सतोशी नाकामोतो साबित नहीं कर पाया। सतोशी नाकामोतो ने ही बिटकॉइन नेटवर्क के मूल नियमों को बनाया और फिर 2009 में एक ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर दुनिया के लिए जारी कर दिया। तब तक वो केवल ईमेल और सोशल मैसेज के द्वारा ही दुनया से संपर्क मे रहे। किन्तु दो साल बाद संतोशी गायब हो गए, अब कोई भी सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर इसका प्रयोग कर सकता है, सतोशी भी औरों की तरह इस सॉफ्टवेयर का उपयोग तो कर सकते हैं, किन्तु वो अब बिटकॉइन नेटवर्क पर नियंत्रण नहीं रख सकते हैं।
माना जाता है कि जब सतोशी नाकामोतो ने बिटकॉइन की शरुआत की थी तो उनका मकसद इस को मुद्रा मे बदलना नहीं था, बल्कि उन्होने सिर्फ ये साबित करने के लिये किया कि बिना बैंक का थर्ड पार्टी के मुद्रा का लेन-देन दो लोगो के बीच तेज़, सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से हो सकता है।
22 मई 2010 को एक पिज्ज़ा के बदले 10,000 बिटकॉइन देने की पेशकश की गई थी, आज के हिसाब से वो पिज़ा लगभग 4.5 करोड़ से अधिक का है।
ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर पर आधारित बिटकॉइन नेटवर्क, जिसका निर्माण सतोशी नाकामोतो ने ज़रूर किया था, किंतु आज दुनिया के सैकड़ों प्रोग्रामर इन फीचेर्स को और भी ज्यादा मजबूत और सुरक्षित बना रहे हैं, किसी डिजिटल डेटा के साथ तो छेड़छाड़ की जा सकती है, किन्तु बिटकॉइन के साथ यह संभव नहीं है। जिस प्रकार बैंक आपके पैसे का हिसाब प्लस और माइनस में रखते हैं, वैसे ही ब्लॉक चैन मे हर एक बिटकॉइन का हिसाब रखा जाता है। यानि दुनिया मे कहीं भी कभी भी हुए किसी भी लेनदेन का हिसाब हमेशा ब्लाक चैन मे मौजूद रहता है।
आज बिटकॉइन के लेनदेन को सुरक्षित बनाने व ट्रांजैक्शनस पर अपने ताकतवर कंप्यूटरों के माध्यम से नज़र रखने वाले हजारों लोग हैं, किन्तु इन मे से जो भी व्यक्ति ऐसा सफलतापूर्वक करता है उसे इनाम के तौर पर कुछ बिटकॉइन दिए जाते हैं, इसे ही बिटकॉइन माइनिंग कहा जाता है।
दरअसल कोड लैंग्वेज में होने वाले इस लेन देन पर नज़र रखने वाले ये लोग किसी बैंक क्लर्क की तरह काम करते हैं जिन्हें माइनर्स कहा जाता है। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए इन को एक जटिल गणितीय समीकरण से गुज़ारना पड़ता है और जो भी माइनर इस गुत्थी को सबसे पहले हल कर लेता है, उसे इनाम के तौर पर करीब 12.5 बिटकॉइन मिलते हैं।और इस तरह से बिटकॉइन डिजिटल बाजार में आ जाते हैं।
बिटकॉइन की अर्थ व्यवस्था का निर्माण इस तरह से किया गया है कि एक निश्चित समय में बिटकॉइन की संख्या आधी रह जाती है। शुरुआत में 1 ब्लॉक से 50 बिटकॉइन निकला करते थे। प्रति ब्लॉक हर बिटकॉइन की संख्या 4 वर्ष में आधी रह जाती है। इसलिए आज से 123 वर्ष बाद नये बिटकॉइनों का निर्माण बिल्कुल बंद हो जाएगा।
अभी तक लगभग विश्व मे 16 मिलियन बिटकॉइन वितरित हो चुके हैं, और गणना के हिसाब से 2140 तक दुनिया में 2 करोड़ 10 लाख बिटकॉइनों का निर्माण हो चुका होंगा।
आज भारत मे कई बिटकॉइन एक्सचेंज मौजूद हैं, जहां कोई भी अपना बिटकॉइन अकाउंट बना कर आसानी से बिटकॉइन खरीद व बेच सकता है।
लेकिन इस के साथ–साथ बिटकॉइन के अपने खतरे भी हैं जैसे बिटकॉइन की वैल्यू काफी ऊपर नीचे होती रहती है, आज अपराधियों के लिये भी बिटकॉइन फिरौती लेने का एक सुरक्षित व आसान तरीका बन गया है।
जिस तरह कई देशो मे लेनदेन के लिये बिटकॉइन के ए.टी.एम तक लग गए हैं। अगर बिटकॉइन की लोकप्रियता यु ही बढती रही तो वो दिन दूर नहीं जब बिटकॉइन एक सोशल सिम्बल होगा।