सतपाल महाराज की दीवार तोडने वाले मेयर मनोज गर्ग को इसबार मिल पाएगा टिकट?
कुमार दुष्यंत हरिद्वार।नगर निगम चुनावों का रण आरंभ होने में अब बस कुछ वक्त शेष है।भाजपा व कांग्रेस ने मेयर पद के अपने संभावित प्रत्याशियों के आवेदनों की समीक्षाएं आरंभ कर दी हैं।कांग्रेस से दस व भाजपा में करीब डेढ दर्जन लोगों ने मेयर पद के लिए आवेदन किया है।इन दावेदारों में से ही पार्टियों को अपने प्रत्याशी का चयन करना है।भाजपा की सूची में आवेदक के तौर पर मेयर मनोज गर्ग का भी नाम है।लेकिन बड़ा सवाल है कि उनके कार्यकाल को देखते हुए क्या इस बार पार्टी उन पर दांव लगाएगी?
मेयर मनोज गर्ग का पांच साल का कार्यकाल विवादों से भरा रहा है।वह अपने पूरे कार्यकाल में विभिन्न चुनौतियों से जूझते रहे।नतीजतन नगर विकास व जनता की बेहतरी के कार्यों पर उतना ध्यान नहीं दे पाए।जितनी उनसे अपेक्षा थी।
मनोज गर्ग के पूरे कार्यकाल में निगम की गाडी पटरी से उतरी रही।कर्मचारियों के बकाया वेतन-भत्तों ने चार साल उनकी नींद उडाए रखी।चालू वर्ष में विभिन्न मदों से हुई आय के बाद वह इस चिंता से मुक्त हो सके।उस पर तुर्रा ये कि निगम कर्मी भी पूरे कार्यकाल में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर उनके सामने मौर्चा खोले रहे।बोर्ड बैठकों में भी उनके अपने ही उनके सामने डटे रहे।नतीजतन कर वसूली, बोर्ड की आय के साधन जुटाने जैसे लक्ष्य उनसे छूट गये।निगम की लीज की संपत्तियों को कब्जे में लेने में भी कोई प्रगति नहीं हुई।चित्रा टाकीज के सामने की दुकानों का मुद्दा अब भी नाक पर मक्खी की तरह कायम है।मेयर को कांग्रेस सरकार में पूरे चार साल ये शिकायत बनी रही कि राज्य सरकार उनके साथ दुर्भावना से काम कर रही है।इसके लिए उन्होंने दाढी बढाओ आंदोलन भी किया ।लेकिन चार महीने तक जब उनकी बढती दाढी का सरकार ने संज्ञान नहीं लिया तो उन्हे यह आंदोलन भी बीच में ही छोडना पड़ा।
इसके बाद कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के आश्रम की दीवार तोडने का विवाद व बाद में सीएमआई में भर्ती हो जाना भी उनके खिलाफ जा रहा है।सूत्रों की मानें तो इस बार उनके राजनीतिक गुरु का आशीर्वाद भी उनके साथ नहीं है।उनके सहोदरों विकास तिवारी , नरेश शर्मा , सुभाषचंद ने मेयर के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर मनोज गर्ग की चुनौती को ओर बढा दिया है।कांग्रेस से जहां सतपाल ब्रह्मचारी का टिकट पक्का माना जा रहा है।वहीं मनोज गर्ग की नैय्या मंझधार में दिखाई दे रही है।