• Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • वेल्थ
  • हेल्थ
  • मौसम
  • ऑटो
  • टेक
  • मेक मनी
  • संपर्क करें
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home पर्वतजन

मणिपाल से मिली मुक्ति

in पर्वतजन
0
1
ShareShareShare

Related posts

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के ईएनटी सर्जन ने पॉच साल के बच्चे की श्वास नली से निकाली सीटी

March 28, 2023
36

श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में सांस्कृतिक सप्ताह का आयोजन

March 28, 2023
19

टिहरी विधानसभा में पूर्व मंत्री दिनेश धनै की हार से उनके समर्थक और विरोधी चाहे जैसी भी मनोस्थिति में हों, किंतु सामुहिक रूप से सबको उनके खासमखास मणिपाल की मनमानियों से पिंड छूटने की खुशी है।

कुलदीप एस. राणा

manipal-se-mili-mukti

उत्तराखंड में पहली बार ऐसा वाकया देखने में आ रहा है कि किसी विधायक की हार का मातम नहीं, बल्कि उसके एजेंट से मुक्ति मिलने का जश्न मना रही है। जी हां टिहरी विधायक और कैबिनेट मंत्री रहे दिनेश धने से आम जनता को परेशानी भले ही न रही हो, लेकिन उनके एजेंट मनिपाल से सरकारी विभागों के अधिकारी कर्मचारी इतने त्रस्त हो चुके थे कि चुनाव में धनै के हारने का इंतजार करने के बजाय खुद ही उन्हें हराने के लिए उतर पड़े। इसके लिए कर्मचारियों ने दिल खोलकर पल्ले से दमड़ी खर्च करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी और टिहरी विधानसभा क्षेत्र के अपने रिश्तेदारों को फोन कर-करके धनै को हराने की मुहिम में दिन-रात एक कर दिया। नतीजा यह हुआ कि धने को सिर्फ इन्हीं फोन कॉल की वजह से तीन हजार से अधिक वोट का नुकसान झेलना पड़ा।
ऐसा नहीं था कि धने के चुनावी कमान संभालने वाले रणनीतिकारों और कार्यकर्ताओं को ‘मणिपाल फैक्टरÓ की वजह से होने वाले नुकसान का अंदेशा न रहा हो, उन्होंने तो पहले ही डैमेज कंट्रोल के तौर पर धनै को साफ-साफ कह दिया था कि यदि चुनाव जीतना चाहते हो तो मणिपाल को ऋषिकेश के ढालवाला से ऊपर मत आने देना, किंतु तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डैमेज कंट्रोल का आंशिक असर तो हुआ, किंतु धनै के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में मणिपाल से त्रस्त कर्मचारियों की मुहिम अपना काम कर चुकी थी।
कर्मचारियों और ठेकेदारों के बीच धनै का वसूली एजेंट के नाम से चर्चित हो चुके मणिपाल नेगी की बदतमीजी और कारगुजारियों से न सिर्फ विभाग के कर्मचारी परेशान थे, बल्कि चिकित्सा शिक्षा के शिक्षक और स्टूडेंट्स को भी मणिपाल की हरकतों का खामियाजा भुगतने को मजबूर होना पड़ा। यहां विभागीय मंत्री के इस चहेते की हरकतों के कारण एक शिक्षक को अपनी नौकरी से त्यागपत्र तक देना पड़ा।
वाकया देहरादून में स्थित स्टेट स्कूल ऑफ नर्सिंग में एडमिशन से जुड़ा है। मणिपाल ने मंत्री धनै की विधानसभा क्षेत्र की कल्पना सजवाण नाम की लड़की को जीएनएम के कोर्स में अवैध एडमिशन करवाने के लिए जो हथकंडे अपनाए, उससे शिक्षा जगत के साथ-साथ सूबे की अस्मिता भी दागदार हुई।
दरअसल जीबी सेबेस्टियन स्थापनाकाल से ही दून नर्सिंग स्कूल में संविदा ट्यूटर पर रहते हुए शिक्षण का कार्य करते आ रहे थे। अपनी विशिष्ट शिक्षण शैली और विषय पर पकड़ के कारण वे स्टूडेंट्स में सबसे लोकप्रिय थे। स्कूल प्रशासन ने सेबेस्टियन को अध्यापन के साथ-साथ सत्र की शुरुआत में होने वाले एडमिशन के लिए मेडिकल विवि द्वारा जारी मेरिट के आधार पर चयनित अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट और अलॉटमेंट लेटर को वैरिफाई करने की जिम्मेदारी सौंप रखी थी, जिसे वे पूरी सतर्कता के साथ अंजाम देते आ रहे थे। वर्ष 2016 के सत्र के शुरुआत में जब वे स्टूडेंट्स के डाक्युमेंट्स वैरिफाई करने के कार्य को अंजाम दे रहे थे, उसी दौरान उन्होंने पाया कि कल्पना सजवाण नाम की लड़की बिना सर्टिफिकेट और अलॉटमेंट लेटर वेरिफाई कराये जीएनएम की क्लास में बैठ रही है, जिसके बारे में कहा जा रहा था कि वह गवर्नमेंट स्कूल ऑफ नर्सिंग हरिद्वार से ट्रांसफर लेकर आई है। वह प्रिंसिपल हंसी नेगी के कहने पर ही क्लास में बैठ रही थी।
सेबेस्टियन के पास दून और हरिद्वार दोनों स्कूल के अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट वैरिफिकेशन की जिमेदारी थी, जिस वजह से विवि द्वारा जारी मेरिट लिस्ट की एक-एक कॉपी इनके पास भी उपलब्ध थी। सेबेस्टियन द्वारा छानबीन करने पर पाया कि विवि द्वारा जारी तीनों मेरिट लिस्ट में से किसी में भी कल्पना सजवाण का नाम नहीं है। जिस पर बार-बार कहने के बावजूद भी कल्पना ने डॉक्युमेंट नहीं प्रस्तुत किये तो विवश होकर इस पूरे प्रकरण की लिखित सूचना प्रिंसिपल हंसी नेगी को दे दी। ऐसा करने पर हंसी नेगी सेबेस्टियन पर आग बाबुल हो गयी और धमकाते हुए कहने लगी कि तुम्हें क्या प्रॉब्लम जब मैंने उसे क्लास में बैठने की परमिशन दी है, तुम एक ठेके के ट्यूटर हो, अपनी हद में रहो, ज्यादा दखलंदाजी करने की जरूरत नहीं है। सेबेस्टियन प्रिंसिपल हंसी नेगी के इस बदले हुए व्यवहार से भौचक्के रह गए, क्योंकि सवा साल पहले जब वह अपना त्यागपत्र लेकर हंसी के पास गए थे तो इसी ने यह कहते हुए कि तुम एक काबिल ट्यूटर हो। स्कूल और स्टूडेंट्स को तुम्हारी जरूरत है। ये स्कूल तुम्हारे बिना कैसे चलेगा, त्यागपत्र को आगे फॉरवर्ड नहीं किया और सेबेस्टियन को रोक लिया। अब उसी के इस बदले हुए स्वाभाव को देख दुखी हुए। अगले दिन ही हंसी नेगी ने इस प्रकरण की सूचना मंत्री धनै तक पहुंचा दी। जिस पर धनै के पीए कहे जाने वाले मणिपाल नेगी ने सेबेस्टियन को फोन करके मंत्री के आवास पर बुलाया और वहां आयी हुई तमाम पब्लिक व मीडिया के सामने अपनी गुंडई दिखाते हुए धमकाया कि तुम केरल के हो, उल्टा लटकाकर तुम्हें खींचते हुए ट्रेन में बैठा वापस भेज देंगे।
देवभूमि कहे जाने वाले प्रदेश में जनता के सेवक मंत्री के आवास में घटित हुए इस पूरे घटनाक्रम ने सेबेस्टियन को बुरी तरह भयभीत कर दिया।
एक ऐसा शिक्षक जिसकी जीएनएम और पैरामेडिकल साइंस पर लिखी तीन-तीन किताबें पूरे देश में पढ़ी और पढ़ाई जाती हो। जीएनएम का कोर्स किए स्टूडेंट नौकरी में 40 -50 हजार का वेतन पाते हो और पढऩे वाले को सरकार मात्र 20 हजार रुपये का वेतन दे, वो भी समय पर न मिले और न ही साल दर साल कोई बढ़ोतरी हो, फिर भी अपने कार्य को पूरी निष्ठा से निभा रहा हो, ऐसे के साथ हुए इस अत्याचार के जब विरोध में स्कूल के स्टूडेंट्स ने धरना प्रदर्शन करना शुरू किया तो मंत्री के इस गुंडे के इशारे पर स्कूल प्रशासन ने अध्यापक सेबेस्टियन पर इस कदर नौकरी छोडऩे का दबाव बनाया कि मजबूर होकर उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा।
कल तक एलआईसी का एक इंश्योरेंस एजेंट जो बीमा पॉलिसी बेचने के लिए लोगों में मनुहार किया करता था, धनै के मंत्री बनने के बाद एकाएक बॉस बन बैठा।
मणिपाल ने मंत्री के आफिस और आवास के सरकारी नंबरों से अधिकारी और कर्मचाकरियों को फोन कर डराना-धमकाना शुरू कर दिया। अपने आका के मंत्री बनने की धौंस में मणिपाल ने विभागीय व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के बजाय बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बिना किसी अधिकार के मेडिकल कॉलेज के निर्माण कार्यों का मुआयना करना और कर्मचारियों और मजदूरों को धमकाते हुए मणिपाल को अक्सर देखा जा सकता था।
सत्ता की ताकत के अहंकार में डूबे मणिपाल यह भूल गया कि जिनके दम पर वह इतना इतरा रहे हैं, उन्हें आगे भी चुनाव लडऩा है और लोकतंत्र में सरकारी कर्मचारी भी वोटर होता है। इसी तरह से गढ़वाल मंडल विकास निगम के कंपनी सेक्रेटरी भी जब उनके गलत कार्यों में सहभागी नहीं बना तो उसे निकालने के लिए मणिपाल मंत्री के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री तक पहुंच गया था। कंपन्नी सेक्रेटरी और सेबेस्टियन जैसे लोगों के साथ जनसेवकों का यह आचरण लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर भी सवाल खड़ा करता है।

मणिपाल को जाता है धनै की हार का पूरा श्रेय

कोई भी अधिकारी हो या कर्मचारी उसे कैबिनेट मंत्री दिनेश धनै से मिलने के लिए मणिपाल रूपी लक्ष्मण रेखा को पार करना अति आवश्यक था। यदि कोई बिना अनुमति के मंत्री से मिलने जाता तो उसे मणिपाल के कोपभाजन का शिकार होना पड़ता था। उसकी मणिपाल वहीं पर बेइज्जती कर देता था, इस डर से कोई मंत्री से मिलने का साहस नहीं करता था। हालांकि मंत्री जी को इन सब बातों की भनक भी नहीं लगती थी और यदि कोई इस बात को घुमा फिराके कहता तो उसे मजाक में ले लिया जाता। उदाहरण के लिए जीएमवीएन में कार्यरत कंपनी सचिव से किसी बात पर मणिपाल की अनबन हो गई। बस फिर क्या था, उसने कंपनी सचिव को हटाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। विकास कार्यों पर ध्यान देने के बजाय एक अदने से कंपनी सचिव को हटाने के लिए एक अच्छे और कर्मठ एमडी को ही बदलवा दिया। निगम जहां डूबने की कगार पर है, उसे राजनीति का अखाड़ा बनाकर और बर्बाद करने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इतना ही नहीं एक भ्रष्ट अधिकारी से धन लेकर खुलेआम प्लास्टिक की पन्नी में लहराते हुए जाना और सबको कहना कि दस करोड़ का टारगेट पर्यटन विभाग से मिला है, ऐसे ही पूरा होगा। ऐसे हरकतों के कारण मणिपाल चर्चित था। हालांकि कुछ दिनों बाद पैसे देने वाला अधिकारी निलंबित हो गया।
मणिपाल की माया की इच्छा यहीं खत्म नहीं हुई। जो भी लोग विभागीय मंत्री से काम करवाते मणिपाल अपनी अलग से सैटिंग के जुगाड़ में रहता और लोगों को परेशान करता था। इस बात की शिकायत एक मेडिकल कालेज के मालिक ने भी की थी।
सरकारी विभागों मे बेलगाम मणिपाल किसी को भी धमकाने में नहीं हिचकते थे। मंत्री भले ही शालीनता से पेश आएं पर मणिपाल धमकाने से बाज नहीं आते थे। इससे परेशान होकर मेडिकल कालेज के एक टीचर ने इनके खिलाफ शिकायत भी की और थाने में भी तहरीर दी। हालांकि बीच-बचाव कर मामले को रफा-दफा कर दिया गया।
सत्ता की हनक इतने हिलोरें मारने लगी कि मणिपाल ने लोगों की जमीन पर कब्जा तक कर डाला। मामला अखबारों में खूब उछला, थाने में शिकायत भी हुई। इस मामले में खुद मंत्री को हस्तक्षेप कर मामला रफा-दफा करना पड़ा।
मणिपाल का आतंक का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव परिणाम आने पर इनसे संबंधित विभागों में जैसे ही मंत्री जी की हार की सूचना प्रसारित हुई, जश्न का माहौल हो गया। पहली बार इस तरह का अनोखा जश्न देखने को मिला। चुनाव परिणाम के ठीक एक दिन बाद होलिका दहन था और लोग इसे दशहरा नाम से पुकार रहे थे। मंत्री दिनेश धनै से विभागीय लोग उतने नाराज नहीं थे, जितने कि मणिपाल से थे। एक कर्मचारी का कहना है कि मणिपाल ने उन्हें एक बार भी मंत्री जी से अपनी बात कहने का मौका नहीं दिया और उनका बिना किसी कारण के फुटबाल बना रखा था। अब चुनाव में देखते हैं। वे भी उसी विधानसभा से ही हैं। मंत्री के सपोर्ट का मणिपाल ने गलत तरीके से उपयोग किया, जिसका परिणाम हार के रूप मे चुकाना पड़ा। विभागीय कर्मचारियों के आपसी झगड़े में भी मणिपाल का दखल बढ़ता गया और उसने किसी एक का पक्ष लेकर दूसरे पर गलत कार्यवाही भी करवायी। इससे लोगों में काफी नाराजी थी और मणिपाल के सताए हुए सभी लोगों ने लामबंद होकर चुनाव की दिशा को ही पलट दिया।

Previous Post

डबल इंजन का दम

Next Post

सचिवालय में ऐसे मनाया महिला सशक्तिकरण!

Next Post

सचिवालय में ऐसे मनाया महिला सशक्तिकरण!

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Recent News

    • बड़ी खबर: खाई में गिरा पोकलैंड वाहन । एक घायल
    • बड़ी खबर : यहां मेडिकल छात्रों से फिर हुई रैगिंग। कॉलेज प्रशासन ने लिया सख्त एक्शन
    • एक्सक्लूसिव खुलासा : अफसर जी-20 में व्यस्त , माफिया खनन में मस्त । सुने ऑडियो, देखें वीडियो

    Category

    • उत्तराखंड
    • पर्वतजन
    • मौसम
    • वेल्थ
    • सरकारी नौकरी
    • हेल्थ
    • Contact
    • Privacy Policy
    • Terms and Conditions

    © Parvatjan All rights reserved. Developed by Ashwani Rajput

    No Result
    View All Result
    • Home
    • उत्तराखंड
    • सरकारी नौकरी
    • वेल्थ
    • हेल्थ
    • मौसम
    • ऑटो
    • टेक
    • मेक मनी
    • संपर्क करें

    © Parvatjan All rights reserved. Developed by Ashwani Rajput

    error: Content is protected !!