आरटीआई रिसीव न करने को लेेकर विनायक शुक्ला ने की गाली-गलौच
हाथापाई करने पर उतारू, अन्य कर्मचारियों ने किया बीचबचाव
फुलसनी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता प्रमोद कुमार डोभाल के साथ यूजेवीएनएल के कर्मचारी ने गाली-गलौच कर दी। यदि वहां अन्य कर्मचारी मौजूद नहीं होते तो वे हाथापाई कर चुके होते।
आरटीआई कार्यकर्ता प्रमोद कुमार डोभाल १७ मार्च २०१८ शनिवार ११:30 बजे उत्तराखंड जल विद्युत निगम लि. महारानी बाग जीएमएस रोड पर जब एक आरटीआई आवेदन जमा कराने गए तो उन्हें गेेट से रूम नंबर ४ पर भेजा गया। रूम नंबर ४ में पहुंचने पर वहां बताया गया कि विनायक शुक्ला नाम के व्यक्ति सूचना से संबंधित डाक रिसीव करते हैं।
इस पर प्रमोद डोभाल श्री शुक्ला के कमरे में गए और उन्हें अपना सूचना आवेदन पत्र दिया। विनायक शुक्ला ने एक सरसरी नजर उस आवेदन पत्र पर मारी और भड़क गए कि हम आरटीआई रिसीव नहीं करते हैं। आपको जो करना है कर लो। श्री शुक्ला द्वारा अचानक किए गए इस दुव्र्यवहार के कारण ६० वर्षीय आरटीआई कार्र्यकर्ता प्रमोद कुमार डोभाल, जो हाई ब्लड प्रेशर व सुगर के मरीज हैं, सहम गए। विनायक शुक्ला इतने आवेश में आ गए कि यदि वहां पर यूजेवीएन के अन्य कर्मचारी मौजूद नहीं होते तो वे श्री डोभाल के साथ मारपीट कर चुके होते।
सवाल यह है कि जब प्रदेशभर में किसी भी सरकारी संस्थानों से आरटीआई में कोई भी जानकारी हासिल करने का प्रावधान है तो फिर विनायक शुक्ला ने उक्त आवेदन पत्र में ऐसा क्या पढ़ लिया, जिससे उनका पारा इतनी जल्दी सातवें आसमान पर पहुंच गया। क्या उस पत्र में कोई ऐसी जानकारी तो नहीं मांगी गई थी, जिससे यूजेवीएन की साख पर बट्टा लग सकता था। यदि यूजेवीएन के लिए कोई समस्या वाला प्रश्न उस आरटीआई में नहीं मांगा गया था तो फिर श्री शुक्ला को उक्त आरटीआई रिसीव करने में ऐसी कौन सी दिक्कत आ पड़ी, जिससे वे हाथापाई तक पहुंच गए।
इस संबंध में जब उज्जवल के प्रबंध निदेशक एसएन वर्मा से पूछा गया तो उनका कहना था कि हमारे यहां आरटीआई रिसीव करने का प्रावधान है। हालांकि उन्होंने यूजेवीएन में शुक्ला नाम के कोई भी कर्मचारी न होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया।
इस संबध में जब लोक सूचना अधिकारी अशोक यादव से पूछा गया तो उनका कहना था कि शुक्ला तो उपनल कर्मचारी है। वह आरटीआई के लिए ऑथराइज्ड ही नहीं है। ऐसे में वह आरटीआई रिसीव नहीं कर सकते। ऐसे में सवाल यह है कि जब शुक्ला आरटीआई का काम ही नहीं देखते तो फिर आरटीआई कार्यकर्ता प्रमोद डोभाल को ४ नंबर रूम से श्री शुक्ला के पास क्यों भेजा गया? श्री यादव ने कह कि यदि उन्हें कोई भी आरटीआई लगानी है तो वे डाक से अथवा स्वयं मेरे पास आकर आरटीआई जमा करा सकते हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता प्रमोद कुमार डोभाल कहते हैं कि उनका ब्लड प्रेशर हाई है और वे सुगर के मरीज हैं। यदि श्री शुक्ला के दुव्र्यवहार से उनका स्वास्थ्य बिगड़ जाता तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होती। जब वे ६० वर्ष के व्यक्ति के साथ ऐसी बदतमीजी कर सकते हैं तो श्री शुक्ला जवान लोगों के साथ कैसा दुव्र्यहार करते होंगे, आसानी से समझा जा सकता है। प्रमोद डोभाल कहते हैं कि यदि भविष्य में किसी आरटीआई को लेकर वे यूजेवीएन में जाते हैं और वहां कर्मचारियों द्वारा ऐसा ही दुव्र्यवहार करने पर उनका स्वास्थ्य खराब होता है तो इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी यूजेवीएन की होगी।
कुल मिलाकर इस तरह के दुव्र्यवहार करने वाले कर्मचारियों के कारण ही यूजेवीएन की साख खराब हो रही है।