प्रदेश में पर्यटन के सबसेे अग्रणी कार्यदायी संस्थान गढ़वाल मंडल विकास निगम की पिछले एक हफ्ते से वेेबसाइट बंद है। जिससेे निगम के कारोबार को लाखों का नुकसान हो रहा है। वेबसाइट ऐसे समय पर बंद हुई, जब उत्तराखंड आने वाल पर्यटकों का सबसे आदर्श समय माना जता है। 18 अप्रैल से यमुनोत्री,गंगोत्री के खुलने है और चारधाम यात्रा प्रारंभ होने जा रही है और पिछले एक सप्ताह से ऑनलाइन बुकिंग का कार्य बंद पड़ा है, यह समझ से परे है।
इस संबंध में निगम के समन्वयक (हुनर से रोजगार) विनीत बहुगुणा का कहना है कि निगम की वेबसाइट काफी पुरानी थी, जिससे व्यवसाय को और बेहतर करने के लिए पर्यटन के लिए बनी मार्केटिंग साइट जैसे यात्रा डॉट कॉम, मेक माई ट्रिप आदि के अनुकूल बनाया जा रहा है, जिससे प्राइवेट से काफी अच्छा व्यवसाय अर्जित किया जा सके। कारण चाहे जो भी हो, वर्तमान समय पर पर्यटन की ऑनलाइन बुकिंग की साइट का बंद होना या इस पीक सीजन पर ऑनलाइन बुकिंग न होना किसी के समझ में नहीं आ रहा है।
एक ओर जहां वर्तमान प्रबंध निदेशक अपने कड़े फैसलों से निगम को फायदे में लाने के लिए रोज कर्मचारियों के निशाने पर आ रही है। वहीं नीति नियंता इस प्रकार के अविवेकशील निर्णय या सलाहों से निगम को राजस्व का भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। अब सवाल यह है कि जो कार्य आज इस समय हो रहा है, जिससे जीएमवीएन को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, यह कार्य कुछ समय पहले क्यों नहीं कर दिया गया? या फिर कुछ समय और इंतजार क्यों नहीं किया गया?
आंकड़े बताते हैं कि 4 अप्रैल को वेबसाइट के माध्यम से अंतिम बुकिंग की गई थी और इस तिथि से आज तक कोई भी ऑनलाइन बुकिंग नहीं हो पाई है। नई बनी वेबसाइट पर वर्तमान में भी तमाम खामियां हैं, जैसे कि किसी होटल की उपलब्धता भी स्पष्ट नहीं है और होटल के किराये का ऑप्शन कमरा बुक करने के बाद आ रहा है, जिससे पर्यटकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पहले किसी भी होटल की डिटेल वर्णमाला के अनुसार आता था, जिससे पर्यटकों को जगह ढूंढने में दिक्कत नहीं होती थी, किंतु वर्तमान में वर्णमाला के हिसाब से होटलों के नाम न होने से पर्यटकों को खासी दिक्कत होती है।
निगम में पूर्व से ही वेबसाइट का कार्य कुछ मठाधीशों के बीच फुटबाल बना रहा। बिजनेस और वेबसाइट की बेहतरी के लिए क्या किया जाए, यह तो पता नहीं, किंतु व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए यह साइट का कार्य पहले से ही उत्तम उर्वरक का माध्यम बना रहा। यदि इसके अतीत में झांका जाए और साइट इंचार्ज का विवरण देखा जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि जिन लोगों का इससे कोई लेना-देना नहीं है, वह इस पर कुंडली मारे बेठे रहे। यह भी तब, जब इस कार्य को करने के लिए निगम ने विशेषज्ञों को भर्ती किया हुआ हैै, किंतु कभी भी इसमे विशेषज्ञ लोगों को नहीं पूछा जाता है, जिसकी जो मर्जी अपने हिसाब से हैंडिल घुमा रहा है। यह एक टेक्निकल कार्य है और टैक्निकल लोग ही इस बारे में भली-भांति जानकारी रखते हैं, किंतु नीति निर्माता अपने हिसाब से ही हित साधने में लगे हैं। अपने कार्य से किसी को कोई मतलब न होकर दूसरे कार्यों में उलझन बनना कुछ लोगों का फैशन हो गया है निगम में।
प्रबंध निदेशक से इस संबंध में कुछ कड़ा फैसला लेने की उम्मीद निगम कर्मचारियों के साथ पर्यटन से जुड़े प्रदेशवासियों को भी हैं।
जिस प्रकार उनके द्वारा निगम हित मे किए गए स्थानांतरण पर उनकी तारीफें हुई हैं, उससे कर्मचारियों की उनसे अपेक्षा बढ़ गई है।