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समाज के लिए संबल हैं सबिन बंसल

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सरल स्वभाव के सबिन बंसल पिछले दिनों राज्य मंत्री रेखा आर्य से तनातनी के चलते सुर्खियों में आए। सामाजिक सरोकारों में आगे रहने वाले अल्मोड़ा के डीएम सबिन बंसल जनता के बीच खासे लोकप्रिय हैं

कृष्णा बिष्ट

सुर्खियों से दूर रह कर अपने कार्य को बेहतरीन ढंग से आनंद के साथ किस प्रकार किया जाता है, इसका जीवंत उदाहरण 2009 बैच के आईएएस अधिकारी सबिन बंसल हैं, जो अक्टूबर 2015 से अल्मोड़ा जिले के जिला अधिकारी के तौर पर कार्यरत हैं। एन.आई.आई.टी. कुरुक्षेत्र से बीटेक श्री बंसल की कार्य शैली में एनआईआईटी की रचनात्मकता की झलक साफ नजर आती है, जो जिलाधिकारी के तौर पर न केवल अपनी इस रचनात्मकता के लिए जाने जाते हैं, अपितु अपने उत्कृष्ट सामाजिक कार्यों के लिए भी अलग पहचान रखते हैं। फिर चाहे हाल ही में जनपद स्थित बालिका निकेतन की तीन छात्राओं का स्वयं के प्रयासों से देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार में उच्च शिक्षा हेतु प्रवेश दिलवाना हो, मलिन बस्ती में रहने वाले बच्चों को शिक्षा से जोडऩा हो या फिर पब्लिक प्राइवेट की जुगलबंदी के माध्यम से कई सरकारी व अद्र्धसरकारी आवासीय विद्यालयों को उनकी जरूरत के हिसाब से सुविधा उपलब्ध करवाना।
यही नहीं जिलाधिकारी ने स्वयं शुरुआत करते हुए जिले के अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रेरित कर एक ऐसी वयवस्था प्रारंभ की है, जिसके माध्यम से कोई भी स्वेच्छा से विद्यालयों में मिल रहे ‘मिड डे मीलÓ में अपना योगदान देकर विद्यार्थियों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवा परोपकार कर सकता है। बंसल के सहकर्मी बताते हैं कि जिले में कई ऐसे दुरुस्त क्षेत्र हैं, जहां पहुंच पाना आज भी किसी चुनौती से कम नहीं, किंतु अपर सचिव गृह, अपर सचिव कृषि, सीडीओ टिहरी आदि जैसे अहम पदों पर रह चुके सबिन बंसल ने खुद को दफ्तर की चहारदीवारी में कैद रख फाइलें निबटाने से बेहतर जिले के ऐसे स्थानों का जनपद के अधिकारियों के साथ पैदल भ्रमण कर स्थानीय लोगों की समस्याओं का त्वरित समाधान करने में अधिक रुचि दिखाई।
अपने स्तर से अल्मोड़ा में पर्यटन को और अधिक सुगम बनाने के साथ ही अल्मोड़ा की विलुप्त होती जा रही पौराणिक व सांस्कृतिक विरासत को सजोने में भी बंसल ने कई सराहनीय कार्य किये हैं। चाहे ‘विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थाÓ के सहयोग से अल्मोड़ा की पहचान रहे नौलों का जीर्णाेद्धार करना हो या स्थानीय महिलाओं को स्वावलंबी बनाते हुए ‘चेली ऐपणÓ के नाम से ब्रांड स्थापित कर अल्मोड़ा की लोक कला ‘ऐपणÓ को सहेजना, ये उनकी रचनात्मक सोच का ही परिणाम है कि देश-विदेश में अपनी अलग पहचान रखने वाले जागेश्वर धाम में बिजली, पानी, स्वच्छता व सौंदर्यीकरण जैसी व्यवस्था में सुधार करने के साथ ही धर्म का व्यावसायीकरण रोकने के उद्देश्य से मंदिर समिति के साथ मिलकर प्रत्येक पूजा हेतु धनराशि तय कर दी गई है तथा श्रद्धालुओं को पूजा की कंप्यूटराइज्ड रसीद उपलब्ध करवाई जा रही है।
जिलाधिकारी ने अपनी इच्छा शक्ति का बेहतरीन परिचय देते हुए जंगलों का दुश्मन कहे जाने वाले पिरुल को ‘विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसधान केंद्रÓ व ‘जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थानÓ के सहयोग से उन्नत कोयले में बदलने के लिए न केवल क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार से जोड़ा, बल्कि स्थानीय लोहारों को भी रोजगार प्रदान कर धुंआ रहित उन्नत चूल्हा बनाने का प्रशिक्षण तथा उत्पाद को बाजार उपलब्ध करवाने में अहम भूमिका अदा की है।
किसी भी आपदा से निपटने के लिए जिलाधिकारी ने विभाग के पास उपलब्ध वाहनों को पूर्णतया उच्चीकृत कर आपदा प्रबंधन व जीवनरक्षक उपकरणों से सुसज्जित किया। राज्य का यह पहला जनपद है, जिसके आपदा प्रबंधन विभाग के पास इस तरह का अपना वाहन है। बंसल बताते हैं कि उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा को कक्षा १० के बाद से ही अपना लक्ष्य बना लिया था।
यही कारण था कि मैकेनिकल में गोल्ड मेडलिस्ट सबिन बंसल ने इंडियन रेलवे सर्विसेस (आईआरएस) में चुनाव होने के बावजूद अपना लक्ष्य नहीं छोड़ा और उसे हासिल करने के लिए आईआईटी देहली से एमटेक तक बीच में छोड़ दिया।
अपने अभी तक के सर्विस सफर को याद करते हुए बंसल यह बताना नहीं भूलते कि किस प्रकार कई मौकों पर जब भी उन्होंने खुद को चुनौतियों से घिरा पाया तो उस वक्त किस प्रकार उनके कुछ वरिष्ठजनों ने गुरु व मित्र की भूमिका में उनका मार्गदर्शन कर उनको चुनौतियों से लडऩे के लिए प्रेरित किया। यह सबिन बंसल की उत्कृष्ट कार्यशैली का बेजोड़ नमूना है, जो खुद को सुर्खियों में रखने के बजाय अपनी रचनात्मक कार्यशैली से जनपदवासियों का दिल जीत रहे हंै। उनका मानना है कि अभी भी सिविल सर्विसेज में बहुत कुछ है, काम करने व नाम कमाने के लिए। द्य – कृष्णा बिष्ट

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