सम्मानित स्कूल के फर्जी प्रिंसीपल!!

जगदम्बा कोठारी//

ओमकारानन्द हिमालय मांन्टेसरी विद्यालय जखोली, जो कि शिक्षा के क्षेत्र मे पूरे प्रदेश मे अपना सर्वश्रेष्ठ स्थान रखता है।

शिक्षा के क्षेत्र मे कई मुकाम हासिल कर चुका यह विद्यालय आजकल विवादों से घिरा है।

विवादों का कारण स्वंय विद्यालय के प्रधानाचार्य हैं।

पत्रकारों की शैक्षिक योग्यता पूूछने वाले इन  “गुरू जी” की शैक्षिक योग्यता की पड़ताल पर्वत जन ने की तो सनसनी खेज तथ्य सामने आये।

नाम -कपूर सिंह

पद-प्रभारी प्रधानाचार्य

विद्यालय- ओमकारान्द जखोली

रोल न० -E 5505

पंजीकरण सख्या-  M9352144

वेतन- 70000 मासिक

योग्यता- बी० एड० (फर्जी)
यह डिग्री इन्होने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से पाई गईं दिखाई है, जबकि विश्वविद्यालय ने इनकी मार्कशीट को फर्जी करार दिया है।
साफ है कि फर्जी अंक पत्र पत्र के आधार पर फर्जी ” गुरूजी” बने है कपूर सिंह।
वर्ष 1992 से यह गुरू जी ओमकारानन्द जखोली मे अध्यापन का कार्य कर रहे हैं।विद्यालय मे अध्यापकों के रिक्त पड़े पदों को देखकर लार टपकाते हुए इन”गुरू जी” ने “सरकारी” होने की ठानी।
वर्ष 1994 मे चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से बी एड कर चुके यह गुरू जी बीएड परीक्षा मे “सम्मानित” अंकों  से पिछड़ गये।
“सरकारी” व सम्मानित पद को जाता देख”गुरू जी” ने फर्जी व नयी अंंक तालिका(Mark Sheet)  तैयार की और फर्जी नियुक्ति पायी।
बी० एड० परीक्षा कुल 800 अकों की होती है जिसमे 600 अंको की सैदान्तिक(Theory) व 200 प्रयोगात्मक(Practical)
जिनमे गुरूजी के वास्तविक अंक 600/248 व 200/106 हैं परन्तु गुरू जी ने अपनी अंक तालिका मे हेर फेर कर अपने अंक 600/298 व 200/119 दर्शा कर फर्जी नियुक्ति पायी है।
इसको खण्ड शिक्षा अधिकारी जखोली भी परख कर चुके हैं।
शिक्षा मन्त्री अरविंद पांडेय कहते हैं कि मामला उनके संज्ञान मे है। प्राथमिक जांच मे प्रधानाचार्य पर आरोप सिद्द हो रहे हैं तथा जांच के लिए शिक्षा विभाग को समय दिया जाना चाहिये।

ओंकारानंद स्कूल के प्रबंधक ललिता प्रसाद भट्ट का कहना है कि उनका स्कूल क्षेत्र का प्रतिष्ठित स्कूल है और पूरे प्रदेश में उनकी 21वी रैंक है। ऐसे में कुछ विरोधी उनके स्कूल की छवि को खराब करना चाहते हैं ।
श्रीभट्ट कहते हैं कि यह सवाल उठने पर उन्होंने खुद ही अपने स्कूल के प्रधानाचार्य की मार्कशीट तथा डिग्रियां चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय को अपने स्तर से ही सत्यापन हेतु भेजी हैं जल्दी ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा ।
वहीं विद्यालय के प्रधानाचार्य पवार का कहना है कि उनके दस्तावेज असली है तथा लोग उन्हें द्वेष भावना से बदनाम करना चाहते हैं।
बहरहाल हकीकत चाहे जो भी हो क्षेत्र में प्रधानाचार्य की योग्यता को लेकर चर्चा हो रही है और सबको स्कूल के प्रबंधक द्वारा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय को भेजी गई सत्यापन की रिपोर्ट आने का इंतजार है।

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