“छप के बिकते थे जो अख़बार कभी,
सुना है इन दिनों वो बिक के छपा करते हैं”
प्रिय पाठकों यह लीजिए पर्वतजन की खबरों पर आपकी प्रतिक्रियाओं का एक बार फिर से असर हुआ है।
भले ही गोदी मीडिया ने खबर नहीं छापी लेकिन पर्वतजन की खबरों का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केवल भाजपाई विधायकों की विधानसभा क्षेत्रों की समीक्षा करने का विचार त्याग कर अब जिलेवार सभी विधानसभा क्षेत्रों का समीक्षा कार्यक्रम जारी कर दिया है।
तुरंत संज्ञान लेने के लिए पर्वतजन मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद प्रकट करता है, तथा अपने प्रिय पाठकों की ताकत पर गौरव महसूस करते हुए आभार व्यक्त करता है।
कल सरकार ने मुख्यमंत्री द्वारा राज्य की केवल भाजपा के विधायकों वाली 57 विधानसभाओं की समीक्षा करने का कार्यक्रम जारी किया था।
पर्वतजन ने यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित की और इसमें सवाल उठाया कि कांग्रेसी और निर्दलीय विधायकों की विधानसभाओं की समीक्षा का कार्यक्रम आखिर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने क्यों नहीं बनाया !
आखिर वह केवल भाजपा के मुख्यमंत्री हैं या पूरे राज्य के ! इस खबर को भी आज 5 जुलाई के अखबारों में किसी भी अखबार में प्रकाशित नहीं किया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के इस पक्षपात पूर्ण रवैए पर कांग्रेस के विधायक मनोज रावत ने जरूर सवाल खड़े किए।
हालांकि पिछली कांग्रेस सरकार में भी हरीश रावत ने इसी तरह का भेदभाव समीक्षा के दौरान किया था, किंतु यदि त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी वही भेदभाव दोहराना था तो फिर दोनों पार्टियों में अंतर क्या रह जाएगा !
पर्वतजन की खबर को पाठकों ने काफी पसंद किया और इस पर काफी प्रतिक्रिया व्यक्त की। इसका परिणाम यह निकला कि शाम होते-होते सरकार ने अपना यह निर्णय वापस ले लिया और अब विधानसभावार समीक्षा करने के बजाए जिलेवार समीक्षा का कार्यक्रम बनाया है। अब यह समीक्षा 7 जुलाई से 26 जुलाई तक चलेगी मुख्यमंत्री के मुख्य निजी सचिव सुरेश चंद्र जोशी ने मुख्यमंत्री का कार्यक्रम जारी करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश की विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों की विकास कार्यों की समीक्षा सचिवालय के चौथे तल के सभागार में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जाएगी और उक्त समीक्षा में जनपद के प्रभारी मंत्री संबंधित विधानसभा क्षेत्रों के विधायक और मुख्य सचिव अपर मुख्य सचिव सहित सचिव स्तर तक के सभी अधिकारी रहेंगे।
जनपद वार समीक्षा होने से प्रत्येक जिले की सभी विधानसभाओं की समीक्षा हो पाएगी। इसमें सभी पहाड़ी दो-दो छोटे जिलों की समीक्षा 1-1 दिन में की जाएगी तथा हरिद्वार, देहरादून, उधमसिंहनगर और नैनीताल की समीक्षा के लिए एक-एक दिन रखा गया है।
पर्वतजन की खबर का संज्ञान लेने के लिए मुख्यमंत्री जी को भी धन्यवाद दिए जाने की जरूरत है और इसका श्रेय फिर से सोशल मीडिया पर पर्वतजन के पाठकों को ही जाता है। जिन्होंने गर्मजोशी से पर्वतजन की खबर को पढ़ा और इस खबर को शेयर करने के साथ-साथ अपनी उत्साहित टिप्पणियां प्रकट की।
इसका संज्ञान लेकर मुख्यमंत्री जी ने तत्काल केवल भाजपाई विधायकों की विधानसभा क्षेत्रों की समीक्षा करने का विचार त्याग कर जनपदवार समीक्षा करने का कार्यक्रम बनाया।
पर्वतजन फिर से अपने सभी पाठकों का आभार व्यक्त करते हुए यह अनुरोध करना चाहता है कि जो भी खबर आपको राज्य हित में लगती है, उसे अधिक से अधिक शेयर करें। उस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें। क्योंकि यह राज्य हमारा है। हमारे राज्य के मुख्यमंत्री पर हम सबका अधिकार है। वह किसी पार्टी अथवा विधायक विशेष के मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि पूरे राज्य के मुख्यमंत्री हैं।
पिछले एक सप्ताह में उत्तरा प्रकरण के बाद देहरादून मे गोदी मीडिया अखबारों का जो अवतार देखने को मिला उसके दर्शन उपरोक्त शुरुआत मे दिए गए शेर से बखूबी हो जाते हैं।
उत्तरा प्रकरण के दूसरे ही दिन देहरादून से छपने वाले तमाम अखबारों ने अपनी हेडिंग में जिस तरह से उत्तरा को दोषी बताया था, उससे इन अखबारों की जो साख गिरी उस पर विश्वास की कोपलें फूटना काफी मुश्किल है।
उत्तरा प्रकरण के तीसरे दिन यानी एक जुलाई को जिला पंचायत सदस्य तथा भाजपा के निष्कासित नेता सुभाष शर्मा ने बाकायदा प्रेस क्लब की बुकिंग कराकर, पत्रकारों को चाय पकौड़े खिलाकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस मे सुभाष शर्मा ने मुख्यमंत्री की पत्नी सुनीता रावत के शैक्षिक दस्तावेजों पर कुछ सवाल खड़े किए थे, लेकिन मजाल क्या कि देहरादून से छपने वाले किसी भी अखबार ने सुभाष शर्मा की प्रेस कॉन्फ्रेंस का जिक्र तक किया हो।
सारे अखबार सुभाष शर्मा के चाय पकौड़े और खबर को चुपचाप पचा गए। किसी ने डकार तक नहीं ली। पर्वतजन ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। आज सुभाष शर्मा की प्रेस कॉन्फ्रेंस का वह वीडियो सोशल मीडिया पर एक करोड़ से अधिक बार देखा जा चुका है। अब बताइए गोदी मीडिया के खबर छुपाने का क्या फायदा हुआ !
गोदी मीडिया आपकी खबर छापे या न छापे, लेकिन पर्वतजन आपका अपना मीडिया है। इसलिए पढ़ते रहिए पर्वतजन।