प्रीतम वर्मा
कुछ दिन पहले ही डोईवाला नगरपालिका चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री ने डोईवाला नगरपालिका को उत्तराखंड की नंबर एक नगरपालिका बनाने का ऐलान किया था, किंतु डोईवाला की जनता ने मुख्यमंत्री की बात पर भरोसा नहीं किया और भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। उस हार से बैकफुट पर आए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के लिए एक नई समस्या तब खड़ी हुई, जब शासन स्तर से स्वीकृति के बाद भी पुल का निर्माण नही होने से ग्रामीण आगे आये और खुद ही आ स्थाई पुल का निर्माण कर डाला। ग्रामीणों का आरोप है कि बरसात के समय और आने जाने में ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है लेकिन मुख्यमंत्री की डोईवाला विधानसभा होने के बाद भी सरकारी सिस्टम ने कोई सुनवाई नही की जिससे ग्रामीणों ने मिलकर बुल्लावाला सत्तीवाला मार्ग की सुसवा नदी में ग्रामीणों द्वारा अस्थाई पुल का निर्माण कर डाला।
पिछले दशक से ग्रामीणों द्वारा बुल्लावाला सत्तिवाला मार्ग पर पुल निर्माण की मांग की जा रही है, पर पुल निर्माण कार्य ना होने की वजह से स्वयं ही मारखंग्रांट के ग्राम प्रधान परमिंदर सिंह ने ग्रामवासियों के साथ मिलकर अस्थाई पुल का निर्माण किया। ग्राम प्रधान परमिंदर सिंह ने कहा कि ग्रामीणों की समस्याओं को देखते हुए गांव वालों के साथ मिलकर ह्यूम पाइप की मदद से पुल का निर्माण किया गया, जिससे ग्रामीणों को डोईवाला आने जाने में हो रही परेशानियों से निजात मिलेगी। ग्राम प्रधान ने कहा कि डोईवाला जाने के लिए ग्राम वासियों को कुड़कावाला से होकर जाना पड़ता है, जिससे 4 किलोमीटर अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। और अब अस्थाई पुल का निर्माण होने की वजह से डोईवाला की दूरी भी कम हुई है जिससे समय के साथ साथ इंधन की भी बचत होगी।
वही किसान ओम प्रकाश कंमोज ने कहा कि किसानों को भारी परेसानी का सामना करना पड़ रहा था और अच्छे कार्यों के लिये समाज के हर व्यक्ति को आगे आना चाहिये, ओर बुल्लावाला सत्तिवाला मार्ग की सुसवा नदी पर रास्ते को सही करने की बहुत आवश्यकता थी, 4000 हजार की आबादी नदी के पार रहती है जिसका फायदा जनता को मिलेगा। ग्रामीणों के साथ मिलकर सहयोग किया गया, ओर नदी में पाईपों की मदद से रास्ता बनाने का कार्य पूरा किया गया। भले ही ग्रामीणों ने मिलकर अस्थाई पुल का निर्माण किया लेकिन सरकारी सिस्टम कितना सुस्त ओर लापरवाह है अंदाजा लगाया जा सकता है ओर इस तरह की अनदेखी सी एम की विधान सभा के आदर्श विधान बनने पर सवालिया निशान खड़े करती है। जब प्रदेश के मुख्यमंत्री की विधानसभा के ये हाल हों तो प्रदेश में विकास कार्यों की क्या हालत होगी, समझना कठिन नहीं है।