कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूरी को भवन किराए संबंधी याचिका पर पूर्व में जारी नोटिस का जवाब नहीं देने की वजह से दोबारा नोटिस जारी कर कहा कि अगर जवाब नहीं देंगे तो अखबार में नोटिस निकाला जाएगा। सन 2010 में रेलिक संस्था द्वारा दायर की गई जनहित याचिका में सुनवाई के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों के भवन किराया भुगतान में अनियमितता से नाराज न्यायालय ने भुवन चंद खंडूरी को व्यक्तिगत नोटिस जारी किया है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खण्डपीठ ने पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूरी के खिलाफ उच्च न्यायालय ने कोर्ट के नोटिस का जवाब नहीं देने पर व्यक्तिगत नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने ये भी कहा है कि अगर वो जवाब नहीं देते हैं तो अखबार के माध्यम से नोटिस जारी किया जाएगा।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने कोर्ट को बताया की पूर्व मुख्यमंत्रियों के भवन के किराए को वर्ष 1997 और 2004 के सरकारी आदेश के अनुसार किया गया है जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने अवैध घोषित किया है।
याची ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ द्वारा जमा किये गए अल्प किराए पर भी सवाल खड़े करते हुए मार्किट रेट के हिसाब से वसूली करने की मांग की जिसे अभी तक सरकार ने जोड़ा तक नहीं है। उन्होंने बताया कि न्यायालय ने ये बात साफ करी है कि ये जनता का पैसा है और पूरी देनदारी उनसे वसूली जाए।
न्यायालय ने दस दिन का समय पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूरी को व्यक्तिगत नोटिस जारी करने के लिए दिया है और दस दिनों के बाद अगली सुनवाई की तिथि तय की है।