कर्मचारियों को अपनी प्रभावी हड़ताल के चलते सरकार से जिस तरह से फैसलों की उम्मीद थी, उन पर कुछ खास नहीं हो पाया। सरकार ने दबाव मे न आने का संदेश देते हुए पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्मचारियों के लिए लिए गए फैसलों पर कोई तवज्जो नहीं दी,साथ ही जता भी दिया कि वह कर्मियों के प्रति संवेदनशील भी है।
वित्त मंत्री ने बताया कि कर्मचारियों की मांगों के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में एक समीक्षा समिति बना दी गई है, जो कर्मचारियों की विभिन्न मांगों पर समीक्षा करेगी।आयुष्मान भारत में बदलाव जैसी कुछ मांगें जो बिना कैबिनेट के भी हो सकती हैं, उन्हें तत्काल मान लिया जाएगा। अन्य मांगों के संबंध में समीक्षा समिति निर्णय करेगी।
समाप्त किए गए 15 भक्तों में से पुलिस भत्ता, परिवार कल्याण भत्ता तथा सचिवालय भत्ता समाप्त करने का निर्णय वापस ले लिया गया है।
हालांकि सचिवालय के कई कर्मचारी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उत्सुकता से सरकार का फैसला जानने के लिए बैठे हुए थे। कैबिनेट में केवल कर्मचारियों के भवन भत्तों को लेकर ही फैसला लिया गया। सरकार ने कर्मचारियों के भवन भत्तों को बढ़ा दिया है। पहले यह 5,7 और 9% में दिए गए थे अब सरकार ने इन्हें बढ़ाकर 8,10 और 12% कर दिया है। पहले पुलिस के कई भत्ते समाप्त कर दिए थे अब उनमें से 3 भत्तों को सरकार वापस कर देगी।
सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने सरकार के इस निर्णय पर कहा है कि कैबिनेट में कर्मचारियों के आंदोलन को लेकर लिए गए फैसलों की समीक्षा के लिए कल एक मीटिंग बुलाई जाएगी। मीटिंग में सरकार के फैसले की समीक्षा की जाएगी तथा उसके बाद सर्वसम्मति से ही कोई निर्णय लिया जाएगा।