नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी यह बात दोहरा दी है कि उनके पास भी मुख्यमंत्री के परिजनों से संबंधित स्टिंग उपलब्ध हैं,लेकिन वह भी सार्वजनिक नहीं करेंगे। प्रीतम सिंह का कहना है कि चैनल संचालक के परिजनों ने कांग्रेस के नेताओं से संपर्क किया था और उन्हें स्टिंग काॅपी तथा अन्य दस्तावेज दिए थे। “लेकिन पार्टी उन्हें जारी नहीं करेगी।” प्रीतम सिंह ने कहा कि जिस चैनल संचालक ने यह स्टिंग किए हैं वही इन्हें जारी कर सकता है। सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने भी इस बात का खुलासा किया था कि चैनल से जुड़े नजदीकी लोगों ने उन्हें स्टिंग के वीडियो फुटेज उपलब्ध कराए थे किंतु वह इन्हें सार्वजनिक नहीं करेंगी। इस पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने दूसरे दिन पलटवार करके कहा था कि अगर उनके पास स्टिंग है तो उन्हें सार्वजनिक क्यों नहीं करते ! इस पर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि पहले भाजपा लोकायुक्त का गठन करें तब वह सभी स्टिंग लोकायुक्त को सौंप देंगी, वरना सरकार स्टिंग करने वालों का उत्पीड़न कर सकती है।सवाल उठता है कि चैनल संचालक ने आखिर नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस पार्टी को यह स्टिंग क्यों उपलब्ध कराया ! जाहिर है कि जब सत्तापक्ष कोई कार्यवाही नहीं करता तो फिर जनता की आवाज उठाने के लिए विपक्ष ही एक मात्र माध्यम होता है। ऐसे में चैनल संचालक उमेश कुमार ने स्टिंग पर सरकार का जवाब तलब करने के लिए ही कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को स्टिंग की सामग्री उपलब्ध करवाई होगी। फिर आखिर क्या वजह रही कि नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष दोनों ने स्टिंग सार्वजनिक नहीं किया !
इससे पहले संजय कुमार के प्रकरण में कांग्रेस ने यह भी स्वीकार किया था कि संजय कुमार पर आरोप लगाने वाली युवती कांग्रेस के पास भी अपनी दरख्वास्त लेकर आई थी लेकिन कांग्रेस ने उसका मामला नहीं उठाया। सवाल यह है कि जब पीड़िता का मामला नहीं उठाना है, स्टिंग का मामला नहीं उठाना है तो फिर कांग्रेस पार्टी क्या भाजपा की बी टीम की तरह काम कर रही है ! क्या कांग्रेस मित्र विपक्ष बन गई है या फिर क्या कांग्रेस मृत विपक्ष बनकर रह गई है !
जनता कांग्रेस से सवाल पूछ रही है कि क्या कांग्रेस स्टिंग के जरिए सरकार को दबाव में रखना चाहती है! जाहिर है कि राजनीति में हर बात का कुछ मतलब होता है। यहां खामोशी का भी मतलब होता है और मुखरता का भी मतलब होता है। जो लोग स्टिंग को सार्वजनिक करने के लिए उकसा रहे हैं उनका भी कुछ राजनीतिक स्वार्थ है और जो लोग स्टिंग को सार्वजनिक ना करने के लिए बयान बाजी कर रहे हैं, उसका भी कोई न कोई राजनीतिक स्वार्थ है।….. और यह पब्लिक है जो सब जानती है ।