गिरीश गैरोला
उत्तरकाशी में बेतरतीब बढ़ रही कुत्तों की तादाद से अब इंसानों का जीना दूभर ही गया है। ताजी घटना में नगर के आवारा कुत्ते केदार घाट से एक किशोर की टांग लेकर आजाद मैदान में आ गए । इससे पूर्व कैलाश आश्रम के पास मृत मंद बुद्धि व्यक्ति की मौत के बाद कुत्ते उसकी आधा खाई लाश लेकर बाजार में आ गए थे। इतना ही नही कुछ महीने पूर्व यही आवारा कुत्ते रात के समय एक जिंदा बछड़े को जीते जी खा गए तब ये पूरा वाकया चौक की दुकानों में लगे सीसी टीवी में भी कैद हो गया था। इन घटनाओ के बाद लोग पुलिस को फोन कर सूचना करते है और पुलिस नगर पालिका को किन्तु होता कुछ भी नही। पशु क्रूरता अधिनियम इन आवारा कुत्तों को तो जीने के आजादी देता है किंतु ये गली के आवारा कुत्ते अब इतने आलसी हो गए है कि घरों और बाजार में जंगलो से आये बंदरो से तो मार खा रहे है और इंसानों के लिए रैबीज के खतरे के साथ अन्य समस्या भी पैदा कर रहे है।
कोतवाली प्रभारी महादेव उनियाल ने बताया कि पूर्व की तरह इस बार भी नगर में बढ़ती कुत्तों की संख्या को लेकर पालिका को पत्र लिखा गया है। पालिका के इओ सुशील कुमार ने बताया कि जल्द ही एनिमल बर्थ कंट्रोल यूनिट में इनकी संख्या नियंत्रित करने के लिए कुत्तों का बंधिया करण किया जाएगा।
पशुपालन विभाग के सीवीओ डॉ प्रलयंकर नाथ ने बताया कि कुत्ते वर्ष में दो बार बच्चे देते है और एक समय मे 6 से 8 बच्चे तक पैदा होते है। अगस्त सितसम्बर और मार्च अप्रैल में कुत्ते गर्भ धारण करते है। इनको नियंत्रित करने के लिए देहरादून मसूरी और नैनीताल की तर्ज पर उत्तरकाशी में भी abc सेंटर ही बेहतर उपाय है। 10 से 15 मिनट में एक कुत्ते का फैमिली प्लानिंग आपरेशन कर उनका बँधीयकरण किया जाता है और ऑपरेशन के बाद कुत्तों को उनके ही स्थान पर छोड़ दिया जाता है।
वर्ष 2012 में हुई जनगणना में नगर में केवल 120 कुत्ते पाये गए थे इन 6 वर्षो में कुतो की तादाद बहुत ज्यादा बढ़ गयी है। अब बड़ा सवाल ये कि इंसानों के लिए तो डॉक्टर पर्याप्त है नही जबकि आवारा कुत्तों के लिए आपरेशन थियेटर और डॉक्टर की व्यवस्था करना जरूरत और मजबूरी दोनों हो गयी है।