उत्तराखंड के सात जिलों में जिला होम्योपैथिक अधिकारियों के पद विगत लंबे समय से खाली पड़े हुए हैं।
इसके कारण इन जिलों में विभागीय कार्यों के लिए बजट के आहरण वितरण में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
होम्योपैथिक निदेशक डॉ राजेंद्र सिंह के अनुसार नैनीताल, चंपावत, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, पौड़ी,टिहरी और नैनीताल के जिलों में होम्योपैथिक अधिकारियों के प्रमोशन होने हैं।
काफी लंबे समय से डीपीसी लंबित होने के कारण एक ओर होम्योपैथिक डॉक्टर्स मायूस हैं। पहले भी दो बार यह डीपीसी डॉक्टरों की एसीआर कंप्लीट ना होने के कारणों से स्थगित की जा चुकी है।
डीपीसी के लिए सभी योग्यताएं पूरी करने वाले डॉक्टरों को यह भी डर सता रहा है कि कहीं उनसे जूनियर डॉक्टरों प्रमोशन न दे दिया जाए !
उदाहरण के तौर पर होम्योपैथिक सेवा संवर्ग के चिकित्साधिकारियों की अंतिम वरिष्ठता सूची में वरिष्ठता क्रम 21 से 43 तक कुल 23 चिकित्सा अधिकारी लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित हैं, जबकि 44वें नंबर के वरिष्ठता क्रमांक वाले डॉक्टर सुनील कुमार डिमरी लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित नहीं हैं। वह तदर्थ डॉक्टर के रूप में भर्ती हुए थे और उन्हें 2006 से नियमित किया गया था। डॉक्टर सुनील कुमार डिमरी खुद को पदोन्नत किए जाने के लिए हाईकोर्ट की शरण में गए थे, किंतु हाई कोर्ट ने कोई राहत नहीं दी है। अब वह अपने प्रमोशन के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण में गए हैं। डॉक्टरों को डर है कि यदि डॉक्टर सुनील कुमार डिमरी को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत मिल जाती है तो उनकी पदोन्नति खटाई में पड़ सकती है।
लोक सेवा आयोग से चयनित डॉक्टरों को आशंका है कि कहीं ना कहीं डीपीसी कराने में देरी का नुकसान उनको हो सकता है। हालांकि आयुष विभाग के अपर सचिव जीबी औली ने 30 अगस्त 2018 को जारी एक कार्यालय ज्ञाप के माध्यम से स्पष्ट किया है कि सुनील कुमार डिमरी का मामला उच्च न्यायालय से खारिज हो चुका है, इसलिए उनका नाम डीपीसी में शामिल नहीं किया जाएगा। जीबी औली का कहना है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी इस प्रकरण में अभी तक कोई स्थगन अथवा अंतरिम आदेश निर्गत नहीं किए गए हैं, इसलिए जिला होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों के पद से जिला होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों के पद पर पदोन्नति को बाधित करने का कोई औचित्य नहीं बनता है और डॉक्टर डिमरी का नाम भी वर्तमान परिस्थितियों में विभागीय पदोन्नति में सम्मिलित नहीं किया जा सकता। जब सर्वोच्च न्यायालय से कोई निर्णय आ जाएगा तभी उसके अनुसार कोई कार्यवाही की जाएगी।
पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार हाई कोर्ट के ऑर्डर के बाद भी अभी तक 20 जनवरी 2017 का आर्डर शासन ने 5 माह बाद भी निरस्त नहीं किया है। जबकि इस आर्डर मे श्री डिमरी को दी जा रही सुविधाएं गलत बताई गई थी और उन्हे वापस लिए जाने के निर्देश दिए गए थे। यह अपने आप मे हाईकोर्ट की अवमानना भी है।
इसके पीछे चाहे जो भी विभागीय कारण हो किंतु पदोन्नति के योग्य डॉक्टरों को यह लगता है कि इससे डॉक्टर डिमरी को भी इसका लाभ मिल सकता है उनके मन में यह आशंका घर कर गई है कि पदोन्नति में देरी का लाभ डॉक्टर डिमरी को भी मिल सकता है।
आयुष सचिव आर के सुधांशु का कहना है कि आगामी 15 दिनों के अंतर्गत डीपीसी करा दी जाएगी। आयुष सचिव सुधांशु ने बताया कि अधिकारियों की एसीआर में अस्पष्टता होने के कारण दोबारा से इसके पुनरीक्षण के निर्देश दिए गए हैं।
डॉ डिमरी के प्रकरण पर श्री सुधांशु ने भी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि उनका मामला अंतिम रूप से खारिज हो चुका है। इसलिए उनका नाम पदोन्नति में शामिल नहीं किया जा रहा है और जल्दी की डीपीसी करा दी जाएगी।
आयुषमंत्री डाॅ. हरक सिंह भी जल्दी ही डीपीसी कराने का दावा करते हैं।
देखना यह है कि मरीजों को मीठी गोली देने वाले होम्योपैथी के डाक्टरों को आश्वासनों की मीठी गोली दिए जाने का कोर्स कब तक पूरा होता है।