खुलासा : भ्रष्ट ओमप्रकाश के चहेते संदीप का रजिस्ट्रार बनना तय। सरकार ने बवाल के डर से की गुप-चुप नियुक्तियां
घुड़दौडी इंजीनियरिंग कॉलेज में हुई नियुक्तियों को छुपाने पर सवाल
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जीरो टॉलरेंस का कितना ही ढोल पीट लेें, लेकिन समय बीतने के साथ – साथ यह साबित होता जा रहा है कि वह भ्रष्ट अधिकारियों के हाथ का खिलौना बनते जा रहे हैं।
दो महीने तक दबाया प्रधानमंत्री कार्यालय का पत्र
मुख्यमंत्री के अधीन कार्य कर रहे भ्रष्ट अधिकारियों ने घुडदौडी कालेज के प्रभारी कुलसचिव रहे भ्रष्ट संदीप कुमार की जांच के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से आए एक पत्र को भी दो महीने तक दबा के रखा और जब उसको रजिस्ट्रार बनाए जाने के पत्र पर मुहर लग गई फिर जाकर उस पत्र को आगे भेजा।
11 मार्च 2018 को प्रधानमंत्री कार्यालय मे एक शिकायती पत्र दस्तावेजों सहित प्रेषित किया गया था। इसमें घुड़दौड़ी में तमाम भ्रष्टाचार के लिए चर्चित संदीप कुमार की जांच का अनुरोध किया गया था।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने 19 मार्च को ही मुख्य सचिव को आदेश दिए कि इस पूरे प्रकरण में तत्काल कार्यवाही करके कृत कार्यवाही से उनको भी अवगत कराया जाए। मुख्य सचिव कार्यालय ने 26 मार्च को उक्त पत्र अपर मुख्य सचिव तकनीकी शिक्षा (ओमप्रकाश) को अग्रसारित कर दिया। किंतु अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश के कार्यालय से यह पत्र दो महीने बाद 24 मई को घुडदौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक को कार्यवाही हेतु प्रेषित किया गया।
इस बीच संदीप कुमार के कुलसचिव पद के लिए साक्षात्कार संपन्न हो गए। अर्थात साफ समझा जा सकता है कि ओमप्रकाश ने संदीप कुमार को जानबूझकर कार्यवाही से बचा लिया। आखिर जो पत्र 26 मार्च को मुख्य सचिव ने ही अपर मुख्य सचिव को भेजा, वह पत्र 24 मई तक अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के कार्यालय में क्यों दबा रहा !
भ्रष्टाचार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के संरक्षण का एक अहम सबूत 16 जून को हुई बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक है। बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक के चेयरमैन खुद मुख्यमंत्री हैं और उसी बैठक में अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश सहित मुख्यमंत्री ने भी घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज में भ्रष्टाचार का पर्यायवाची बन चुके फर्जी डिग्रीधारी संदीप कुमार को रजिस्ट्रार बनाना तय कर लिया है।
यह वही संदीप कुमार है, जिनके भ्रष्टाचार के खिलाफ पौड़ी की जनता पिछले काफी लंबे समय से आंदोलनरत है। मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी विभिन्न माध्यमों द्वारा यह प्रकरण कई बार लाया जा चुका है।
गौरतलब है कि संदीप कुमार की डिग्रियां फर्जी है। इनकी पहले की नियुक्ति भी अवैध थी। अपर सचिव तकनीकी शिक्षा विजय ढौंडियाल ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में संदीप कुमार की न सिर्फ नियुक्ति को अवैध माना था, बल्कि इनकी डिग्रियां भी फर्जी पाई गई थी। हाई कोर्ट भी संदीप कुमार की नियुक्ति को अवैध बता चुका है। विजिलेंस भी संदीप कुमार की जांच कर रहा है।
इन तमाम घपले-घोटालों के बावजूद रजिस्ट्रार के पद पर संदीप कुमार का चयन लगभग फाइनल है। लेकिन पे स्केल वाला नॉर्म पूरा न करने के कारण इसे फिलहाल रोक दिया गया है। सूत्रों के अनुसार संदीप कुमार एआईसीटीई 2016 के क्लेरीफिकेसन के मुताबिक पहले अपना पे स्केल फैकल्टी के बराबर यानी 5400 से 6000 कराना चाहता है। फिर दो CAS के प्रमोशन लेना चाहता है। यानी फिर उनका पे स्केल 6000 से 7000 और 7000 से 8000 हो जाएगा।
यह पे स्केल ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट ऑफिसर के अनुरूप और 23 वी बोर्ड ऑफ गवर्नर के अप्रूवल के अनुसार हो जाएगा। फिर वह पे प्रोटेक्शन लेकर डीपीओ का पद छोड़ना चाह रहा है, क्योंकि रजिस्ट्रार का ग्रेड पे सिर्फ 6600 है। और संदीप कुमार 8000 AGP में रजिस्ट्रार बनना चाहता है, 6600 ग्रेड पे में नहीं, इसलिए 26वीं BOG में रजिस्ट्रार की पोस्ट पर सलेक्शन और अप्रूवल होने के बाद ही वह अभी तक जॉइन नहीं हुआ है।
प्रोफेसरों की भी गुपचुप नियुक्तियां
16 जून को बोर्ड बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार विवेक टम्टा, उपेंद्र कुमार और सिद्धार्थ घनसाला ने प्रोफेसर के रूप में ज्वाइन कर दिया है। सूत्रों के अनुसार मनोज पाठक अमित जोशी और चंद्रवीर सिंह का चयन इस बार मेडिकल इंजीनियरिंग में नहीं किया गया है।
यह तीनों पहले कॉलेज में ही तैनात थे, लेकिन इस बार इन्हें बाहर कर दिया गया। इसके बजाय 3 नए अभ्यर्थियों का चयन किया गया है।
कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ एमपीएस चौहान की पुत्री इंशु चौहान का भी चयन निरस्त हो गया है। इंशु चौहान npiu के माध्यम से कॉलेज में पिछले 3 साल से संविदा पर नियुक्त थी और 70,000 प्रति माह वेतन ले रही थी। लेकिन इस बार इनकी नियमित पद पर नियुक्ति नहीं हो पाई।
बायोटेक डिपार्टमेंट में किसी की भी नियुक्ति नहीं हो पाई, क्योंकि कोई भी संविदा अध्यापक पीएचडी होल्डर नहीं है। इसी तरह से इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में भी कोई चयन नहीं हो पाया। डॉक्टर कुंवर सिंह बैंसला, डॉक्टर एच एस भदोरिया, डॉ प्रीति डिमरी और डॉक्टर एके गौतम प्रोफेसर की पोस्ट के लिए फेल हो गए।
डॉ आर बी पटेल अनुपस्थित थे और डॉक्टर आशीष नेगी साक्षात्कार में ही शामिल नहीं हुए। हालांकि वह assistant प्रोफेसर की सलेक्शन कमेटी में जरूर उपस्थित थे जो CAS के लिए बनाई गई थी। सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में भी बाहरी अभ्यर्थी का चयन हुआ है। डॉ आशुतोष गुप्ता और डॉक्टर ललिता प्रसाद CAS के अधीन प्रोफेसर के पद पर चयनित हो गए हैं। डॉ संजीव नैथानी को CAS के अंतर्गत एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नत नहीं किया गया। क्योंकि डॉ वाई सिंह ने उनके अनुभव पर ब्रेक लगने का रिमार्क दिया था। क्योंकि वह अपनी पीएचडी के लिए बेल्जियम में थे।
कोर्ट में वाद लंबित होने के कारण डॉ प्रीति डिमरी और डॉक्टर ममता बगियाल प्रोफेसर के पद पर CAS के अंतर्गत प्रोन्नत नहीं किया गया। हांलाकि BOG ने डॉ प्रीति डिमरी का चयन भी निरस्त नहीं किया। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा कि एक चेयरमैन ने जो एप्रूव कर दिया है, वह दूसरा चेयरमैन निरस्त नहीं कर सकता इसलिए ऐसी ही टिप्पणी के साथ इस मामले को राज्यपाल को भेज दिया जाएगा।
डॉ यशवंत सिंह को भी CAS के अंतर्गत एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नत नहीं किया गया। डॉक्टर मनोज कुमार पांडा और डॉक्टर वीएम मिश्रा CAS के अंतर्गत प्रोफेसर चयनित हो गए हैं।
एम के अग्रवाल और डॉ यतेंद्र कुमार को एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर के अंतर्गत प्रोन्नत कर दिया गया है। तथा डॉक्टर एच एस भदोरिया सीधी नियुक्ति से असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए हैं।