नगर निकायो में अपनी सुविधानुसार आरक्षण तय कर डबल इंजन सरकार ने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं कि जीत के लिए कुछ भी करेंगे। भाजपा लोकसभा चुनाव 2019 से पहले निकाय चुनाव जीतकर बिगड़े माहौल को भी जीत के माध्यम से दुरस्त करना चाहती है।
जीतने के लिए अपने व दूसरे दल के विरोधियों को ठिकाने लगाने की रणनीति बनायी गयी है । बड़ी संख्या में पंचायत प्रतिनिधियों को निकाय चुनाव में उतारने की तैयारी है।हालांकि नगर निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव मे सत्तापक्ष राज्य गठन से यह करता आया है । कुछ उदाहरण से भाजपा सरकार की रणनीति समझी जा सकती है।
नगरपालिका पौड़ी को हाल ही में भाजपा में शामिल हुये यशपाल बेनाम के लिए सामान्य किया गया है।
ज़ाखणीधार की ब्लाक प्रमुख बेवी असवाल के लिए टिहरी नगर पालिका को ओबीसी महिला किया गया है।
बेबी असवाल पंचायत के लिए हाल ही मे पच्चीस लाख का पुरष्कार लेकर लौटी है।
इसी तरह चंबा नगरपालिका सीट भी महिला आरक्षित की गई है। गौरतलब है कि इस सीट पर भाजपा की प्रत्याशी मनोज मथुरा नकोटी हो सकती हैं। श्रीमती नकोटी क्षेत्र पंचायत सदस्य हैं और भाजपा से ब्लाक प्रमुख पद की प्रत्याशी थी।
पंचायतों के पास बजट का अभाव भी इसका कारण बताया जा रहा है। जबकि इस सीट पर लगातार दो बार से उमेश चरण गुसाँई जीतते आ रहे थे। गुसाँई को रोकने के लिए यह क़दम उठाया गया।
डोईवाला नगर पालिका को नगीना रानी के लिए ओबीसी किया गया है। नगीना रानी पहले ब्लाक प्रमुख रह चुकी हैं। नगीना रानी का विरोध होने पर रामेश्वर लोधी इस सीट से ताल ठोक चुके हैं।
पिछले पंचायत चुनाव में चौथे नम्बर पर रही बड़कोट नगर पालिका को उत्तरकाशी की ज़िला पंचायत अध्यक्ष यशोदा राणा के लिए महिला सीट बनाया गया है।
भाजपा किसी भी कीमत पर नगर पालिका और नगर निगमों का चुनाव जीतना चाहती है। यह उसके लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। इसके लिए उन्हें नियम-कायदों और परंपराओं की कोई भी मर्यादा लांघने से परहेज नहीं।
ये तो मात्र कुछ उदाहरण थे। ऐसा ही राज्य की नगरपालिकाओं में भाजपा ने अधिकांश सीटों पर अपने प्रत्याशी के हिसाब से आरक्षण का पैमाना तय किया है।
यह तो हुई पालिका अध्यक्ष किसी पर आरक्षण की बात। इसके अलावा वार्ड मेंबर स्तर पर तो लगभग अंधेरगर्दी हुई है।
किसी विधानसभा की 90% वार्ड मेंबर की सीटें महिला आरक्षित कर दी गई है तो कहीं 80% तक सीटें सामान्य कर दी गई। यानी जहां जैसा प्रत्याशी भाजपा ने देखा वहां वैसा आरक्षण तय कर दिया। इस मनमानी को लेकर कांग्रेस सवाल भी उठाने लग गई है। यदि कोई इस मुद्दे को लेकर फिर से कोर्ट चला गया तो निकाय चुनाव पर पेंच फंस सकता है।
भाजपा की रणनीति को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि ऋषिकेश में दीप शर्मा को रोकने के लिए यह सीट महिला आरक्षित सीट की जा सकती है। ऐसे ही नगर निगम देहरादून को सुनील उनियाल गामा के लिए लगातार तीसरी बार सामान्य रखा जा सकता है।
यह है आरक्षण की स्थिति