दूध के साथ पेट्रोल बेचेगा आँचल। दुग्ध संघ के अध्यक्ष ने पहली वर्षगांठ पर बतायी उपलब्धियां
गिरीश गैरोला
अध्यक्ष दुग्ध संघ की कुर्सी संभालने की पहली वर्षगांठ पर उपलब्धियों की झड़ी लगाते हुए सुरेंद्र नौटियाल ने बताया कि एक वर्ष में ही गाँव से एकत्र होने वाले दूध की मात्रा 650 लीटर प्रतिदिन से बढ़कर 1788 लीटर हो गयी है। उन्होंने बताया कि आधुनिक डीपीएमसीयु मशीन के उपयोग से दूध की एसएनएफ और फैट की मात्रा से गुणवत्ता का पता चल जाता है, जिसके बाद पशुपालक को दूध का अच्छा दाम मिलने लगा है जो आज तक नही मिल पा रहा था।
उन्होंने बताया कि ज्येष्ठवाड़ी गांव में दूध की गुणवत्ता अन्य गावों से बेहतर थी। मशीन के उपयोग से कास्तकारों को 52 रु प्रति लीटर तक दूध की कीमत आंचल द्वारा दी गयी। इसके बाद लोगों का रूझान आँचल की तरफ बढ़ा है। साथ ही दूध में मिलावट की प्रवृत्ति पर भी रोक लगी है।
अभी भी जनपद से 1180 लीटर प्रतिदिन उपार्जन हो रहा है और डिमांड की भरपाई के लिए देहरादून से आँचल के पोली पैक से भरपाई की जा रही है। यदि कास्तकारों को उत्साहित किया जाय तो दूध की मात्रा और गुणवत्ता को और अधिक बढ़ाया जा सकता है।
दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए उन्होंने “गंगा गाय योजना” में कुछ बदलाव के सुझाव दिए हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना में गाय की खरीद के लिए कुल 52 हजार रु दिए जाते हैं, जिसमे 27 हजार रु का अनुदान 20 हजार रु का ऋण और 5 हजार रु मार्जिन मनी के रूप में रखा गया है किंतु गाय खरीदने के लिए कास्तकारों को उत्तरप्रदेश और हिमांचल जाना पड़ता है और प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में पशुपालकों को इतनी दूर से पशु को लाने में दिक्कत होती है साथ ही पशु भी क्लाइमेट में बदलाव से बीमार हो जाते है और दूध की मात्रा घटा देते हैं।
उन्होंने सुझाव दिया कि उपलब्ध होने पर अपने जनपद अथवा अपने ही प्रदेश से ही इस योजना में गाय खरीदने की छूट मिलनी चाहिए। इसके अतिरिक्त दूध कलेक्शन सेंटर में काम कर रहे सचिवों को अभी तक महज 50 पैसा प्रति लीटर की दर से मानदेय मिलता है, जिसमे परिवार चलाना मुश्किल होता है। लिहाजा वे उत्साह के साथ दूध एकत्र नही करवा पा रहे हैं, जिसके लिए उन्हें 200 रु प्रति दिन की दर से मानदेय मिलना चाहिए, ताकि वे उत्साह से दूध उपार्जन बढ़ाने में अपना सहयोग दे सकें।
इस वक्त जनपद में 122 कलेक्शन सेन्टर में सचिव काम कर रहे हैं जो कास्तकारों और आँचल के बीच मुख्य कड़ी का काम करते हैं।
इसके अतिरिक्त दुग्ध संघ के पास मौजूद 42 नाली जमीन में से करीब 35 नाली जमीन निष्प्रयोज्य पड़ी हुई है।गंगोत्री राजमार्ग से लगी होने के चलते इस जमीन पर पेट्रोल पंप खोलने का प्रस्ताव अंतिम चरण में है। जिसके बाद संघ की आय में वृद्धि होगी। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में स्वीकृत किसान भवन को बजट आवंटित कर किसान गोष्टी के लिए उपयोग में लिए जाने की तैयारी चल रही है। दूसरे प्रदेशों से आने वाले दूध की तुलना में उन्होंने आँचल दूध को बेहतरीन बताया है।
गौरतलब है कि मातली संयंत्र में दूध को 70.8 डिग्री पर गर्म कर तुरंत 2.4 डिग्री पर ठंडा कर शुद्ध और जीवाणु रहित बनाया जाता है। जिसके बाद उसे एसएनएफ को पाउडर में और क्रीम को मक्खन घी और क्रीम में बदल दिया जाता है।