आज शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे आज उस वक्त बेहद असहज हो गए जब उनसे एक पत्रकार ने रणजी ट्रॉफी एनसीईआरटी से संबंधित सवाल पूछने के बाद 13 का पहाड़ा सुनाने के लिए भी कह दिया। पहले वाले सवालों का खुशी खुशी जवाब देते देते अचानक दागे इस सवाल से अचकचाए शिक्षामंत्री ने पहाड़ा सुनाने अथवा नो कमेन्ट के विकल्प का इस्तेमाल करने के बजाए सीधे कह दिया कि मैं कोई वर्कशॉप नहीं चलाता और मैं फर्जी पत्रकारों के सवालों के जवाब नहीं देता।
देखिए वीडियो
हालांकि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे कुछ माह पहले खुद भी देहरादून के एक ही स्कूल में निरीक्षण के दौरान एक अध्यापिका से माइनस प्लस माइनस का सवाल पूछ कर अपनी पहले भी काफी किरकिरी करा चुके हैं।
अहम सवाल यह है कि सवाल का जवाब देने या देने के बजाय शिक्षा मंत्री में उल्टे पत्रकार की छाती पर दो तीन बार हाथ मारते हुए यह भी कह दिया कि वह फर्जी पत्रकार के सवाल का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं है। पत्रकारों में शिक्षा मंत्री के इस लहजे से काफी आक्रोश है।
पत्रकारों का कहना है कि जिस विधायक पर मारपीट, बलवा, डकैती और सरकारी कार्यों में बाधा डालने सहित जातिसूचक शब्दों के लिए लगभग 29 मुकदमे चल रहे हैं, ऐसे व्यक्ति को यदि शिक्षा मंत्री बनाया जाएगा तो फिर उनसे 13 के पहाड़े के बजाय इसी तरह के जवाब सुनने को मिलेंगे।
शिक्षा मंत्री पांडे पर बारह मामले तो बेहद संगीन हैं।इनमे हत्या (दफा 302,)तथा डकैती (395) जैसे गंभीर आरोप हैं।
प्रदेश में जीरो टॉलरेंस तथा सुचिता का दावा करने वाली भाजपा सरकार है। लेकिन इसी सरकार में गदरपुर के विधायक और केबिनेट अरविंद पांडे उन विधायकों की सूची में सबसे शीर्ष पर हैं, जिन पर गंभीर मामले दर्ज हैं।
अब आप ही बताइए कि ऐसे व्यक्ति को भाजपा टिकट देकर बाकायदा कैबिनेट मंत्री बनाएगी और वह भी शिक्षा जैसा महत्वपूर्ण महकमा थमाएगी तो फिर ऐसे मंत्री जी से क्या उम्मीद की जा सकती है।
13 दिन फरार रह कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे गए थे जेल
कांग्रेस कार्यकाल में एक तहसीलदार शेर सिंह ने 25 अगस्त 2016 को विधायक अरविंद पांडे पर मुकदमा दर्ज किया था कि उन्होंने अपने समर्थकों के साथ बलवा डकैती सरकारी कार्य में बाधा डाली थी और उनके साथ मारपीट की थी, जिसका मुकदमा जब गदरपुर थाने में दर्ज किया गया तो फिर विधायक साहब पुरे 16 दिन फरार रहे और जब पुलिस ने उन्हें मुखबिर की सूचना पर धर दबोचा तो फिर उन्हें मजिस्ट्रेट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था।
आपराधिक मुकदमों में शीर्ष पर
कैबिनेट मंत्री तथा विधायक अरविंद पांडे पर एक पीसीएस अधिकारी और शुगर फैक्ट्री बाजपुर के एक अधिकारी सहित एक रेलवे स्टेशन मास्टर और एक थानेदार को भी पीटने के गंभीर आरोप हैं यही नहीं पांडे पर गदरपुर और बाजपुर थानों में हत्या के प्रयास रोड जाम करना बलवा डकैती मारपीट सरकारी कार्य में बाधा डालने जैसे 29 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं।
डेढ़ साल में रिजल्ट जीरो
गदरपुर विधायक अरविंद पांडे जब शिक्षा मंत्री बनाए गए थे तो उनके दबंग स्वभाव को देखते हुए यह उम्मीद जताई जा रही थी कि वह शिक्षा माफिया तथा खेल माफिया पर नकेल कसने में कामयाब रहेंगे, लेकिन समय के साथ-साथ इन दोनों क्षेत्रों में वह कोई भी उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए।
ट्रांसफर एक्ट को लेकर पनपा उत्तरा प्रकरण का बवाल सरकार के गले की हड्डी तो बना ही, साथ ही एनसीईआरटी की किताबों को लागू करने के फरमान पर भी सरकार और बच्चों को भी काफी फजीहत झेलनी पड़ी।
डेढ़ साल में उनकी शिक्षा विभाग तथा खेल विभाग में कोई खास उपलब्धि तो नजर नहीं आई उल्टे पंचायती राज विभाग में आपदा किट घोटाले की खरीद के छींटे उन पर भी पड़ रहे हैं और अब सवाल पूछने वाले पत्रकारों को सीधे फर्जी बताए जाने से उनकी और किरकिरी होना लाजमी है।