चन्द्रभागा नदी से नेशनल हाइवे व ढालवाला को खतरा। हर साल बरसात में सरकारी संपत्ति व जानमाल को पहुंचता है भारी नुकसान
नवीन बडोनी
उत्तराखंड में संभवत: एक ही नगर ऐसा होगा, जिसका तल नदी तल से भी नीचे है। इससे नदी में थोड़े से भी पानी आने की स्थिति में यह नगर भी नदी की तरह ही लबालब हो जाता है। यहां बात हो रही है ऋषिकेश स्थित चंद्रभागा नदी से सटे ढालवाला क्षेत्र की।
यूं तो पिछले दिनों प्रदेश की कांग्रेस सरकार खनन से मलेथा के हरे-भरे खेतों को नष्ट करने की कोशिश कर रही थी, तो वहीं ढालवाला की सीमा से लगी चंद्रभागा नदी में कई सालों से विदोहन ही नहीं किया गया। इससे जहां ढालवाला में पानी भरने का खतरा बना हुआ है, वहीं प्रदेश के राजस्व में भी भारी क्षति हो रही है।
चंद्रभागा नदी नरेंद्रनगर वन प्रभाग की शिवपुरी रेंज के अंर्तगत आती है। इस नदी में मार्च 199७ से रेत, पत्थर व बजरी का चुगान न होने से उसका स्तर नदी के किनारे बसे ढालवाला नगर से भी ऊपर हो गया है। जिससे भीषण बरसात होने की स्थिति में नदी में अचानक उफान आ जाता है और इससे भारी जनहानि की संभावना बन जाती है, लेकिन शासन-प्रशासन है कि इस ओर ध्यान देने की जरूरत ही नहीं समझ रहा।
बरसात के समय नदी के एक छोर पर मुनिकीरेती ढालवाला नगरपालिका के हजारों परिवार प्रभावित रहते हैं तो दूसरे छोर पर ऋषिकेश से देहरादून जाने वाले नेशनल हाइवे को भी खतरा बना रहता है।
2 अगस्त 2007 को भीषण बारिश होने से नदी का प्रवाह अनुसूचित जाति की कालोनी के कई घरों तक पहुंच गया था। तब टिहरी जिला प्रशासन ने खतरे को भांपते हुए उन परिवारों को रात के 11 बजे आयुर्वेदिक चिकित्सालय व लाल बहादुर शास्त्री जूनियर हाई स्कूल में शरण दिलवाई थी। कालोनी की सुष्मा देवी जोगेला कहती हैं कि तेज बारिश के समय हम अपने घर की छत पर बैठ कर रात काटते हैं।
16 जून 2013 की भीषण बारिश से चंद्रभागा नदी का जल स्तर इतना बढ़ गया था कि नदी तट पर बना नरेंद्रनगर वन प्रभाग द्वारा बनाया गया सुमन पार्क का आधा हिस्सा बह गया। इसके अलावा राजीवग्राम में पंचायत घर की दीवार भी नदी के वेग में बह गई थी।
बाढ़ प्रभावित नरेंद्र मोहन कुडिय़ाल कहते हैं कि हरीश रावत सरकार को इस गंभीर समस्या का तत्काल संज्ञान लेकर शहर को बाढ़ नियंत्रण के लिए प्रयास करना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता उदयराम रतूड़ी का कहना है कि इस समस्या के समाधान को लेकर 23 सितम्बर 2014 को मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा थी, परंतु आज तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। तत्कालीन शिवपुरी वन क्षेत्राधिकारी ने भी 11 फरवरी 2015 को अपनी जांच रिपोर्ट में चंद्रभागा नदी से ढालवाला शहर को खतरा होने की बात कही थी।
ढालवाला के पूर्व प्रधान रोशन रतूड़ी कहते हंै कि वन विभाग के चुगान न करने से नदी तल का स्तर उठ रहा है। गत वर्ष कांवड़ मेले में जिला प्रशासन द्वारा चंद्रभागा नदी पर बनायी गयी अस्थाई पार्किंग तेज बरसात होने से बह गयी थी। पार्किंग में सो रहे यात्रियों व उनकी गाडिय़ों को प्रशासन द्वारा मध्य रात्रि में ही आनन-फानन में हर्बल गार्डन मैदान में शिफ्ट करना पड़ा।
इस संबंध में नगरपालिका अध्यक्ष शिवमूर्ति कण्डवाल का कहना है कि यदि सरकार चुगान नहीं करवाती है तो इसके बदले जेसीबी से नदी को गहरा कर अगल-बगल सीमा को ऊंचा कर नगर को बचाया जा सकता है।
नरेंद्रनगर वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी राहुल कहते हंै कि हम जल्द ही वन निगम के माध्यम से इस समस्या के समाधान का प्रयास करेंगे।
जिलाधिकारी इन्दुधर बौड़ाई कहते हैं कि खतरे की जद में आने वाले परिवारों को तुरंत सुरक्षित जगह पर व्यवस्थित किया जायेगा और विदोहन के लिए ये नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
बाढ़ प्रभावित नरेंद्र मोहन कुडिय़ाल कहते हैं कि हरीश रावत सरकार को इस गंभीर समस्या का तत्काल संज्ञान लेकर शहर को बाढ़ नियंत्रण के लिए प्रयास करना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता उदयराम रतूड़ी का कहना है कि इस समस्या के समाधान को लेकर 23 सितम्बर 2014 को मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया था, परंतु आज तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।
नरेन्द्रनगर के पूर्व विधायक सुबोध उनियाल का कहना है कि मैने विधानसभा में ये मामला उठाया था जिस पर आधा घंटा बहस भी हुई। सरकार नदी में विदोहन कर कर नगर को बाढ़ आपदा से बचाया जा सकता है।