पर्वतजन
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
No Result
View All Result
पर्वतजन
No Result
View All Result
Home पर्वतजन

पालिकाओं पर फंसा पेंच!

November 7, 2016
in पर्वतजन
ShareShareShare
Advertisement
ADVERTISEMENT

लगभग तीन साल पहले 18 नगर पंचायतों के गठन होने के बाद भी अब तक न परिसीमन हो पाया और न ही चुनाव हुए। मझधार में फंसी नगर पंचायतें

पर्वतजन ब्यूरो

वर्ष २०१२ के पश्चात उत्तराखंड में १८ नगर निकायों का गठन किया जा चुका है, किंतु अभी तक न तो नगर निकायों के वार्डों का परिसीमन हो पाया है और न ही यह तय हो सका है कि कौन-कौन से नगर निकाय आरक्षित होंगे। नगर निकाय अधिनियम के अनुसार इनके परिसीमन एवं आरक्षण के प्रस्ताव जिलाधिकारियों के माध्यम से शासन में आने के बाद भी सामान्य निर्वाचन की कार्यवाही शुरू हो सकती है, किंतु जिला स्तर पर इन मामलों में सुस्ती के कारण यह सारी प्रक्रिया अधर में लटकी हुई है।
ये सभी नवगठित नगर निकाय अभी तक विभिन्न राजस्व ग्रामों के हिस्से थे। तेजी से विकसित होते बाजारों के कारण ये सभी इलाके कस्बों के रूप में विकसित होते गए और इन्हें नगर पंचायतों का दर्जा देने के लिए क्षेत्रवासियों की मांग काफी लंबे समय से हो रही थी।
सरकार वर्ष २०१२ के पश्चात अब तक १८ नगर निकायों का गठन चुकी है। जिनमें से शिवालिक नगर हरिद्वार, बिंदुखत्ता नैनीताल और रानीखेत अल्मोड़ा को नगरपालिकाओं का दर्जा दिया गया है तो शेष १५ नगर पंचायतें बनाई गई हैं।
वर्ष २०१४ में ७ नगर पंचायतों का गठन हुआ तथा वर्ष २०१५ में ९ नगर पंचायतें गठित की गई। शेष २ का गठन इसी वर्ष किया गया है।
नैनीताल स्थित बिंदुखत्ता मूल रूप से वन भूमि पर बसा हुआ है। यहां के स्थानीय लोग लंबे समय से इस इलाके को राजस्व ग्राम का दर्जा देने के लिए आंदोलनरत थे, किंतु सरकार ने राजस्व ग्राम का दर्जा देने के बजाय बिंदुखत्ता को नगर पंचायत घोषित कर दिया। हालांकि जनता के तीव्र विरोध से उपजे सियासी हालात से सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा और यह निर्णय वापस ले लिया गया।
हरिद्वार स्थित शिवालिकनगर क्षेत्र में टिहरी बांध विस्थापितों को पुनर्वासित किया गया है। यह इलाका एक अच्छे-खासे कस्बे के रूप में विकसित हो चुका है, किंतु विस्थापित होकर यहां बस चुके ग्रामीणों को भी डेढ़ दशक बाद भी भूमिधरी का हक नहीं मिल पाया है। अब सरकार ने १४ अक्टूबर २०१५ को शिवालिक नगर को नगरपालिका तो घोषित कर दिया, किंतु आगे की कार्यवाही पर प्रशासन ने चुप्पी साध ली है। हरिद्वार के पिरान कलियर, भगवानपुर सरीखे बड़े कस्बे भी नगर पंचायत के रूप में गठित किए जा चुके हैं, किंतु यहां के लोगों को भी आगे की कार्यवाही का इंतजार है।
टिहरी के घनसाली, गजा और लंबगांव जैसे कस्बे बेतरतीब निर्माण के कारण लगातार फैलते जा रहे हैं। यहां साफ-सफाई से लेकर कूड़ा-करकट का निस्तारण की कोई भी व्यवस्था अस्तित्व में नहीं है। ये सभी कस्बे भी नगर पंचायत के रूप में गठित हो चुके हैं, किंतु धरातल पर इसका कोई अस्तित्व अभी तक नहीं है।
इन नगर पंचायतों के गठन के पश्चात कोई भी अन्य कार्यवाही न हो पाने के कारण स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि सरकार ने इनका गठन सिर्फ सियासी फायदे के लिए किया।
न तो सरकार ने अब तक इन नगर पंचायत क्षेत्रों का परिसीमन कराया है और न ही अध्यक्ष पद के चुनाव कराए हैं, जबकि एक्ट के अनुसार नगर निकाय के गठन के 6 माह के भीतर चुनाव कराए जाने आवश्यक हैं। इनमें से कई नगर निकाय अनुसूचित जाति बाहुल्य नगर निकाय हैं, किंतु अभी तक कौन-कौन सी नगर पंचायतें आरक्षित होंगी, इसका भी निर्धारण नहीं किया गया है।
पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट, बेरीनाग तो चंपावत में बनबसा जैसे कस्बे भी वर्ष जनवरी २०१४ में ही नगर पंचायत का दर्जा पा चुके हैं, किंतु यहां के जिलाधिकारियों ने अभी तक आगे की कार्यवाही संपन्न नहीं की है। ऊधमसिंहनगर के नानकमत्ता और गूलरभोज जैसे कस्बे भी नगर पंचायत के रूप में अस्तित्व में आ चुके हैं, किंतु एक साल बाद भी इस दिशा में एक कदम भी प्रगति नहीं हो पाई है।
चमोली जिले के पीपलकोटी और थराली तेजी से फैलते हुए कस्बे हैं और आसपास के गांवों की आजीविका काफी हद तक इन कस्बों पर निर्भर है। इसके बावजूद भी सरकार का ध्यान इन कस्बों को सुनियोजित ढंग से बसाने के प्रति गंभीर नहीं है।
पौड़ी जिले का सतपुली कस्बा ७० के दशक में दूर-दूर के गांवों के एक बड़ा व्यापारिक केंद्र हुआ करता था, किंतु वर्ष १९९३ में बेलाकुची की बाढ़ के कारण यह कस्बा एक बार पूरी तरह तबाह हो चुका था। पिछले दो दशक से सतपुली फिर से व्यापारिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बन चुका है, किंतु इसे भी नगर पंचायत के रूप में कागजों पर गठन करने की कार्यवाही के अलावा अन्य कोई प्रगति नहीं हो पाई है।

सरकार वर्ष २०१२ के पश्चात अब तक १८ नगर निकायों का गठन चुकी है। जिनमें से शिवालिक नगर हरिद्वार, बिंदुखत्ता नैनीताल और रानीखेत अल्मोड़ा को नगरपालिकाओं का दर्जा दिया गया है तो शेष १५ नगर पंचायतें बनाई गई हैं।


Previous Post

जवान की शहादत के बाद पाक पर फूटा जम्मू-कश्मीर के युवाओं का गुस्सा

Next Post

...तो बच निकला डी. लाल!

Next Post

...तो बच निकला डी. लाल!

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *






पर्वतजन पिछले २3 सालों से उत्तराखंड के हर एक बड़े मुद्दे को खबरों के माध्यम से आप तक पहुँचाता आ रहा हैं |  पर्वतजन हर रोज ब्रेकिंग खबरों को सबसे पहले आप तक पहुंचाता हैं | पर्वतजन वो दिखाता हैं जो दूसरे छुपाना चाहते हैं | अपना प्यार और साथ बनाये रखिए |
  • बड़ी खबर: खूनीगाड़ नहर में गूल निर्माण को लेकर करोड़ों के गड़बड़झाले का आरोप। जांच की मांग
  • वीडियो: भूस्खलन से यमुनोत्री यात्रा मार्ग पर मची अफरा-तफरी। 5 के दबने की आशंका 
  • ब्रेकिंग: हाइकोर्ट ने लगाई त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक… 
  • त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव: कांग्रेस ने घोषित किए जिलावार प्रभारी।वरिष्ठ नेताओं को मिली अहम जिम्मेदारी
  • बड़ी खबर: वन दरोगा भर्ती परीक्षा संपन्न l 70% अभ्यर्थी रहे उपस्थित
  • Highcourt
  • इनश्योरेंस
  • उत्तराखंड
  • ऋृण
  • निवेश
  • पर्वतजन
  • मौसम
  • वेल्थ
  • सरकारी नौकरी
  • हेल्थ
June 2025
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  
« May    

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

error: Content is protected !!