द्वारीखाल ब्लॉक के राजकीय इंटर कॉलेज सिलोगी में नवीं कक्षा में पढऩे वाली छात्रा कनिका ने एक ऐसा स्मार्ट डस्टबिन तैयार किया है, जिसका सभी लोहा मान रहे हैं कि आखिर ऐसे डस्टबिन का अविष्कार आज तक क्यों नहीं हो पाया। कनिका ने अपने स्मार्ट डस्टबिन मॉडल को गुजरात में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी में लगाया तो इसकी वहां इतनी तारीफ हुई कि समूचे उत्तराखंड इस पर गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
अहमदाबाद के सरदार बल्लभ भाई पटेल स्टेडियम में रविवार से शुरू हुई 45वीं जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित एवं पर्यावरणीय प्रदर्शनी में देशभर के बाल वैज्ञानिकों ने अपने मॉडलों का प्रदर्शन किया। 27 नवंबर तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लॉक के राजकीय इंटर कालेज सिलोगी की छात्रा कनिका कुकरेती ने अपने स्मार्ट डस्टबिन मॉडल को लोगों के सामने रखा।
कनिका के प्रदर्शनी में अपने शिक्षक महेंद्र सिंह राणा के साथ पहुंची थी। कनिका के इस मॉडल की सभी दर्शकों और आयोजन समिति ने सराहना की। कनिका का कहना है कि इस स्मार्ट डस्टबिन से स्वच्छ भारत अभियान को सफलता के सोपान तक पहुंचाया जा सकता है। कनिका द्वारीखाल ब्लॉक के ग्राम ग्वील, पो. ग्वील की रहने वाली है।
स्मार्ट कैसे हुआ डस्टबिन
कनिका के डस्टबिन में एक चिप लगी है, जो भरते ही जहां डस्टबिन को लॉक कर देती है, वहीं डस्टबिन में लगा सायरन तेज आवाज में बजने लगता है। इसके बाद सफाई कर्मी डस्टबिन को खोलकर उससे कूड़ा निकाल देता है। डस्टबिन लॉक होने के कारण उससे कूड़ा बाहर नहीं गिरता। साथ ही जानवर भी कूड़े को यहां-वहां नहीं बिखेर पाते।
प्रदेश सरकार चाहे तो कनिका के इस अविष्कार से स्वच्छ उत्तराखंड को नए आयाम दे सकती है। बहरहाल, कनिका अपने अविष्कार से आज पौड़ी के साथ ही समूचे उत्तराखंड में छात्र-छात्राओं का प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं।