प्रॉपर्टी डीलर से एक करोड़ रुपए की लूट करने वाले पुलिस के दरोगा दिनेश नेगी को पुलिस का कौन आला अधिकारी बचा रहा है !
अब इसको लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल यह सवाल पुलिस की कार्यशैली ने खुद-ब-खुद खड़े किए हैं।
पहला सवाल तो यही है कि लूट में शामिल आई जी की गाड़ी को केस प्रॉपर्टी मानकर अब तक क्यों सीज नहीं किया गया जबकि ऐसे किसी भी केस में पुलिस सबसे पहले गाड़ी जरूर सीज़ करती है।
दूसरा सवाल यह है कि लूटेरा दरोगा अब तक नौकरी पर कैसे कायम है !
तीसरा सवाल यह है कि यह दरोगा लंबे समय से पुलिस मुख्यालय में किसके संरक्षण से तैनात था !
चौथा सवाल यह है कि लूट के एक सप्ताह बाद तक भी दरोगा को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया था। जांच और पूछताछ के नाम पर दरोगा को क्यों समय दिया जाता रहा। गिरफ्तारी मे लेट क्यों हुई ! किसका दबाव था !
पांचवा सवाल यह है कि अभी तक आरोपित दरोगा के मोबाइल कॉल डिटेल की जांच क्यों नहीं हुई है ! जबकि ऐसे मामलों में अभियुक्त के 6 माह से पुराने कॉल की डिटेल की जांच जरुर की जाती है।
छटा सवाल यह है कि अभी तक दरोगा के खिलाफ विभागीय जांच क्यों नहीं शुरू की गई ! केवल आईपीसी की धाराओं के तहत जांच को सीमित रखने का दबाव किसकी ओर से डाला जा रहा है !
सातवां सवाल यह है कि दरोगा के पुराने इतिहास की अभी तक जांच क्यों नहीं की गई है ! जबकि यह मामला सामने आने पर उसके संपर्कों और उसके पुरानी इतिहास की जांच जरूर की जानी चाहिए थी।
इन 7 सवालों का जवाब ढूंढने निकलें तो साफ पता चल जायेगा कि आखिर 4 अप्रैल को जब प्रॉपर्टी डीलर अनुरोध पंवार से यह रकम लूटी गई थी तो आज 20 अप्रैल तक दरोगा को बचाने के पीछे किस आला अफसर का दिमाग काम कर रहा है !
बहरहाल कांग्रेस नेता अनुपम शर्मा की इस बात पर गौर करें कि यह रकम दिल्ली स्थित एक पूर्व मुख्यमंत्री के आवास से पौड़ी लोकसभा सीट के लिए भिजवाई जानी थी तो फिर यह भी सवाल खड़ा होता है कि आखिर अनुपम शर्मा के पास ऐसे कौन से साक्ष्य और प्रमाण हैं जो वहां कुछ दिन बाद मीडिया को बताने का दावा कर रहे हैं।