उत्तराखंड राज्य की पहचान अब आपदा प्रदेश के रूप में भी होने लगी है। मीडिया भी छोटी-बड़ी घटनाओं को इस अंदाज में दिखा रहा है, जैसे उत्तराखंड जाना मोक्ष पाने का एकमात्र रास्ता बच गया हो।
कुछ दिन पहले उत्तराखंड की होटल एसोसिएशन ने मीडिया का इसी कारण पुतला फूंका था कि उनके द्वारा चलाई गई खबरों के कारण होटल व्यवसाय ठप हो गया है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जिस दिन नवप्रभात और राजेंद्र भंडारी को मंत्री पद दिया, उसी दिन कांग्रेस कोटे से मंत्री यशपाल आर्य को आपदा विभाग दे दिया गया। आर्य के पास पहले भी यह विभाग रह चुका था, किंतु आपदा के मलवा का हलवा मुख्यमंत्रियों ने अपने पास ही रखा। इसलिए उन्होंने सरकार बदलने के बाद यह विभाग छोड़ दिया था। बदले घटनाक्रम में एक बार फिर मुख्यमंत्री ने उन्हें आपदा प्रबंधन विभाग की जिम्मेदारी सौंप दी, किंतु मलाईदार विभाग फिर चहेतों में बांट दिए। यही कारण था कि अधिकारियों द्वारा आपदा प्रबंधन की फाइल लाने पर मंत्री जी ने उन्हें पलटकर भी नहीं देखा और आपदा प्रबंधन के अधिकारियों से स्पष्ट रूप से कह दिया कि आपदा-विपदा की फाइल सीधे मुख्यमंत्री के पास ही ले जाएं। मैं किसी भी सूरत में यह विभाग नहीं लूंगा।