कूड़ा निस्तारण के लिए शॉर्ट कट पर ज़ोर
कूड़े मे आग लगाकर निस्तारण का सस्ता किन्तु हानिकारक प्रयोग का प्रचालन बढ़ा
आंखे मूँदे बैठे जिम्मेदार विभाग
अपने विवादों मे उलझे है नगर पालिका,नगर पंचायत और जिला पंचायत।
गिरीश गैरोला उत्तरकाशी
कूड़ा निस्तारण के लिए जहां देश भर मे नेता और अधिकारी झाड़ू लेकर सड़कों पर उतर कर ये संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि सफाई एक सामुहिक ज़िम्मेदारी है, वहीं धरातल पर चंद लोग इस प्रयास को पलीता लगाने मे जुटे हैं। गौरतलब है कि आम आदमी को सफाई की आदत डालने के लिए उत्तरकाशी मे कूड़े के बदले मोबाइल देने की योजना भी डीएम द्वारा संचालित की गयी थी। इसके बाद भी जिले मे कूड़े के शीघ्र निस्तारण के लिए उसमे आग लगाकर शॉर्टकट अपनाए जा रहे हैं।
जानकारों की माने तो कूड़े के सड़ने से होने वाले नुकसान से कहीं अधिक इसको जलाने पर होता है। कूड़े को जलाने से कई प्रकार की जहरीले गैसें हवा मे घुल कर हमारी साँसों तक पहुंचकर हमे बीमार कर देती है।
उत्तरकाशी जिला मुख्यलाय मे नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत गंगोत्री राजमार्ग पर विश्वनाथ मंदिर तिराहे के पास रखे गए कूड़ेदान के पास ही कूड़े मे आग लगा दी जाती है। इतना ही नहीं पूरे नगर का कूड़ा जहां डंप होता है। वहां तेखला खड्ड मे भी कूड़ा निस्तारण के नाम पर इसमे आग लगाकर वातावरण मे कई जहरीली गैस घोलने का काम नगर पालिका कर रही है। इस बारे मे पालिका के ईओ सुशील कुमार कहते हैं कि आग उनके कर्मचारियों ने नहीं लगाई है और वे आग लगाने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करेंगे। किन्तु न तो मुकदमा दर्ज हुआ और न आग लगाने वालों का कानूनी रूप से पता ही चल सका।
गौर करने वाली बात ये है कि पालिका के पास कूड़ा निस्तारण के लिए बजट पिछली सरकार मे ही अवमुक्त हो गया था, किन्तु पालिका अपने अंदरूनी विवादों मे ऐसी उलझी है कि उसे कूड़े का जैविक और अजैविक मे अलग – अलग कर करके निस्तारण करने का समय ही नहीं है।
यही आलम जिला पंचायत उत्तरकाशी का भी बना हुआ है। नए डीएम डॉ आशीष कुमार चौहान ने जिला पंचायत के ईओ कबुल चंद को तलब कर सफाई व्यवस्था चाक-चौबन्द करने के निर्देश दिये तो एएमए जिला पंचायत ने डम्पिंग ज़ोन उपलब्ध नहीं होने का रटा – रटाया जबाब सुना दिया। किन्तु जब डीएम ने जिला पंचायत द्वारा डम्पिंग के लिए रतुड़ी सेरा के पास खरीदे गए जमीन के टुकड़े पर जबाब मांगा तो जिला पंचायत के कर्मचारी बगले झाँकने लगे।·
अपर मुख्य अधिकारी ने तो अभी एक महीने पहले ही ज्वाइन न करने का बहाना बनाकर अपनी गले से ज़िम्मेदारी का फंदा निकाल लिया किन्तु जिला पंचायत को अभी भी इस सवाल का जबाब देना है कि ऐसी जमीन किस अधीकारी के द्वारा क्रय की गयी जिसमे जाने के लिए रास्ता ही नहीं है।
सवाल ये है कि जब जमीन क्रय की गयी तो उस वक्त रास्ता क्यू क्रय नहीं किया गया ? डीएम ने सख्ती दिखाई तो वह खुद अपने 10 सफाई कर्मियों की टुकड़ी के साथ आसपास के क्षेत्रो मे रेकी करने मे जुटे हैं।
अब अधिकारी को क्या मालूम था कि अधिकारी का प्रभार मिलने के बाद भी उन्हे खुद कूड़ा निस्तारण की रणभूमि मे खुद मोर्चा संभालना पड़ेगा।
दरअसल देहारादून मे कार्यकारी पद पर तैनात कबूलचंद ट्रान्सफर के बाद भी ज्वाइन करने के इच्छुक नहीं थे किन्तु अपर मुख्य अधिकारी का प्रभार मिलने पर उन्होने तत्काल ज्वाइन कर लिया किन्तु तेज तर्रार डीएम की सख्त हिदायत के बाद उन्हे निगरानी के लिए सड़कों पर उतरना पड़ा। अब अधिकारी सोचते होंगे कि जिला पंचायत सदस्यों का आपसी विवाद ही क्या कम था कि एक और मोर्चा जिस पर उन्हे अकेले लड़ना है ?
नगर पंचायत चिन्यालीसौड भी इस कार्य मे अपने बड़ों का अनुसरण ही कर रहा है। स्थानीय निवासी सुरेश सेमवाल ने बताया कि नगर पंचायत के कर्मचारी नगर का कूड़ा नगुन गाड़ बैरियर के पास गंगा नदी पर बनी झील से लगे ढलान पर दाल देते हैं। और फिर इसमे आग लगा दी जाती है। इस दौरान पूरे वातावरण मे फैली जहरीली गैस का धुंआ तस्वीरों मे साफ देखा जा सकता है।जबकि इसी क्षेत्र से लगे बड़ेथी बाजार का कूड़ा भी बड़ेथी और धरासु के बीच बीआरओ के पुल के पास एकत्र कर आग के हवाले किया जा रहा है।
स्वच्छता को लेकर देश भर मे चल रहे पखवाड़े को लेकर स्वच्छता के लिए गंदगी के पेड़ को जड़ से हटाने के बजाय जिम्मेदार विभाग इसकी शाखा काट कर प्रशस्ति पत्र लेने की कतार मे खुद को आगे खड़ा करने की फिराक मे है।सावधान !!