कुमार दुष्यंत /हरिद्वार
करीब डेढ़ सौ साल पुरानी है यह इमारत, गंगा की दो धाराओं के मध्य बहुत ही मनोरम है लोकेशन
कर्नल कॉटले का सुंदर चित्र डामकोठी के सभा भवन में स्थापित
1854 में गंगनहर निर्माण के दौरान अंग्रेज इंजीनियर प्रो कॉटले ने किया था इसका निर्माण
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के आदेश पर हरिद्वार स्थित राज्य अतिथि गृह डामकोठी के सभागार में गंगनहर के निर्माणकर्ता कर्नल प्रो बी.कॉटले का चित्र लगाया गया है। जिसके बाद अब लोग यह जान पाएंगे कि आधुनिक हरिद्वार के निर्माण की बुनियाद रखने वाला कौन व कैसा था?
डामकोठी इकलौता अतिथि गृह है, जो परिसंपत्ति बंटवारे में उत्तराखंड के हिस्से आया है। करीब डेढ़ सौ साल पुरानी यह इमारत गंगा की दो धाराओं के मध्य बहुत ही मनोरम लोकेशन पर है। 1854 में गंगनहर निर्माण के दौरान अंग्रेज इंजीनियर प्रो कॉटले ने इसका निर्माण किया था। डामकोठी उस दौर की समृद्ध स्थापात्य कला का भी नमूना है। इसे विडम्बना ही कहेंगे कि हरिद्वार की पहचान बन चुकी इस डामकोठी को बनाने वाले कर्नल कॉटले का अब तक कहीं कोई जिक्र नहीं था।
विगत दिवस कोटद्वार आपदा का निरीक्षण कर लौटते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत यहां कुछ देर रुके तो उन्होंने डामकोठी की भव्यता को निहारा व इसके स्थापात्य व इसको बनाने वाले कर्नल कॉटले की प्रशंसा की। इसी दौरान जब उन्हें पता चला कि उस दौर में इतनी भव्य इमारत बनाने वाले कॉटले का कहीं कोई जिक्र इमारत में नहीं है तो उन्होंने इसे कृतघ्नता मानते हुए तत्काल डामकोठी के रखरखाव में लगे हुए अधिकारियों को डामकोठी के सभागार में सम्मानजनक स्थान पर कर्नल कॉटले का चित्र लगाने के आदेश दिए। जिसके बाद अब कर्नल कॉटले की मृत्यु के करीब सौ साल बाद उन्हें अब वह सम्मान मिला, जिसके वह हकदार थे।
उल्लेखनीय है कि कर्नल प्रो. बी. कॉटले को
आधुनिक हरिद्वार का निर्माणकर्ता भी कहा जाता है। उनके द्वारा कानपुर तक निकाली गर्ई करीब पांच सौ किलोमीटर लंबी गंगनहर के बाद ही देश के इस क्षेत्र में हरित-क्रांति का दौर शुरू हुआ। कर्नल कॉटले ने उसी दौर में हरिद्वार व रुड़की में अनेक आधुनिक भवनों का निर्माण करवाया। हरिद्वार में डामकोठी व नगर निगम मुख्यालय कर्नल कॉटले की ही देन है।
डामकोठी की भव्यता ऐसी है कि कोई भी उससे मुग्ध हुए बिना नहीं रह पाता। राष्ट्रपति से लेकर सत्ता के निचले सिरे तक के व्यक्ति हरिद्वार के इस राज्य अतिथि गृह डामकोठी की सुंदरता के कायल हैं। इस भवन की भव्यता ऐसी है कि आज भी राजनीति में सक्रिय प्रत्येक व्यक्ति का यह स्वप्न रहता है कि वह सत्तारूढ़ होकर डामकोठी में सभा करे।
डामकोठी के परिरक्षण अधिकारी संजय सिंह बताते हैं कि कर्नल कॉटले का चित्र भवन के पिछले हिस्से में लगा हुआ था। जहां प्राय: आगंतुकों की दृष्टि जाती ही नहीं। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद कर्नल कॉटले का सुंदर चित्र डामकोठी के सभा भवन में स्थापित कर दिया गया है।