एक सप्ताह पहले 28 दिसंबर की शाम एक महिला पुलिसकर्मी के यौन शोषण के आरोप में फंसे अपर पुलिस अधीक्षक परीक्षित कुमार के मामले को पुलिस महकमा एक हफ्ते तक दबा कर बैठा रहा। मीडिया में इसका खुलासा होने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है।
आरोप है कि 28 दिसंबर की शाम 7:30 बजे अपर पुलिस अधीक्षक परीक्षित कुमार एक महिला पुलिसकर्मी के घर गए और उन्हें फोन पर घर से बाहर बुलाकर अपनी गाड़ी में बिठा दिया तथा अश्लील हरकत की। जब महिला पुलिसकर्मी ने इसका विरोध किया तो फिर उसे पुलिस अधिकारी ने घर से कुछ दूरी पर गाड़ी से उतार दिया।
इसकी शिकायत 29 दिसंबर को अगले ही दिन महिला पुलिसकर्मी ने एसएसपी रिद्धिम अग्रवाल को दे दी थी। उन्होंने इस मामले की जांच एसपी सिटी ममता बोहरा को सौंप दी थी। हालांकि पुलिस का कहना है कि दोनों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं और जल्दी ही जांच रिपोर्ट एसएसपी हरिद्वार को सौंप दी जाएगी।
डीजी (लॉ एंड ऑर्डर) अशोक कुमार का कहना है कि फिलहाल पुलिस अफसर को मुख्यालय से अटैक कर दिया गया है तथा जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
एसएसपी हरिद्वार जन्मेजय खंडूरी का कहना है कि जांच कमेटी को निष्पक्षता से जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।
जांच कमेटी में एसपी सिटी ममता बोहरा, सीओ कनखल स्वप्न किशोर सिंह और हरिद्वार तथा रुड़की की महिला हेल्पलाइन प्रभारी मीना आर्य और अनीता नेगी शामिल हैं।
हालांकि परीक्षित कुमार का कहना है कि उन पर लगाए गए आरोप झूठे हैं। बहरहाल यह तो जांच रिपोर्ट में ही स्पष्ट हो पाएगा कि परीक्षित कुमार ने महिला पुलिसकर्मी को 28 दिसंबर की शाम को फोन किया था या नहीं और उस वक्त उनकी लोकेशन कहां पर थी !
जांच टीम भी बयानों के साथ साथ इन तकनीकी पहलुओं को भी अपनी जांच का हिस्सा बनाएगी या नहीं, यह जांच रिपोर्ट के बाद ही साफ हो पाएगा।