तड़पती रही गौ माता देखते रह गये गौभक्त।
बहाने बनाते रहे गौ प्रेमी।
रामलीला मंच के सामने तड़पती गौ माता के दम तोड़ने के साथ ही गौ को राष्ट्रमाता घोषित
करने सहित पशु क्रूरता अधिनियम के कानून पर उठे सवाल ?।
गिरीश गैरोला।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम के मंचन स्थल रामलीला मैदान उत्तरकाशी में के सामने तड़पती गौ माता ने कुछ देर बाद पशु अस्पताल ज्ञानसू में दम तोड़ दिया। किन्तु दम तोड़ने से पहले गौमाता मानव समाज और गौ प्रेमियो की संवेदनहीनता पर कई प्रश्न खड़े कर गयी।
इंसान को मरने के बाद बैतरणी नदी पार कराने वाली हिन्दुओ की गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने के अलावा कई गौ प्रेमी गौवंश के संरक्षण को लेकर आंदोलन चलाये हुए है। कानून भी इसमें पीछे नहीं है ।पशु क्रूरता अधिनियिम भी काफी लंबा चौड़ा है , जिसमे कड़ी सजा का भी प्रविधान है । पिछले दिनों डीएम आशीष चौहान की पहल पर गौवंश की बायो मेट्रिक टैगिंग सुरु की गयीथी ताकि उन्हें सड़क पर आवारा घूमने के लिए छोड़ने वालो की पहिचान कर कार्यावाही की जा सके किन्तु मरने वाली इस गाय पर पालिका द्वारा कोई टैगिंग नहीं की गयी थी।
नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी सुशील कुमार कुरील ने बताया कि अभी बायोमेट्रिक टैगिंग का आंकड़ा उनके पास नहीं पहुंचा है।
उत्तरकाशी के रामलीला मैदान के पास बीमारी से तड़पते गाय को बड़े देख महाविद्यालय के छात्र राजेश बिजल्वाण ने नगर पालिका के सभासद हरीश डंगवाल को दूरभाष पर जानकारी दी जिसके बाद गंगोरी से पशु चिकित्सक डॉ अंकित मौके पर पहुंचे। करीब 5:30 बजे डॉक्टर ने फूड प्वाइजनिंग से गाय की गंभीर हालत का जिक्र करते हुए उसे इंजेक्शन देने के बाद पशु चिकित्सालय ज्ञानसू भेजने का सुझाव दिया । जिसके बाद मौके पर राजेश बिजल्वाण , ममता मिश्रा सहित कई लोगों ने नगर पालिका अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी को जानकारी दी। करीब 2 घंटे बाद पालिका की कूड़ा उठाने वाली गाड़ी मौके पर आई और बीमार गाय को ज्ञानसू पशु अस्पताल भेजा गया जहां पर डॉक्टर प्रमोद पाठक ने भरसक प्रयास किया किंतु करीब 8:30 बजे गाय ने दम तोड़ दिया । मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रलयंकर नाथ ने बताया कि गाय के शरीर का तापमान बेहद कम हो गया था , जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई।
अब सवाल यह है कि इस गाय पर बायोमेट्रिक टैगिंग नहीं लगी थी यदि होती पशुपालक गाय के मालिक की पहचान हो सकती थी और और भविष्य में गोवंश के साथ होने वाले अत्याचार को रोका जा सकता था , किंतु सभ्य समाज का हवाला देते हुए मौके पर पहुंचे राजेश बिजल्वाण को लोगों ने बताया कि यहां यह गाय दोपहर करीब 2 बजे से इसी हालत में पड़ी थी और नगर के आवारा कुत्ते उसकी मौत से पहले ही उसे जिन्दा नोच खाने को तैयार बैठे थे किन्तु किसी भी गौ प्रेमी ने गौ माता को बचाने का प्रयास नहीं किया और इंसानों को मरने के बाद वैतरणी पार कर मोक्ष देने वाली गौ माता खुद तड़प तड़प कर इस दुनिया से चली गई।