देहरादून में उच्च न्यायालय के आदेश पर फुटपाथों और सरकारी सड़क पर हुए अतिक्रमण को हटाने का अभियान प्रचंड बहुमत की सरकार धरातल पर उतारने में अभी तक ढीली ही साबित हो रही है। सरकार पर एक ओर पक्षपात करने का बड़े लोगों पर करम और छोटों पर सितम ढाने का आरोप लग रहा है, वहीं सरकार इस अभियान में हर दिन नए बहाने ढूंढ रही है। सरकार की मंशा तभी स्पष्ट हो गई थी, जब हाईकोर्ट में मामला होने के बावजूद सरकार अपनी भद पिटाते हुए सुप्रीमकोर्ट पहुंच गई, जहां से उसे बैकफुट पर आना पड़ा।
अतिक्रमण हटाओ अभियान की सबसे बड़ी समस्या नेताओं के वे धंधें हैं, जिनके पीछे वे न सिर्फ लाखों रुपए कमाते हैं, बल्कि अवैध बस्तियां बसाकर वोट बैंक भी तैयार किया गया है। राजपुर के विधायक खजानदास, रायपुर के उमेश शर्मा काऊ, मसूरी के विधायक गणेश जोशी और कैंट के विधायक हरबंश कपूर जब प्रेमनगर में अतिक्रमण हटाओ अभियान रुकवाने गए, तब उत्तराखंड के लोगों को मालूम हुआ कि प्रेमनगर में हरबंश कपूर का वह बिहाइव कॉलेज मौजूद है, जिसके बेचने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है और तब अप्रत्याशित रूप से ये सभी विधायक कांग्रेस के नेता सूर्यकांत धस्माना के समर्थन में खड़े हो गए, जिनका कॉलेज भी अतिक्रमण की जद में है। कल तक जो विधायक अपनी विधानसभाओं में मौन थे, अब वे मुखर हैं।
मसूरी के विधायक गणेश जोशी द्वारा देहरादून की अवैध बस्तियों के अतिक्रमण को हटाने को लेकर दिए गए नोटिस पर गणेश जोशी इतने उग्र हो गए हैं कि उन्होंने ऐलान किया है कि यदि इन अवैध बस्तियों से कोई भी अतिक्रमण हटाया गया तो वे इसके खिलाफ खड़े होंगे। गणेश जोशी को मालूम है कि उनकी इस हरकत पर उन पर न्यायालय की अवमानना के साथ-साथ सरकारी काम में बाधा डालने का भी मुकदमा दर्ज हो सकता है, किंतु गणेश जोशी का कहना है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने उन्हें आश्वासन दिया है कि जिन लोगों को अवैध बस्ती हटाने के लिए नोटिस दिया गया है, अब सरकार सोमवार को हाईकोर्ट जाकर अपने ही द्वारा दिए गए नोटिस का प्रतिकार करेगी।
गणेश जोशी द्वारा अवैध बस्तीधारकों के साथ इस प्रकार खड़ा होने से पहले विधायक उमेश शर्मा काऊ, हरबंश कपूर, खजानदास भी कह चुके हैं कि यदि अवैध बस्तियों को हटाया गया तो वे अपनी विधायकी को भी इन बस्तियों को रुकवाने में दांव पर लगा देंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने तो बाकायदा बयान जारी कर ऐलान किया है कि अतिक्रमण हटाओ अभियान को देखकर तो उनका मन भी कर रहा है कि वे सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ जाएं।
बहरहाल, अतिक्रमण हटाओ अभियान का एक महीना २६ जुलाई को पूरा होने जा रहा है, किंतु सरकार देहरादून के १२ हजार अतिक्रमणों में से अभी तक ४ हजार भी हटा नहीं पाई है। विधायकों के बढ़ते इस दबाव पर सरकार कोर्ट में क्या जवाब देती है, इस पर उन लोगों की भी निगाहें हैं, जिन्होंने देहरादून को स्वच्छ रखने और साफ-सुथरा रखने के लिए न्यायालय से आदेश करवाया था।