उत्तराखंड में अतिथि शिक्षकों की भर्ती पर सुप्रीम कोर्ट 4 जनवरी सुबह 10:30 बजे रोक लगा चुका है, किंतु उत्तराखंड सरकार बैक डेट में अतिथि शिक्षकों की काउंसलिंग करवा रही है। कल 5 तारीख को हरिद्वार में बैक डेट में काउंसलिंग रखी गई थी और आज चमोली में अतिथि शिक्षकों के लिए काउंसलिंग हुई है।
जब पर्वतजन ने हरिद्वार के मुख्य शिक्षा अधिकारी आरडी वर्मा को बैक डेट में काउंसलिंग कराने का कारण पूछा तो वह भन्ना गए और उल्टा पर्वतजन को डपकते हुए भी कहने लगे कि जो भी पूछना है जाकर डायरेक्टर को पूछो ! “जो भी हो रहा है डायरेक्टर के आदेश पर हो रहा है।”
पर्वतजन ने जब आज काउंसलिंग करा रहे चमोली के मुख्य शिक्षा अधिकारी ललित चमोला से बैक डेट में काउंसलिंग कराने का कारण पूछा और बताया कि यह तो सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है तो फिर उन्हें सांप सूंघ गया। वह कहने लगे केवल बैठक है कोई कांउसलिंग नही है।
मजे की बात यह है कि इन दोनों अधिकारियों को यह पता है कि यह दोनों गलत कर रहे हैं, इसीलिए उन्होंने मोबाइल से कोई फोन नहीं रिसीव किया।
जब इन्हे लैंडलाइन से फोन किया गया तो कई कॉल जाने के बाद उन्होंने फोन उठाया लेकिन मुद्दे की बात सुनते ही दोनों को सांप सूंघ गया।
उत्तराखंड में जीरो टोलरेंस से बड़ा फिलहाल कोई दूसरा जुमला नहीं रह गया है। सुप्रीम कोर्ट की ऐसी ही अवमानना होनी है तो फिर उत्तराखंड में सरकार का क्या मतलब रह जाता है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अतिथि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा रखी है लेकिन शिक्षा विभाग सरकार के कहने पर बैक डेट में काउंसलिंग कर के अतिथि शिक्षकों को नियुक्तियां दे रहा है।
शिक्षा मंत्री का भी कहना है कि अतिथि शिक्षकों की भर्ती हो चुकी है, जबकि हकीकत यह है कि अभी तक जब अतिथि शिक्षकों की काउंसलिंग भी नहीं हुई है और ना ही 13 जनपदों में अतिथि शिक्षकों को काउंसलिंग पत्र दिए गए हैं और ना ही खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में उपस्थिति दर्ज हुई है और न ही स्कूलों में जॉइनिंग हुई है तो फिर हमारे आदरणीय शिक्षा मंत्री जी किस आधार पर कह रहे हैं कि अतिथि शिक्षकों की भर्ती हो चुकी है !
आखिर किस तरह से खुलेआम सुप्रीम कोर्ट की आंखों के साथ साथ पूरे प्रदेश की जनता धोखे में रखा जा रहा है !
हकीकत यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने अतिथि शिक्षकों की भर्ती पर रोक लगा कर अधिकारियों को नोटिस जारी किया हुआ है।
वर्ष 2015 में जिन अतिथि शिक्षकों की उम्र 42 वर्ष थी आज 2011 में उनकी उम्र 46 वर्ष है। उम्र दराज अतिथि शिक्षकों को भी सरकार ने भर्ती प्रक्रिया से बाहर किया हुआ है, वर्तमान नियुक्ति प्रक्रिया में राज्य स्तर पर आरक्षण नियमों का भी पालन नहीं किया गया है।
शिक्षा विभाग की इससे बड़ी दुर्गत और कभी नहीं हुई होगी, जब सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बावजूद उन्हें सरकार के कहने पर बैक डेट में काउंसलिंग और भर्तियां करानी पड़ रही है।
अवमानना में जब कोई फिर से सुप्रीम कोर्ट जाएगा तो फिर शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री तो साफ बच जाएंगे फंसेगा कोई शिक्षा विभाग का अफसर ही।
कुछ तो ख्याल करो सरकार ! आखिर आप संवैधानिक तरीके से चुनी गई प्रचंड बहुमत की सरकार हो, ऐसे “बंटी बबली” टाइप काम आपको शोभा नहीं देते ! ऐसी ही हालत रही तो आगामी 4 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में पांचों सीटों से हाथ धो बैठोगे !