नीरज उत्तराखंडी/उत्तरकाशी
सरकार और शिक्षा विभाग की तमाम कोशिशों और अभियानों के बावजूद भी निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का लक्ष्य हासिल करना तथा सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढाना टेढ़ी खीर साबित हो रही है। निशुल्क पाठ्य पुस्तकें,स्कूल वेशभूषा,भोज, वजीफा,फीस छात्रों को दिये जाने तथा भारी भरकम वजट खर्च करने,अच्छा वेतन, प्रशिक्षित और योग्य अध्यापकों के बावजूद भी राजकीय स्कूलों में छात्र -छात्राओं की संख्या में लगातार गिरवाट आ रही है। सरकारी स्कूलों से बच्चों का पलायन जारी है। तमाम प्रयासों के बाद भी राजकीय स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या नहीं बढ़ पा रही है।आलम यह है कि राजकीय विद्यालयों में केवल उन मजदूरों व कमजोर आर्थिक स्थिति के ग्रामीणों के बच्चें ही मजबूरी वश पढ़ रहे है। विशेष कर राज्य के सीमांत और सुदूरवर्ती गाँव के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या लगातार घट रही है। जिस वजह से कई स्कूलों में ताले लटक गये हैं। तथा कई स्कूलों में छात्र संख्या 10 से कम होने पर बन्द होने के कगार पर है।
राजकीय विद्यालयों में शिक्षा के गिरते स्तर की एक वजह यह भी मानी जा रही है कि इन स्कूलों में किसी भी राजकीय अधिकारी और कर्मचारियों के बच्चे नहीं पढ़ते हैं।
पुरोला विकास खण्ड में यदि सरकारी स्कूलों की स्थिति पर नजर डाली जाये तो विकास खण्ड में 73 राजकीय प्राथमिक विद्यालय हैं। जिनमें 1605 विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। कुल शिक्षक 130 है जिनमें 34 प्रधानाध्यापक तथा 86 सहायक अध्यापक और 10 शिक्षामित्र है। ब्लाक में 39 विद्यालयों में हैडमास्टर के पद खाली चल रहे हैं।यानि की इन प्रधानाध्यापक विहीन स्कूलों में प्रभारी प्रधानाध्यापक को शिक्षण के अतिरिक्त पद भार का कार्य भी करना होता है। शिक्षकों को शिक्षा के इतर अन्य राजकीय कार्य करवाये जाने से शिक्षण प्रभावित होता है। शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आना भी सरकारी स्कूलों से बच्चों के पलायन करने की एक बड़ी वजह मानी जा रही है यही कारण है कि जागरूक और आर्थिक रूप से सक्षम अभिभावक अपने पाल्यों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होने देना चाहते।
सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा के एवज में निम्न गुणवत्ता की शिक्षा मिलने से समझौता नहीं किया जा सकता है।
पुरोला में राजकीय प्राथमिक विद्यालय छानिका और पौंटी में छात्र संख्या शून्य होने से बन्द पड़े हैं। वहीं 13 प्राथमिक स्कूलों में छात्र संख्या 10 से कम होने पर बन्द होने की स्थिति में पहुँच चुके हैं।जिनमें राजकीय प्राथमिक विद्यालय दोणी जहाँ महज 2 छात्र पढ़ रहे है । नैलाडी में 6,शिकारू-6,रतेडी-8, सुकडाला-7,कासलौं-5,किमडार -9,नौरी-4,पुजेली-5, सुराणू सेरी-3, गोटूका-7, माडिया-9तथा कामरा में 05 छात्र वर्तमान समय में पढ़ रहे सरकारी अभिलेखों में दिखाये गये हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन विद्यालयों में छात्र संख्या भले ही 10 से कम है लेकिन इन छात्रों को पढ़ाने के लिए दो-दो अध्यापकों की तैनती की गई है। तथा 20 प्राथमिक स्कूल एक अध्यापकों के भरोसे संचालित किये जा रहें हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार छात्र संख्या कम होने से अध्यापक यहाँ बारी-बारी से आते हैं।और महीने के अन्त में हाजरी पंजिका में अपनी उपस्थिति की चिडिया बैठाकर विना काम के पूरा दाम हासिल करने में कामयाब हो जाते हैं।सवाल ये भी है कि कहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से फर्जी उपस्थिति की तरह कहीं बच्चों की संख्या भी जानबूझकर ज्यादा तो नहीं दिखाई गई हो।
यही हाल जूनियर हाई स्कूलों का है विकास खण्ड में 22 जूनियर हाई स्कूलों में 753 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं ।जिन्हें पढ़ने के लिए सरकारी अभिलेखों में65 शिक्षक तैनात है। जूहा स्कूल पौंटी, किमडार तथा नौरी में छात्र न होने के कारण बन्द पड़े हैं वहीं जूहा स्कूल कामरा में छात्र संख्या 3 होने से बन्द होने के कगार पर है।