पर्वतजन पोर्टल में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की लक्जरी कार और मुख्यमंत्री की सुरक्षा में गंभीर चूक पर प्रकाशित खबर के बाद उत्तराखंड सचिवालय चौकन्ना हो गया है। फर्जी नंबर पर चल रही गाड़ी की खबर से सरकार को अब न तो यह निगलते बन रहा है, न उगलते ही। वर्तमान में संभागीय परिवहन कार्यालय देहरादून में यूके07 जीडी सिरीज गतिमान है। पर्वतजन में प्रकाशित खबर के बाद राज्य संपत्ति विभाग को आरटीओ देहरादून से तत्काल इसके चैसिस नंबर व संबंधित कागजात तत्काल आरटीओ दफ्तर भेजने के मौखिक आदेश दिए गए। इसके बाद राज्य संपत्ति विभाग के कार्मिक समस्त काम छोड़कर मुख्यमंत्री की गाड़ी की जांच-पड़ताल में लग गए।
एक सिरीज में १० हजार नंबर होते हैं। उसके बाद जीई सिरीज शुरू होगी, उसके भी १० हजार नंबर बंटने के बाद जीएफ सिरीज शुरू होगी। अर्थात मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जिस यूके07 जीएफ 0009 नंबर की गाड़ी से चल रहे हैं, उस गाड़ी का नंबर अगले २० हजार वाहन बिकने के बाद आएगा। चूंकि यह सरकारी सिरीज है और जब तक २० हजार सरकारी वाहन नहीं बिकेंगे, यह नंबर आरटीओ में पंजीकृत नहीं हो सकता।
एक्सक्लूसिव : सीएम की सुरक्षा मे गंभीर चूक
१८ मार्च २०१७ को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के द्वारा शपथ ग्रहण करते ही देहरादून आरटीओ को 9 नंबर अलॉट करने के मौखिक आदेश हुए। संभागीय परिवहन कार्यालय देहरादून में जब सरकार के सामने हाथ खड़े कर दिए कि सरकारी गाड़ी का नंबर 9 मिलने में अभी तीन वर्ष का समय लगेगा तो उन्हें याद दिलाया गया कि ये कोई अल्पमत वाली या बैसाखी वाली सरकार नहीं है, बल्कि प्रचंड बहुमत वाली डबल इंजन सरकार है। नई-नई सरकार द्वारा पड़ी डांट के डर से आरटीओ कार्यालय देहरादून से तत्काल यह नंबर तो दे दिया गया, किंतु यह नंबर आज भी पंजीकृत नहीं है। अर्थात खतरा वही है कि यदि इस गाड़ी से कुछ भी घटना घट गई तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?
देखना है कि राज्य संपत्ति विभाग और आरटीओ देहरादून अब गले पड़ चुके इस वीवीआईपी नंबर के लिए क्या समाधान निकालते हैं।