कमल जगाती, नैनीताल
पिछले काफी समय से धुआंधार बैटिंग कर रहे हाई कोर्ट ने एक और दमदार फैसला सुनाया है। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने देहरादून पुलिस को शौचालय निर्माण में घोटाला करने वालों के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका के माध्यम से स्वच्छ भारत मिशन में शौचालय निर्माण में घोटालों की शिकायत की गई थी। याचिकाकर्ता ने न्यायालय से कहा था कि स्वर्ग सिधार गए लोगों के नाम पर भी शौचालय निर्माण दिखाकर सरकारी धन डकार लिया गया है।
न्यायालय ने एसएसपी देहरादून को घोटालेबाजों के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश देते हुए कहा कि इस मामले में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ 2 हफ्ते के भीतर कठोर कार्यवाही की जाए।
गौरतलब है कि इससे पहले 30 मई 2013 को विकासनगर के तहसीलदार भी इस मामले की जांच करके घोटालों की पुष्टि कर चुके हैं।
वरिष्ठ जज राजीव शर्मा और लोकपाल सिंह की अदालत ने मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि तहसीलदार की रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाए।
हाईकोर्ट के फैसलों से जनता मे जान, सरकार परेशान !
इससे पहले हाईकोर्ट पैराग्लाइडिंग और रिवर राफ्टिंग के लिए नीति बनने तक इस पर रोक लगाने के आदेश जारी कर चुका है।
देहरादून के वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन लखेड़ा के पत्र का संज्ञान लेकर जनहित याचिका में दर्ज करते हुए हाईकोर्ट ने नदी नालों से कब्जे हटाने का लोकप्रिय फैसला दिया है।
नैनीताल में अतिक्रमण और ट्रैफिक की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए चलाया गया डंडा भी काफी कारगर रहा।
कार्बेट पार्क के इर्द-गिर्द अवैध निर्माणों को हटाने के लिए हाईकोर्ट के आदेश की भी काफी सराहना की गई। उत्तराखंड में हाईकोर्ट के ताबड़तोड़ फैसलों से जनता में हाईकोर्ट के प्रति काफी विश्वास उत्पन्न हो गया है और लोग कहने लगे हैं कि डबल इंजन से ज्यादा बेहतर तो हाईकोर्ट की स्पीड है।
वहीं दूसरी तरफ सरकार हाईकोर्ट के फैसलों से काफी असहज है और इन फैसलों को जनता के लिए उचित मानने के बजाय अपने सरकारी अधिवक्ताओं की लापरवाही और कमजोर पैरवी का नतीजा मान रही है। सरकार अपने सरकारी वकीलों की कार्यशैली की समीक्षा करने का भी मन बना चुकी है। बहरहाल हाई कोर्ट के फैसलों से लोग काफी खुश हैं।