कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय को गलत दस्तावेज दिखाकर गुमराह करने के मामले में न्यायालय ने प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार को दो हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा है।
न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की एकलपीठ ने आज शांतिपुरी निवासी गणेश उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नाराजगी जताई।
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याचिकाकर्ता ने न्यायालय में किसानों की आत्महत्या और बकाए भुगतान को लेकर वर्ष 2017 में याचिका डाली थी। याची ने न्यायालय को बताया था कि न्यायालय के आदेशों के बावजूद सरकार ने किसान आयोग का गठन नहीं किया, आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार को 50,000/=रुपये का मुआवजा नहीं दिया गया है। इन परिवारों को पेंशन स्कीम से भी नहीं जोड़ा गया है। किसानों को मौसमी आपदा से फसल नुकसान का मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। गणेश उपाध्याय ने बताया कि उत्तराखण्ड शुगर फैक्टरियों से किसानों के गन्ने का भुगतान 8 अप्रैल 2019 तक लगभग 8 अरब रुपयों का बकाया है।
पूर्व में न्यायालय द्वारा पूछे जाने पर मुख्य सचिव ने अवमानना याचिका पर जवाब देते हुए कहा था कि किसानों के 1292.47करोड़ रुपये के भुगतान के खिलाफ सरकार ने 1098.55 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। याची के अधिवक्ता ने इसका विरोध किया और न्यायालय को बताया कि 8 अप्रैल 2019 तक किसानों का 800 करोड़ रुपया बकाया है। गणेश उपाध्याय ने बताया कि सरकार ने न्यायालय में सही आंकड़े नहीं दिए है। उन्होंने न्यायालय में सही आंकड़े दिए हैं। न्यायालय ने सरकार से 14 दिनों के भीतर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।