12 मार्च को उत्तराखंड में तख्तापलट की दूसरी वर्षगांठ के बीच डबल इंजन सरकार की पहली वर्षगांठ भी मनाई जा रही है। 12 मार्च २०१६ को तब कांग्रेस के नौ विधायकों ने बगावत कर तख्तापलट करने की कोशिश की। १८ मार्च २०१७ को उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार बनी तो उसके कुछ दिनों बाद आई पहली नवरात्रि के अवसर पर सूबे के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने पर्यटन विभाग की ओर से एक फुल पेज का विज्ञापन जारी करवाया, जिसमें नवरात्रि के नौ दिनों में नौ अलग-अलग देवस्थलों पर नवरात्रि मनाने का आह्वान किया गया। महाराज द्वारा तब यह बताया गया कि इन स्थलों को भविष्य में तीर्थ स्थलों के रूप में और अधिक प्रचारित प्रसारित करने के लिए यह विज्ञापन दिया गया। चूंकि तब सरकार नई-नई थी और कहीं कोई झगड़ा नहीं करना चाहता था, इसलिए मामला आया-गया कर दिया गया। इस एक साल में सतपाल महाराज और सरकार के बीच कई ऐसे मामले हुए, जो दर्शाते हैं कि सतपाल महाराज और त्रिवेंद्र रावत उत्तर और दक्षिण ध्रुव के रूप में काम कर रहे हैं।
कर्णप्रयाग रेल लाइन के मामले में केंद्रीय मंत्री के कार्यक्रम से सतपाल महाराज को किनारे रखने से लेकर महाराज का कैबिनेट बैठकों से दूर होना, बिना महाराज को पूछे उनके विभाग से अधिकारियों को स्थानांतरण करना जैसे दर्जनों मामलों में महाराज और सरकार की खूब ठनी। १८ मार्च २०१८ को डबल इंजन सरकार की पहली वर्षगांठ
पर त्रिवेंद्र रावत ने पलटवार किया। जिस विज्ञापन को विगत वर्ष सतपाल महाराज ने सिर्फ अपना फोटो लगाकर प्रकाशित किया था, उसी विज्ञापन को त्रिवेंद्र रावत ने सतपाल महाराज के विभाग से जारी करवाकर सतपाल महाराज का फोटो हटवाकर अपनी फोटो लगाकर जारी कर स्पष्ट कर दिया कि इस प्रदेश में वही चलेगा जो त्रिवेंद्र रावत चाहेंगे। इससे पहले त्रिवेंद्र रावत राज्यसभा चुनाव के दौरान महाराज द्वारा अपनी पत्नी अमृता रावत का राज्यसभा भेजने की कोशिशों को नाकाम कर चुके हैं।
त्रिवेंद्र रावत के इस पलटवार के बाद सतपाल महाराज और उनके भक्त सदमें में हैं। देखना है कि अगला कदम क्या होता है?