पुलिस फाइल में दम तोड़ रहे सबूत
– डोईवाला में रेलवे ट्रेक पर मिली युवक की संदिग्ध मौत का मामला
– पुलिस आत्महत्या बता रही थी,मृतक की बहन ने जुटाए हत्या के साक्ष्य
– हत्या की एफआईआर दर्ज कराई जांच की रफ्तार ही सुस्त
देहरादून
पुलिस की लचर इनवेस्टिगेशन के चलते एक मर्डर केस के सबूत फाइलों में ही दम तोड़ रहे हैं। मामला 5 फरवरी को डोईवाला थाना इलाके में ट्रेन की पटरी पर मिली युवक की लाश से जुड़ा है। पुलिस इसे आत्महत्या माने बैठी थी। मृतक की बहन ने मामले में कड़ी से कड़ी जोड़ी और भाई की मौत से तीन दिन पहले के फेसबुक पर उसकी हत्या की साजिश के सुराग जुटा लिए।
मृतक की बहन ने थाने में साक्ष्य दिखाए,पुलिस ने पिंड छुड़ाया चाहा तो डीजीपी से मिली। सबूत इतने पुख्ता थे की डीजीपी ने हत्या की एफआईआर दर्ज करने के डायरेक्शन दिए। डीजीपी के आदेश पर हत्या की एफआईआर तो दर्ज हो गई, लेकिन जांच में सुस्ती के चलते ये सबूत अब भी पुलिस फाइल में ही दम तोड़ रहे हैं।
ट्रेन से एक्सीडेंट हुआ नहीं,पटरी पर लाशः
5 फरवरी 2018 की सुबह डोईवाला में मियांवाला रेलवे ट्रेक के बीचों- बीच आशीष भट्ट( 27) की लाश मिली थी। चार बहनों का इकलौत आशीष रात 11 बजे तक घर वालों के साथ था। इसके बाद ऐसा क्या हुआ कि सुबह 5 बजे उसकी लाश पटरी पर मिली।
इसी सवाल का जवाब ढूंढने में जुट गई आशीष की बहन अर्चना। अर्चना ने आशीष के घर में मौजूदगी से सुबह शव मिलने तक देहरादून आई सभी ट्रेन और उनके ड्राइवर्स की डिटेल जुटाई। सबसे बात की। ड्राइवर्स ने ट्रेन पर होने की बात तो स्वीकर की, लेकिन किसी के टकराने या कटने जैसा कोई हादसा होना नहीं बताया।
कॉल डिटेल में साजिश की बूः
मृतक की बहन ने भाई के मोबाइल नंबर पर कॉल्स और मैसेजेज की डिटेल खंगाली तो एक नंबर मिला, जिससे पिछले तीन दिन से उसे लगातार मैसेज आ रहे थे। नंबर आशीष के नाम से जारी लेकिन पड़ोस की एक लड़की यूज कर रही थी। शक और बढ़ा।
इसी बीच पड़ोस की लड़की ने खुद मृतक की बहन से संपर्क किया और आशीष की हत्या की बात कही, पेपर पर लिखकर दिया कि उसे पक्का यकीं है, लेकिन मर्डर किसने और क्यों किया, यह सवाल साफ नहीं हो पाए।
फेसबुक पर की गई थी साजिशः
पड़ोस की जो लड़की आशीष के नाम पर जारी नंबर यूज कर रही थी, उस नंबर से फेसबुक आई डी भी चल रहा था।
सना गुंसाई नाम से चल रहे एक फेसबुक आईडी पर लाश मिलने के तीन दिन पहले यानि 2 फरवरी को एक काल्पनिक कहानी बनाकर किसी लड़कों को सबक सिखाने की साजिश रची गई थी। साजिश रचने वालों ने फेसबुक चैट में आशीष का नाम नहीं लिखा लेकिन उसका मोबाइल नंबर टाइप कर दिया। जिससे यह साफ हो गया कि आशीष के साथ जो कुछ हुआ वह सामान्य हादसा नहीं वरन उसकी मौत से पहले से चल रही किसी साजिश का नतीजा है।
पुलिस फाइलों में यूं दम तोड़ रहे सबूतः
5 फरवरी को आशीष की मौत के बाद उसकी बहन अर्चना ने इस मामले से जुटे तमाम साक्ष्य जुटाए।
डीजीपी से मिली तो 70 दिन बाद डोईवाला थाने में मर्डर की एफआईआर दर्ज करा दी। एक सामान्य से घर की लड़की अपने भाई की मौत का सच पता लगाने के लिए एड़ी से चोटी को जोर लगाकर दर्जनों साक्ष्य जुटाकर पुलिस अधिकारियों के सामने जा खड़ी हुई।
मौत के 70 दिन बाद एफआईआरः
पुलिस की सुस्ती का आलम यह रहा कि पटरी पर मिले शव पर शॉर्प चोट के निशान थे। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर्स ने संदेह जाहिर किया था, लेकिन पुलिस मामले को आत्महत्या मान परिजनों को बेवजह संदेह करने की नसीहत देती रही।
मृतक की बहन ने साक्ष्य जुटाकर पेश किए,तब 70 दिन बाद दर्ज हुई मर्डर की एफआईआर।
15 दिन में सिर्फ बयान और नक्शा-मौकाः
मृतक की बहन ने भाई की मौत मामले में जो साक्ष्य जुटाए, उनके आधार पर दो नामजद आरोपियों के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज करा दी लेकिन पुलिस जांच की सुस्त रफ्तार का आलम देखिए 15 दिन में पुलिस सिर्फ मृतक की बहन के बयान और नक्शा मौका बना पायी है।
कब सुलझेगी आशीष की मर्डर मिस्ट्री
पुलिस के रवैये पर टिहरी में कैंडल मार्च के साथ लोगों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
उत्तराखंड पुलिस की जांच को न्याय से परे बताते हुए परिजनों ने इसे पुलिस की नाकामी बताया और परिजनों ने कहा कि यह मौत संदिग्ध नहीं बल्कि हत्याकांड है।
आशीष टिहरी का रहने वाला है और चार बहनों का इकलौता भाई है, जिसकी मौत देहरादून पुलिस ने संदिग्ध बता कर आत्महत्या बताई थी। लेकिन आशीष के परिजन इसे हत्या बता रहे हैं और पुलिस पर नाकामी का आरोप लगा रहे हैं। टिहरी शहर कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र नौडियाल ने बताया कि आशीष ने सुसाइड नहीं किया। उसकी हत्या की गई है और पुलिस द्वारा मामले में ढिलाई बरती जा रही है जिस कारण अभी तक हत्यारोपी बैखौफ घूम रहे हैं। इस मुहिम की अगुवाई मे लगे श्री नौडियाल ने कहा,-” जल्द मामले में कार्रवाई नहीं होने पर देहरादून में जल्दी ही धरना प्रदर्शन किया जाएगा।”
अब ऐसे में सवाल पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी उठता है कि जब मृतक के परिजन जांच की मांग कर रहे हैं तो आखिर अभी तक पुलिस जांच क्यों नहीं कर रही है ! क्योंकि सबूत मृतक की बहन पहले ही दे चुकी हैं, जो कि फाइलों में दम तोड़ रहे हैं।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि
“मेरे हस्तक्षेप के बाद ही fir दर्ज हुई थी और मैं आगे भी जांच पर निरंतर नजर रखूंगा तथा सुनिश्चित करूंगा कि पीड़ित परिवार को न्याय मिले।”
—अशोक कुमार एडीजी लॉ एंड ऑर्डर
“मामले में मर्डर की एफआईआर दर्ज है। एविडेंस कलेक्शन चल रहा है, जल्द जांच किसी नतीजे पर पहुंचेगी।”
–सरिता डोभाल, एसपी ग्रामीण